पूश्किन की याद.!
वे रूमानी दौर के मशहूर लेखक और आधुनिक रूसी कविता के संस्थापक थे।
उनकी कविताएं अपनी भारतीय हिंदी भाषा में भी अनुवादित हुई है।
मैंने स्थापित किया है..
अपना अलौकिक स्मारक
उसे अनदेखा नहीं कर सकेगी
जनसामान्य की कोई भी राह...
गरिमा प्राप्त होती रहेगी
मुझे इस धरा पर...
जब तक जीवित रहेगा
रचनाशील कवि एक भी!
उनको विनम्र अभिवादन!!
- मनोज कुलकर्णी
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