"किसका रस्ता देखे, ऐ दिल, ऐ सौदाई
मीलों है खामोशी, बरसों है तनहाई..
भूली दुनिया, कभी की, तुझे भी, मुझे भी
फिर क्यों आँख भर आई.."
पचास साल पुरानी 'जोशीला' (१९७३) फ़िल्म के गाने की रिहर्सल की शायद यह तस्वीर!
इसमें गायक किशोर कुमार को धून समझाते संगीतकार आर. डी. बर्मन और उनके पीछे खड़े हैं इसके अभिनेता देव आनंद, गीतकार साहिर लुधियानवी तथा फ़िल्मकार यश चोपड़ा!
साहिर जी ने वैसे पहले पंचम (आर.डी.) के पिताजी एस. डी. बर्मन जी और देव जी के लिए सदाबहार गीत लिखें, जैसे की 'मुनीमजी' (१९५५) का "जीवन के सफ़र में राही मिलते हैं बिछड़ जाने को.."
बादमे पंचम के लिए भी साहिर जी ने लिखे चंद गीत यादगार रहें, जैसे की १९७३ की ही 'आ गले लग जा' का किशोर जी ने गाया और शशी कपूर-शर्मिला टैगोर पर फ़िल्माया "तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई.."
ख़ैर, आज पंचमजी के जनमदिन पर यह याद!
- मनोज कुलकर्णी
मेरे इस ब्लॉग पर हमारे भारतीय तथा पूरे विश्व सिनेमा की गतिविधियों पर मैं हिंदी में लिख रहा हूँ! इसमें फ़िल्मी हस्तियों पर मेरे लेख तथा नई फिल्मों की समीक्षाएं भी शामिल है! - मनोज कुलकर्णी (पुणे).
Monday 27 June 2022
Saturday 25 June 2022
"मिलो न तुम तो
हम घबराये..
मिलो तो आँख चुराएं..
हमें क्या हो गया है.."
जैसा आशिक़ी का नाजुक अंदाज़ हो या,
"ये दुनिया, ये महफ़िल, मेरे काम की नहीं.."
ऐसा दिल-ए-बेकरार का दर्द बयां करना!
अपने भारतीय सिनेमा के रुपहले परदे पर १९७० में साकार हुआ वह प्रेमकाव्य था..'हीर राँझा'!
उससे जुड़ी ये मशहूर हस्तियाँ..फ़िल्मकार चेतन आनंद जी, उनकी चहेती अभिनेत्री प्रिया राजवंश जी, गायिका लता मंगेशकर जी, संगीतकार मदन मोहन जी और इसके काव्यमय संवाद भी लिखनेवाले शायर कैफ़ी आज़मी जी!
(राज कुमार जी इसके नायक थे और मोहम्मद रफ़ी जी की दर्दभरी आवाज़ इसमें थी!)
५० साल पुरानी यह दुर्लभ तस्वीर आज मदन मोहन जी के जनमदिन पर!
सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
Tuesday 14 June 2022
आसिफ़-ए-हिन्दोस्ताँ!
'मुग़ल-ए-आज़म' जैसे मोहब्बत के अफ़साने पूरी शान-ओ-शौकत से अपने भारतीय सिनेमा के रूपहले परदेपर यादगार साकार करनेवाले थे अज़ीम फ़िल्मकार के. आसिफ जी!
आज उन्हें १०० वे यौम-ए-पैदाइश पर सलाम!
- मनोज कुलकर्णी
सलीम-अनारकली की दास्तान-ए-मोहब्बत
उसी शान-ओ-शौकत में थी परदेपर आई..
बाअदब से पुकारा गया 'मुग़ल-ए-आज़म'
शिद्दत से बनानेवाले वे आसिफ़ थे वाक़ई!
- मनोज 'मानस रूमानी'
Monday 13 June 2022
पर वे मेहदी हसन ही थे शहंशाह-ए-ग़ज़ल!
- मनोज 'मानस रूमानी'
क़तील शिफ़ाई जी की "ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं.." या अहमद फ़राज़ जी की "रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ.." अपनी दिल को छू लेनेवाली आवाज़ में ये ग़ज़लें पेश करनेवालें मेहदी हसन साहब को १० वे स्मृतिदिन पर आदरांजलि!
- मनोज कुलकर्णी
(इस तस्वीर में मेहदी हसन जी अपने शहंशाह-ए-अदाकारी यूसुफ साहब..दिलीप कुमार जी के साथ दिखाई दे रहें हैं। अब ये दोनों इस जहाँ में नहीं!)
Friday 3 June 2022
मशहूर पार्श्वगायक केके (कृष्ण कुमार कुन्नथ). |
"छोटी सी हैं ज़िंदगी.."
स्टेज परफॉरमेंस में यह सूना रहा था वह और.. ज़िंदगी ने उसका दामन छोड़ा!
फ़िल्म संगीत के क्षेत्र का एक उम्दा व्यक्तित्व केके (कृष्ण कुमार कुन्नथ)..यूँ अचानक "तड़प तड़प के इस दिल से आह निकलती रही." के हालत में जहाँ छोड़ गया!
"आँखों में तेरी..", "दिल इबादत.." जैसे रूमानी हो या "पल याद आएंगे.." जैसे जज़्बाती..केके की आवाज़ में वे गानें दिल को छू जातें थें। हिंदी सिनेमा के लिए पांच सौ से अधिक और प्रादेशिक भाषाओँ के लिए दो सौ से अधिक ऐसे गानें इस मशहूर पार्श्वगायक ने गाएं।
उन्होंने सम्मान भी प्राप्त किए, जिसमें बड़ा था प्यार चाहनेवालों का, जिनके लिए वे गाकर गए..
"हम रहे या न रहे कल..याद आएँगे.."
अपने गानों के ज़रिये केके यादों में रहेंगे ही!!
- मनोज कुलकर्णी