Tuesday 26 March 2019

"एक प्यार का नग़मा है..
मौजों की रवानी है..
ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं..

तेरी मेरी कहानी है.."

पाँच साल हुएं..बेहतरीन अदाकारा नंदाजी हमें छोड़ गयी!
उनपर फिल्माया 'शोर' (१९७२) इस मनोजकुमार साहब की फिल्म का यह गाना देखकर मै हमेशा भावुक होता हूँ!

दिल से जुड़ा यह पसंदीदा गाना कुछ निजी भावनाओं को फिरसे उजाग़र करता हैं!

उन्हें सुमनांजली!!

- मनोज कुलकर्णी

Monday 18 March 2019

राजनीति से परे गोवा को समर्पित नेता!


मेरी 'चित्रसृष्टी' के विशेषांक का 'इफ्फी' में विमोचन करते श्री. मनोहर पर्रिकर और मै!

गोवा के मुख्यमंत्री श्री. मनोहर पर्रिकर जी के निधन की ख़बर से दुख हुआ।

हालांकि मैं उस राजनीतिक पार्टी का समर्थक नहीं; इसके बावजूद गोवा को समर्पित सादगीभरे सहृदय व्यक्तित्व के रूप में मैं उनका आदर करता था!

उनसे मेरी पहली मुलाकात २००४ में जब हमारे 'भारतीय अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोह' याने 'इफ्फी' का आगमन गोवा में हुआ तब हुई। उसमें उनके द्वारा आयोजित 'मुख्यमंत्री स्नेहभोजन' समारंभ के दौरान उनके हाथों मेरी 'चित्रसृष्टी' के विश्व रंगीन सिनेमा विशेषांक का अनौपचारिक विमोचन भी हुआ!

बाद में गोवा 'इफ्फी' का कायमस्वरूपी स्थल हुआ..इसमें पर्रिकर जी का योगदान बड़ा था। फिर क्रूज पर हुई इसकी 'सी एम् पार्टी' में जैसे छोटी राउंड टेबल कॉन्फरन्स हुई; जिसमें कई सालों से 'इफ्फी' कवर कर रहें हम कुछ फ़िल्म जर्नलिस्ट्स से उन्होंने बातचित की..जिसमें 'एन.एफ.ए.आय.' के संस्थापक और फिल्म हिस्टोरियन पी. के. नायर जी से भी उन्होंने 'इफ्फी' की गोवा में सफलता के बारे में सलाह-मशवरा किया!

गोवा की जनता में उनकी लोकप्रियता इस कदर थी की..एक बार 'इफ्फी' में मेगा स्टार अमिताभ बच्चन को सम्मानित किया जाना था..तब अमिताभ के मंच पर आने पर उतनी तालियाँ नहीं बजी, जितनी पर्रिकर जी वहाँ आने पर बजी थी!

उनको मेरी भावभीनी श्रद्धांजली!!

- मनोज कुलकर्णी

Saturday 2 March 2019

अच्छी भूमिकाएं करना चाहती हैं चित्रांगदा!


'मॉन्क एण्ड ब्ल्युज' के उद्घाटन समय चित्रांगदा सिंह।

"समकालिन विषयोंपर फ़िल्में बननी चाहिएँ..मै ऐसी फिल्मों में एक्टिंग करना पसंद करती हूँ!" ऐसा अपनी ख़ूबसूरती और स्वाभाविक अभिनय से लुभावनेवाली चित्रांगदा सिंह ने मेरी बात की पुष्टि करते हुएँ कहाँ।
'मॉन्क एण्ड ब्ल्युज' के उद्घाटन वक्त केक काटते हुई चित्रांगदा सिंह 
(उसके साथ) प्रतिम गुज्जर और आफरीन खान!

हाल ही में 'मॉन्क एण्ड ब्ल्युज' इस प्रतिम गुज्जर और आफरीन खान इनके अभिनव रेस्टॉरंट का उद्घाटन करने वह पुणे आयी थी। तब ('रीच आउट' पीआर' के) स्नेही ज़ुबैर पूनावाला के साथ उससे मुलाकात हुई और अनौपचारिक बातें हुई!

'यह साली ज़िन्दगी' (२०११) में इरफ़ान खान और चित्रांगदा सिंह।
२००३ में सुधीर मिश्रा की पोलिटिकल थ्रिलर 'हज़ारो ख़्वाहिशें ऐसी' से चित्रांगदा सिंह बड़े परदे पर आई थी..बंबई में 'मामी' के फिल्म समारोह के दौरान हुए इस के प्रदर्शन समय मिश्रा जी के साथ उससे मेरी पहली मुलाक़ात हुई..इसका ज़िक्र करके मैंने जब पुछा की 'वह ऑफ बीट फिल्मों में ही ज्यादा उभर कर आयी..जैसे फिर से 'यह साली ज़िन्दगी' (२०११)'..तब उसने उपर का वक्तव्य किया।

'बाज़ार' (२०१८) में रूमानी होतें चित्रांगदा सिंह और सैफ़ अली खान।
हालांकि कुछ रूमानी फिल्मों में भी चित्रांगदा नज़र आयी..जैसे की जॉन अब्राहम के साथ 'आय मी और मैं' (२०१३) लेकिन वह बात नहीं बनी!..ऐसे में अपनी भूमिकाएं वह बख़ूबी निभाती रही..इसपर बात करते हुए उसने कहाँ "रोमैंटिक से ज्यादा हटके फ़िल्में मैं करना चाहती हूँ..जैसे की पिछले साल रिलीज हुई 'बाज़ार'!"

ब्रैंड एम्बेसडर की हैसियत से भी काम करती रही चित्रांगदा को २००९ में..
'फिक्की' के 'यंग वीमेन अचीवर अवार्ड' से सम्मानित किया गया था!

उसे मेरी शुभकामनाएं!!

- मनोज कुलकर्णी
   ('चित्रसृष्टी')