Sunday 31 October 2021

एहसास हो रहा है..
आप लौट आयी हैं!

प्रियंका जी में आप..
हमें नज़र आ रही हैं!


- मनोज 'मानस रूमानी'


(आज अपने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के स्मृतिदिन पर उन्हें सलाम करते हुए इस आशावादी चित्र पर मैंने ग़ौर किया है!)


- मनोज कुलकर्णी

Friday 29 October 2021

गीतकार अंजान जी की याद!

गीतकार (लालजी पांडे) अंजान जी!

'बहारें फिर भी आयेंगी' (१९६६) फ़िल्म के उस गाने में धर्मेंद्र, तनुजा और माला सिन्हा!

"आप के हसीन रुख़ पे
आज नया नूऱ है..
मेरा दिल मचल गया
तो मेरा क्या कसूर है"


रफ़ी साहब ने गाया मेरा यह पसंदीदा रूमानी गीत फिर से मन में गूंजा..
इसके गीतकार (लालजी पांडे) अंजान जी के हुए ९१ वे जनम दिन पर!

'बहारें फिर भी आयेंगी' (१९६६) इस फ़िल्म के इस गाने की विशेषताएं ये थी की, अपने टिपिकल (टांगा ट्यून) रिदम से हट कर संगीतकार ओ. पी. नैयर जी ने इसे पियानो पर कम्पोज किया था।..और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की ('डॉन', 'लावारिस', 'याराना' जैसी) हिट फिल्मों से मशहूर गीतकार अंजान जी ने (उससे पहले) इसे तरल रूमानियत से लिखा था।

'मुकद्दर का सिकंदर' (१९७८) फ़िल्म में अमिताभ बच्चन!

वैसे जानेमाने फ़िल्मकार प्रकाश मेहरा जी की फ़िल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' (१९७८) के उनके गानें भी बड़े संजीदा थे, जिसके शीर्षक गीत में कहा गया था..

"ज़िन्दगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएगी
मौत मेहबूबा है अपने साथ ले कर जाएगी"


ऐसे अंजान जी को सुमनांजलि!

- मनोज कुलकर्णी

Monday 25 October 2021

"वो सुबह कभी तो आयेगी..."

यथार्थवादी शायर साहिर लुधियानवी जी का आशावाद अभी भी बरक़रार..!

उनको ४१ वे स्मृतिदिन पर सुमनांजली!!

- मनोज कुलकर्णी

Sunday 24 October 2021

"इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैग़ाम हमारा.."


आज भी समकालीन मूल्य रखनेवाला यह कवी प्रदीपजी का गीत उसी उदात्त भावना से गाया था मन्ना डे जी ने.. नका आज ८ वा स्मृतिदिन!

सी. रामचंद्र जी के संगीत में गाये उनके इस गाने की अहम बात ऐसी की, यह एकमात्र अपने लाजवाब अदाकार दिलीपकुमार जी पर बैकग्राउंड फ़िल्माया गया! इसके अलावा मन्नादा का कभी पार्श्वगायन नहीं हुआ दिलीपकुमार जी के लिए!

 

'पैग़ाम' (१९५९) इस सोशल फ़िल्म के उस गाने के सीन में दिलीप कुमार और मोतीलाल परदे पर आतें हैं।

खैऱ, मन्नादा और यूसुफ़साहब..दोनों को इससे सुमनांजलि!

- मनोज कुलकर्णी

Saturday 23 October 2021

नृत्यकुशल ख़ूबसूरत शोख़ अदाकारा..मीनू मुमताज़!


ख़ूबसूरत अदाकारा मीनू मुमताज़ जी - जवाँ और बुज़ुर्ग!

भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर की ख़ूबसूरत शोख अदाकारा मीनू मुमताज़ जी इस जहाँ से रुख़सत होने की ख़बर से दुख हुआ।

लीजेंडरी कॉमेडी एक्टर मेहमूद जी की बहन इतना उनका तार्रुफ़ नहीं था। ख़ूबसूरत चेहरा और अभिनय में शोखियत से उन्होंने १९५०-६० के दशकों में परदे पर अपना एक खास मुकाम हासिल किया था।

फ़िल्म 'ब्लैक कैट' (१९५९) के "मैं तुम्ही से पूछती हूँ मुझे तुम से प्यार क्यूँ हैं.."
गाने में मीनू मुमताज़ और जानेमाने अभिनेता बलराज साहनी!
'बॉम्बे टॉकीज' में कलाकार -
(नृत्य) रहे मुमताज़ अली की वह बेटी थी। उनकी नृत्यकला उसमें भी आयी थी, जिसका प्रदर्शन शुरू में उसने स्टेज पर और बाद में सिनेमा में किया!

मलिकुन्निसा अली उसका असल में नाम था। "मीनू"
नाम से उन्हें जानीमानी अभिनेत्री (और मेहमूद की रिश्तेदार) मीना कुमारी पुकारती थी और वो मीनू - मुमताज़ हुई! शुरुआती दौर में, १९५६ में फ़िल्म 'हलाकू' में मीना जी के साथ ही यह कमसिन मीनू नज़र आयी।

बहरहाल, मीनू मुमताज़ मशहूर हुई परदेपर अपने नृत्य के जलवें दिखाकर! १९५७ में बी. आर. चोपड़ा की फ़िल्म 'नया दौर' में "रेशमी सलवार कुरता जाली का.." यह उनका नृत्यगीत हिट रहा। फिर दिलीप कुमार अभिनीत बिमल रॉय की फ़िल्म 'यहूदी' में भी वह थी।
 
अभिनेता-निर्देशक गुरुदत्त की फ़िल्म 'चौदहवीं का चाँद' (१९६०) में 
उनके साथ मुज़रा नृत्य में मीनू मुमताज़!
जानेमाने अभिनेता-निर्देशक गुरुदत्त
जी की फ़िल्मों में मुख़्तलिफ़ अंदाज़ में मीनू मुमताज़ दिखी। 'कागज़ के फूल' (१९५९) में "हम तुम जिसे कहता है शादी.." गाने में कॉमेडियन जॉनी वॉकर के साथ वो मॉडर्न लुक में थी; तो 'साहिब बीवी और ग़ुलाम' (१९६२) में "साक़िया आज मुझे नींद नहीं आयेगी.." यह मुज़रा नृत्य उसने लाजवाब किया। आगे 'ग़ज़ल' और मीना कुमारी के साथ वाली 'चित्रलेखा' (१९६४) ऐसी फ़िल्मों में भी उसके ऐसे नर्तिका किरदार रहें!

फिर 'प्रीत ना जाने रीत' (१९६६) जैसी फ़िल्मों से सहनायिका की तौर पर और आगे 'पत्तों की बाज़ी' (१९८६) तक चरित्र किरदारों के ज़रिये मीनू मुमताज़ परदे पर बरक़रार रही!

एक इंटरव्यू में बुज़ुर्ग मीनू मुमताज़!
कई साल बाद 'चलो चले परदेस' (१९८२) से टीवी धारावाहिक में आयी मीनू मुमताज़ वाकई में परदेस चली गयी। उनका कनाडा में लिया गया एक इंटरव्यू बीच में देखने में आया, तब अच्छा लगा था! अब तो वो दूसरे जहाँ के लिए रुख़सत हुई हैं!

मुझे हमेशा यह लगता रहा, इतनी ख़ूबसूरत चेहरे की यह अदाकारा मीनू मुमताज़ महज नृत्य जैसी भूमिकाएं निभाती क्यों रह गयी? १९५९ में आयी फ़िल्म 'ब्लैक कैट' में तो जानेमाने अभिनेता बलराज साहनी की वो नायिका थी। इसमें उनके साथ शायराना अंदाज़ में.. "मैं तुम्ही से पूछती हूँ मुझे तुम से प्यार क्यूँ हैं.." गाने में उसका रूप कितना लुभावना लगा था!

ख़ैर, उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday 21 October 2021

 
"याssहूँss.."

शायद आसमाँ में भी यह गूँज उठी होंगी..
क्योंकी हमारे रूमानी भारतीय सिनेमा के रिबेल स्टार शम्मी कपूर जी का आज..
९० वा जनमदिन है!


उनसे मिलना याद आ रहा हैं।..और अब उन्हीं के - ('तिसरी मंज़िल' के) गाने से उन्हें पुकारने को मन कर रहां है..
"आsजा आsजा.."

- मनोज कुलकर्णी

Saturday 16 October 2021

हेमाजी की हसीन रेशमा!

'धर्मात्मा' (१९७५) फ़िल्म में हेमा मालिनी!

ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी सबसे हसीन किसमें दिखी हैं ऐसा अगर हमें पूछे तो कहेंगे..
फ़िल्म 'धर्मात्मा' में!
 
१९७५ में प्रदर्शित फ़िरोज़ ख़ान की यह ब्लॉकबस्टर फ़िल्म कोप्पोला की हॉलीवुड हिट 'दि गॉडफादर' (१९७२) से कुछ प्रेरित थी

'धर्मात्मा' (१९७५) फ़िल्म में फ़िरोज़ ख़ान और हेमा मालिनी!
अफ़ग़ानिस्तान में चित्रित हुई 'धर्मात्मा' यह पहली बॉलीवुड फ़िल्म थी। अब शायद ही यह संभव हो!

उसमें खानाबदोश रेशमा हुई हेमा मालिनी पर फ़िरोज़ ख़ान का "क्या ख़ूब लगती.." गाना देखते हुए लगता है रेगिस्तान में जैसे गुल खिला हो!

हेमाजी की ७३ वी सालगिरह पर यह याद आया।
उन्हें मुबारक़बाद!!

- मनोज कुलकर्णी

Friday 15 October 2021

इंसानियत, प्यार से जीता जाए
दशहरे की यही हैं शुभकामनाएं!


- मनोज 'मानस रूमानी'

सेक्युलर इंडिया की शान थे आप
'मिसाइल मैन' जाने जाते थे आप
उभरते वैज्ञानिकों की प्रेरणा थे आप
बच्चे-युवा सभी के आदर्श थे आप!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(हमारे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के पूर्व राष्ट्रपति 'भारतरत्न' डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम साहब को ९० वे जनमदिन पर सलाम!)

- मनोज कुलकर्णी

Thursday 14 October 2021


आज तरक्कीपसंद शायर निदा - फ़ाज़ली साहब (जिनका परसो - जनमदिन था) होते तो यह भी कह सकते थे...

 
"घर से मंदिर है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए.!

मौलाना मोहानी और डॉ. आंबेडकर एकसाथ!



उर्दू साहित्य के विद्वान तथा स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हसरत मोहानी और अपने 'भारतीय संविधान के जनक' डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी की यह दुर्लभ तस्वीर!

"इन्कलाब ज़िदांबाद" का नारा अपनी कलम के ज़रिये जिन्होंने पहले दिया वे थे..मौलाना सय्यद फ़ज़ल-उल-हसन तथा हसरत मोहानी!..उनका आज जनमदिन!

'निकाह' (१९८२) फ़िल्म की ग़ुलाम अली जी ने गायी मशहूर ग़ज़ल "चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है.." हसरत मोहानी जी की कलम से ही आयी थी। ख़ैर, उनपर मैंने यहाँ पहले लेख लिखा है।

आज 'धम्मचक्र प्रवर्तन दिन' भी हैं!

दोनों को विनम्र अभिवादन!!

- मनोज कुलकर्णी

Monday 11 October 2021


उम्र के ८० तक ये आए है..
८० के दशक में लीजेंड बने!
एंग्री यंग मैन के ही जोश में
अब बिझी ओल्ड मैन हैं रहें!

- मनोज 'मानस रूमानी'

[हमारे भारतीय सिनेमा-टीवी जगत के लिविंग लीजेंड और हम सबके चहेते (जिनपर मैंने बहुत लिखा).. अमिताभ बच्चन जी को सालगिरह की मुबारक़बाद!]

- मनोज कुलकर्णी

ख़ैर मुबारक़!



महज़ इत्तिफ़ाक़ नहीं यह सालगिरह आस-पास आना..
आगाज़ था वह इस मशहूर जोड़ी में होनेवाले प्यार का!

- मनोज 'मानस रूमानी'

[अपने सिनेमा की एक पसंदीदा जोड़ी अमिताभ बच्चन-रेखा (जिनपर मेरे सिने पत्रकारिता के दौरान मैंने ख़ूब लिखा) को सालगिरह की मुबारक़बाद देतें!]

- मनोज कुलकर्णी

Sunday 10 October 2021

मशहूर ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह जी!

 

"होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो.."

जगजीत सिंह जी की शुरूआती और हिट हुई यह फ़िल्मी ग़ज़ल..मेरी एक पसंदीदा!
हालांकि नायिका के लिए कवी-नायक यह 'प्रेम गीत' (१९८१) में गाता हैं।..


'प्रेम गीत' (१९८१) फ़िल्म के "होठों से छू लो.."
गाने में राज बब्बर और अनीता राज!

 

लेकिन उस दौर में शायरों की यही तमन्ना रहेगी की हमारी गज़लें जगजीत सिंह जी के होठों से आएं..!

ख़ैर, अब ४० साल पुरे होकर भी उस ग़ज़ल का रुमानीपन बरक़रार हैं।
और आज जगजीत सिंह जी का १० वा स्मृतिदिन हैं।

उन्हें आदरांजलि!

- मनोज कुलकर्णी


आईने में दिखे छवि से ख़ूबसूरत रहें..
उम्र की रेखाएं कभी न दिखें आप पर
अदाकारी के और भी जलवें दिखाने..
उमराव जान यूँ ही रहे आप परदे पर!

- मनोज 'मानस रूमानी'


 

(हमारे लोकप्रिय भारतीय सिनेमा की पसंदीदा ख़ूबसूरत अदाकारा रेखा जी को उनकी ६७ वी सालगिरह की मुबारक़बाद!)

- मनोज कुलकर्णी

'कागज़ के फूल' (१९५९) फ़िल्म में गुरुदत्त जी!

'प्यासा' (१९५७) फ़िल्म में गुरुदत्त जी!
जिस साल आप यह जहाँ छोड़ गए
उसी साल हम इस जहाँ में आएं थे

संजीदगी, बेरुखी हम में छोड़ गए..
इसलिए हम दुनिया से ख़फ़ा रहते!


- मनोज 'मानस रूमानी'


(हमारे अज़ीज़ श्रेष्ठ अभिनेता एवं निर्देशक गुरुदत्त जी को उनके ५७ वे स्मृतिदिन पर मेरी यह शब्द-सुमनांजलि!)

- मनोज कुलकर्णी

Wednesday 6 October 2021

तवज्जोह बॉलीवुड स्टार के बेटे पर ये देतें हैं

हुकुमतदार के बेटे का ज़ुल्म क्यूँ नहीं देखतें?


- मनोज 'मानस रूमानी'

Saturday 2 October 2021

"ओ मेरे शह-ए-ख़ूबाँ.."

ऐसा शायर हसरत जी ने जिनके लिए लिखा..वह थी १९६० और ७० के दशकों के अपने रूमानी भारतीय - सिनेमा की ख़ूबसूरत शोख़ अदाकारा..आशा पारेख!

उनको सालगिरह की मुबारक़बाद!

- मनोज कुलकर्णी