मेरे इस ब्लॉग पर हमारे भारतीय तथा पूरे विश्व सिनेमा की गतिविधियों पर मैं हिंदी में लिख रहा हूँ! इसमें फ़िल्मी हस्तियों पर मेरे लेख तथा नई फिल्मों की समीक्षाएं भी शामिल है! - मनोज कुलकर्णी (पुणे).
Wednesday 29 December 2021
Tuesday 21 December 2021
Tuesday 14 December 2021
१४ दिसम्बर,१९६६ को शैलेन्द्र जी ने इस जहाँ को अलविदा किया और उसके चार साल बाद 'मेरा नाम जोकर' (१९७०) प्रदर्शित हुई, जिसे अब ५० साल हुए हैं।
Sunday 12 December 2021
दो अज़ीम शख़्सियतों की मुलाक़ात!
१९६९ की यह दुर्लभ तस्वीर है जब 'सरहद गाँधी' अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान भारत आएं थे.. तब अपने लाजवाब अदाकार यूसुफ़ साहब (दिलीप कुमार) उनसे बड़ी अदब से मिले थे! |
अब अपने अदाकारी के शहंशाह (दिलीप कुमार) की बादशाह ख़ान ('सरहद गाँधी') से जन्नत में मुलाक़ात हुई होंगी!
संजोग ऐसा की, इन दोनों अज़ीम शख़्सियतों की बस दो साल की दूरी रह गयी थी अपनी उम्र के सौ साल पुरे करने में!
ख़ैर, उनको सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
Saturday 11 December 2021
Sunday 5 December 2021
'तस्वीर-ए-हिंद' दिखाती शानदार शख़्सियत!
Thursday 2 December 2021
'संसार' (१९५१) फ़िल्म के इस गाने में मोहना के साथ कॉमेडियन आगा! |
"लखनऊ चलो अब रानी
बम्बई का बिगड़ा पानी.!"
हाल ही में हुए अपने प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह 'इफ्फी' के समापन समारोह में जब ऊ. प्र. राज्य को पुरस्कार दिया गया तब उसपर दिखाई चित्रफीत में यह गीत बख़ूबी समाया था!
'जेमिनी' के वासन की १९५१ की फ़िल्म 'संसार' का कॉमेडियन आगा का अपनी माशूका को कहता वह गीत था। पंडित इंद्र ने लिखे इस गीत को शकर शास्त्री और पार्थसारथी के संगीत में गीता दत्त और जी. एम्. दुर्रानी ने गाया था।
अब के हालातों के मद्देनज़र इस गाने को 'सोच समझ कर' उस चित्रफित में डाला हुआ लगा!
'ब्रह्मचारी' (१९३८) इस मराठी फ़िल्म में मीनाक्षी शिरोडकर! |
इसके अलावा दूसरी बात, गोवा के कलाकारों का सिनेमा में योगदान में दिग्गज मीनाक्षी
शिरोडकर जी का नाम 'इफ्फी' समापन समारोह में नहीं लिया गया! महाराष्ट्र
में बड़ी हुई इस अभिनेत्री मीनाक्षी जी का - पारिवारिक मूल (पेडनेकर) गोवन
था!
ख़ैर, प्रादेशिक अस्मिता से परे राष्ट्रीय दृष्टिकोण से
अपने सभी राज्यों की सांस्कृतिक धरोहर को हम सराहते हैं। और नज़ाकत-नफ़ासत का
लखनऊ तो हमारा खास पसंदीदा हैं!
Sunday 28 November 2021
Wednesday 24 November 2021
रूमानी 'खुशबू' की खूबसूरत शायरा..परवीन शाकिर!
Monday 22 November 2021
Saturday 20 November 2021
"उतरे थे कभी 'फ़ैज़' वो आईना-ए-दिल में
आलम है वही आज भी हैरानी-ए-दिल का"
लिखनेवाले दोनों मुल्कों में मक़बूल अज़ीम शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जी का आज ३७ वा स्मृतिदिन!
वह शेर फ़ैज़ साहब और उनकी शायरी बख़ूबी पढ़नेवाले (हाल ही में इस जहाँ से रुख़सत) अपने लाजवाब अदाकार यूसुफ़ ख़ान..दिलीपकुमार जी के लिए याद आया!
उन्हें सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
Friday 19 November 2021
Sunday 14 November 2021
Thursday 11 November 2021
Tuesday 9 November 2021
"सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा..
हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलसिताँ हमारा!"
यह लिखनेवाले दोनों मुल्कों में मक़बूल अज़ीम शायर अल्लामा इक़बाल जी का आज जनमदिन!
उन्होंने मुख़्तलिफ़ जज़्बातों पर भी शायरी लिखी जैसे की..
"सितारों से आगे जहाँ और भी हैं..
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं.."
और मशहूर..
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है..
बड़ी मुश्किलसे होता है चमनमें दीदावर पैदा
उन्हें सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
Thursday 4 November 2021
Monday 1 November 2021
Sunday 31 October 2021
Friday 29 October 2021
गीतकार अंजान जी की याद!
गीतकार (लालजी पांडे) अंजान जी! |
'बहारें फिर भी आयेंगी' (१९६६) फ़िल्म के उस गाने में धर्मेंद्र, तनुजा और माला सिन्हा! |
"आप के हसीन रुख़ पे
आज नया नूऱ है..
मेरा दिल मचल गया
तो मेरा क्या कसूर है"
रफ़ी साहब ने गाया मेरा यह पसंदीदा रूमानी गीत फिर से मन में गूंजा..
इसके गीतकार (लालजी पांडे) अंजान जी के हुए ९१ वे जनम दिन पर!
'बहारें फिर भी आयेंगी' (१९६६) इस फ़िल्म के इस गाने की विशेषताएं ये थी की, अपने टिपिकल (टांगा ट्यून) रिदम से हट कर संगीतकार ओ. पी. नैयर जी ने इसे पियानो पर कम्पोज किया था।..और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की ('डॉन', 'लावारिस', 'याराना' जैसी) हिट फिल्मों से मशहूर गीतकार अंजान जी ने (उससे पहले) इसे तरल रूमानियत से लिखा था।
'मुकद्दर का सिकंदर' (१९७८) फ़िल्म में अमिताभ बच्चन! |
वैसे जानेमाने फ़िल्मकार प्रकाश मेहरा जी की फ़िल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' (१९७८) के उनके गानें भी बड़े संजीदा थे, जिसके शीर्षक गीत में कहा गया था..
"ज़िन्दगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएगी
मौत मेहबूबा है अपने साथ ले कर जाएगी"
ऐसे अंजान जी को सुमनांजलि!
- मनोज कुलकर्णी
Sunday 24 October 2021
"इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैग़ाम हमारा.."
आज भी समकालीन मूल्य रखनेवाला यह कवी प्रदीपजी का गीत उसी उदात्त भावना से गाया था मन्ना डे जी ने.. उनका आज ८ वा स्मृतिदिन!
सी. रामचंद्र जी के संगीत में गाये उनके इस गाने की अहम बात ऐसी की, यह एकमात्र अपने लाजवाब अदाकार दिलीपकुमार जी पर बैकग्राउंड फ़िल्माया गया! इसके अलावा मन्नादा का कभी पार्श्वगायन नहीं हुआ दिलीपकुमार जी के लिए!
'पैग़ाम' (१९५९) इस सोशल फ़िल्म के उस गाने के सीन में दिलीप कुमार और मोतीलाल परदे पर आतें हैं।
खैऱ, मन्नादा और यूसुफ़साहब..दोनों को इससे सुमनांजलि!
- मनोज कुलकर्णी
Saturday 23 October 2021
नृत्यकुशल ख़ूबसूरत शोख़ अदाकारा..मीनू मुमताज़!
लीजेंडरी कॉमेडी एक्टर मेहमूद जी की बहन इतना उनका तार्रुफ़ नहीं था। ख़ूबसूरत चेहरा और अभिनय में शोखियत से उन्होंने १९५०-६० के दशकों में परदे पर अपना एक खास मुकाम हासिल किया था।
अभिनेता-निर्देशक गुरुदत्त की फ़िल्म 'चौदहवीं का चाँद' (१९६०) में उनके साथ मुज़रा नृत्य में मीनू मुमताज़! |