मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहाँ जी! |
"आवाज़ दे कहाँ हैं.."
मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहाँ ने 'अनमोल घड़ी' फ़िल्म के लिए नौशादसाहब के संगीत में गाया यह गाना...
आज उनके स्मृतिदिन पर उनके लिए गुनगुनाने को मन किया!
"जवाँ हैं मोहब्बत..हसीन है ज़माना.."
मेहबूब ख़ान की मशहूर 'अनमोल घड़ी' (१९४६) में गाती नूरजहाँ की ख़ूबसूरत अदाकारी!
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१९३५ में बनी 'शीला' इस पहली पंजाबी साऊंड फ़िल्म से बेबी नूरजहाँ परदे पर आयी। बाद में 'ख़ानदान'- (१९४२) इस हिंदी फ़िल्म से वह जवां नायिका हुई। सईद शौक़त हसन रिज़वी निर्देशित इस सफ़ल फ़िल्म में उसके नायक थे..प्राण! बाद में शौक़त रिज़वी के साथ वह बंबई आयी और उनसे उसका निक़ाह भी हुआ!
शौक़त रिज़वी जी की फ़िल्म 'जुगनू' (१९४७) में नूरजहाँ और दिलीप कुमार! |
१९४६ में मेहबूब ख़ान ने बनायी 'अनमोल घड़ी' यह उर्दु-हिंदी फ़िल्म नूरजहाँ की अदाकारी और गानों के लिए सबसे सफ़ल और यादगार साबित हुई। इसमें और दो गायक कलाकार उनके साथ थे..सुरेंद्र और ख़ूबसूरत सुरैया! इसमें "जवाँ हैं मोहब्बत..हसीन है ज़माना.." यह नूरजहाँ ने गाया गाना और उस पर उनकी अदाकारी बहोत रंग लायी थी!
"आवाज़ दे कहाँ हैं..दुनियाँ मेरी जवाँ हैं.."
१९८२ में भारत में नौशादसाहब के संगीत
में फिर एक बार स्टेज पर गाती नूरजहाँ जी!
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१९३० से १९९० के दौरान नूरजहाँ संगीत क्षेत्र में - कार्यरत थी और उन्होंने क़रीब ४० फ़िल्मों के लिए लगभग २०,००० गानें गाएं। पाकिस्तानी फ़िल्मो में सबसे ज़्यादा गानें गाने का उनका रिकॉर्ड हैं! उन्हें यहाँ-वहाँ काफ़ी सम्मान मिलें!
मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहाँ को मिलते अपने अभिनय के शहंशाह युसूफसाहब..दिलीप कुमार!
और साथ में अपनी स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर और गायिका-अभिनेत्री सुरैया!
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"आवाज़ दे कहाँ हैं..
दुनियाँ मेरी जवाँ हैं.."
जैसे अपने खोये वतन - और उसके संगीत की दुनिया को पुकारती हो!
उन्हें मेरी सुमनांजली!!
- मनोज कुलकर्णी