Tuesday 28 November 2017

डॉ. हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन"!

'मधुशाला' और 'अग्निपथ' प्रसिद्ध डॉ. बच्चन!


हिंदी भाषा के ख्यातनाम कवि तथा साहित्यकार डॉ. हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन"जी का ११० वा जनमदिन संपन्न हुआ!

नव-कविता तथा 'हालावाद' के प्रवर्तक रहे बच्चन साहब की सबसे प्रसिद्ध काव्यकृती 'मधुशाला' है। उनके पुत्र प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन ने 'सिलसिला' (१९८१) फिल्म में उनका गाया हुआ गीत "रंग बरसे..'' काफी मशहूर हुआ! उनकी 'अग्निपथ' कविता भी अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म 'अग्निपथ' (१९९०) में ली गयी थी!
 डॉ. हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन" और पुत्र-अभिनेता अमिताभ बच्चन!

काव्यकृती 'दो चट्टाने' के लिए उन्हे 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' मिला..तथा 'पद्मभूषण' से उन्हे सम्मानित किया गया!

उन्हें विनम्र अभिवादन!!

- मनोज कुलकर्णी
('चित्रसृष्टी', पुणे)

Friday 24 November 2017

''फुल हसीं के तुमने मुखपर..डाल दिये तो मैं बलिहारी..!''

फ़िल्म 'नीरजा' (२०१६) में बेहतरीन अदाकारी से दिल छू लेने वाली और सम्मानित हुई 'खूबसुरत' सोनम कपूर का यह लाजवाब ''हसता हुआ नूरानी चेहरा'' देखकर यह काव्यपंक्तियां याद आयी!

- मनोज कुलकर्णी 

('चित्रसृष्टी'. पुणे)

Friday 17 November 2017

'इफ्फी':

'दायरा' का वाकया फिरसे होगा?

 
अब जब मराठी फिल्म 'न्यूड' और मलयालम फिल्म 'एस दुर्गा' इस बार के हमारे '४८ वे भारतीय आंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह' ('इफ्फी', गोवा) के 'इंडियन पैनोरमा' से निकालने की खबर है..तब मुझे त्रिवेन्द्रम में १९९७ में हुए 'इफ्फी' का वाकया याद आया!


त्रिवेन्द्रम के उस 'इफ्फी',१९९७ के 'इंडियन पैनोरमा' में अमोल पालेकर की फिल्म 'दायरा' समाविष्ट नहीं की गयी थी; तो उन्होंने वहां अलग थिएटर में उसका पैरलल स्क्रीनिंग किया था..और हमने वहां जा कर वह देखी थी! इसके गीत लिखे गुलज़ार जी भी वहां आए थे!

स्त्री और समाज को अलग दायरे में परखने वाली इस फिल्म में सोनाली कुलकर्णी और निर्मल पांडये की अलग किस्म की वैशिष्ट्यपूर्ण भूमिकाएं थी! बाद में यह फिल्म कहाँ रिलीज़ हुई पता नहीं!

 
- मनोज कुलकर्णी
('चित्रसृष्टी', पुणे)

Wednesday 15 November 2017

ख़ूबसूरत नज़ाकत..श्यामा!

 

अलविदा कर गयी...

गुज़रे ज़माने की हसीन श्यामा!



- मनोज कुलकर्णी
फ़िल्म 'आर पार' (१९५४) में गुरुदत्त और शोख़ हसीन..श्यामा!



"सुन सुन सुन सुन ज़ालीमा..
प्यार हमको तुमसे हो गया.."

प्रतिभाशाली निर्देशक-अभिनेता गुरुदत्त अपनी फ़िल्म 'आर पार' (१९५४) में जिसे यह गुज़ारिश कर रहे थे वह थी उस ज़माने की शोख़ हसीन अदाकारा..श्यामा!

उम्र ८२ पर यह बुजुर्ग अभिनेत्री अब इस दुनिया से चली गयी!


लाहौर में जन्मीं उनका असल में नाम था ख़ुर्शीद अख़्तर..लेकिन फ़िल्मकार विजय भट ने उन्हें परदे के लिए नाम दिया..श्यामा! १९४५ में 'ज़ीनत' फ़िल्म के "आहे न भरे.." इस कव्वाली में वह पहली बार परदे पर आयी!..बाद में 'शबनम' (१९४९) जैसी फिल्मों में उन्होंने काम किया!
फ़िल्म 'शारदा' (१९५७) में श्यामा और राज कपूर!

१९५१ में उन्होंने त्रिकोणीय प्रेम कथा वाली दो फिल्मों में काम किया..जिसमें एक थी दिलीपकुमार और मधुबाला की 'तराना' तथा दूसरी थी देव आनंद और निम्मी की 'सज़ा'! फिर १९५३ में 'श्यामा' नाम की फ़िल्म में वह नायिका बनी..फिर इसी नाम से वह मशहूर हुई!


'बरसात की रात' (१९६०) में अपने गहरे अंदाज़ में..श्यामा!


वह गुरुदत्तजी की 'आर पार' (१९५४) फ़िल्म ही थी, जिससे श्यामा को प्रमुख नायिका की हैसियत से बहोत शोहरत हासिल हुई! इसके "येल्लो मैं.." गाने में रूमानी अंदाज़ दिखानेवाली श्यामा ने बाद में मीना कुमारी की प्रमुख भूमिका वाली 'शारदा' (१९५७) जैसी फिल्मों में अपना अच्छा अभिनय दर्शाया और 'फ़िल्मफेअर' का पुरस्कार लिया!
श्यामा अपने शौहर फली मिस्त्री के साथ!

फ़िल्म 'दो बहेन' (१९५९) में तो उन्होंने दो भिन्न भूमिकाएं अदा की थी! फिर 'मलिका-ए-हुस्न' मधुबाला अभिनीत 'बरसात की रात' (१९६०) जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने गहरे अंदाज़ दिखाए!

फ़िल्मी दुनिया से दूर..श्यामा!
दरमियान सिनेमैटोग्राफर फली मिस्त्रीजी से उनका निक़ाह हुआ..और फिर 'शादी के बाद' (१९७२) जैसी फिल्मों में चरित्र अभिनेत्री के किरदार करना उन्होंने पसंद किया..'पायल की झंकार' (१९८०) में वह आखिरी बार परदे पर नज़र आयी! क़रीबन २०० फिल्में करके कुछ साल बाद वह फ़िल्मी दुनिया से दूर हो गयी थी!

होमी वाडिया की फ़िल्म 'झबक' (१९६१) में श्यामा!
अब जब वह इस दुनिया से रुख़सत हुई है..तो लगता है यही (फ़िल्म 'झबक' का) गाना वह हमें कह गई हो..
"तेरी दुनिया से दूर..
चले होके मज़बूर..
हमें याद रखना.."

हम इस शोख़ खूबसूरत अदाकारा को कभी नहीं भूलेंगे!
उनको मेरी सुमनांजली!!

- मनोज कुलकर्णी
('चित्रसृष्टी', पुणे, इंडिया)

Tuesday 14 November 2017

"नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है?
*मुट्ठी में है तक़दीर हमारी...
हम ने क़िस्मत को बस में किया है!"

'आर के' की फ़िल्म 'बूट पॉलीश' (१९५४) में रतनकुमार और बेबी नाज़!

आज के 'बाल दिन' पर..हमारे भारतीय सिनेमा के इतिहास का यह पन्ना आज फिर से झाँक लिया..जो अब भी समकालीन लगा!

- मनोज कुलकर्णी
('चित्रसृष्टी', पुणे)

Saturday 11 November 2017

सिनेमा के सुवर्ण युग की अपनी हसीन ख़ूबसूरत अदाकारा..माला सिन्हा जी को ८१ वी सालगिरह की मुबारक़बाद!

- मनोज कुलकर्णी 
('चित्रसृष्टी', पुणे)

Friday 10 November 2017

प्रिंस का पद्मिनी ने लिया था किस!

ब्रिटन के प्रिंस चार्लस की इस बार की हमारे भारत यात्रा की ख़बर देखते ही..मुझे १९८० के दशक में उनका दौरा और बम्बई में बॉलीवुड का किया चक्कर भी याद आया!
इसमें उन्होंने श्रेष्ठ फ़िल्मकार वी. शांताराम के 'राजकमल' स्टुडिओ को भेट दी थी..तब एक अजब वाकया हुआ..वहां फिल्म 'झंझार' की शूटींग कर रही अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे ने पाश्चात्य तरीके से चुम कर प्रिंस का स्वागत किया था!
यह देखकर वहां मौज़ूद शांतारामबापू और खुद प्रिंस भी कुछ देर चौंक गए थे!!

- मनोज कुलकर्णी
('चित्रसृष्टी', पुणे)

Monday 6 November 2017

संजीव कुमार जी की याद!


हमारे अभिनयसम्राट दिलीपकुमार के सामने अभिनयक्षमता से खड़े रह सकते थे ऐसे एक अभिनेता थे..संजीव कुमार!
'विधाता' (१९८२) में दिलीप कुमार और संजीवकुमार!

दोनों ने केवल दो फिल्मों में साथ में काम किया..'संघर्ष' (१९६८) और 'विधाता' (१९८२). संजीवकुमार के मूक अभिनय से प्रशंसित 'कोशिश' (१९७२) में दिलीप कुमार मेहमान कलाकार थे! 
'नया दिन नयी रात' (१९७४) फ़िल्म में संजीव कुमारजी ने (नौ रस के) नौ किरदार बख़ूबी साकार किये थे!

हालाकि दोनों में अच्छा तालमेल था!

आज संजीव कुमार जी के ३२ वे स्मृतिदिन पर यह विशेषता याद आयी!


उन्हें मेरी सुमनांजली!!


- मनोज कुलकर्णी
('चित्रसृष्टी', पुणे) 

Thursday 2 November 2017

"हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी
छाँव है कभी, कभी है धूप ज़िंदगी
हर पल यहाँ जी भर जियो...."


सालगिरह मुबारक़ बॉलीवुड 'बादशाह'
 शाह रुख़ खान!

- मनोज कुलकर्णी 

('चित्रसृष्टी', पुणे)