मेरे इस ब्लॉग पर हमारे भारतीय तथा पूरे विश्व सिनेमा की गतिविधियों पर मैं हिंदी में लिख रहा हूँ! इसमें फ़िल्मी हस्तियों पर मेरे लेख तथा नई फिल्मों की समीक्षाएं भी शामिल है! - मनोज कुलकर्णी (पुणे).
Thursday 29 December 2022
अभी खिल के महक रही थी ख़ूबसूरत कली
अचानक कैसी आँधी आई कि वो टूट गयी!
- मनोज 'मानस रूमानी'
मुझे याद है कुछ साल पहले 'एनडी स्टूडियो' में 'चक्रवर्ती अशोक' टीवी सीरियल के मुहूर्त को उपस्थित रहना! 'कलर्स' चैनल पर प्रदर्शित इस ऐतिहासिक धारावाहिक में राजकुमारी की भूमिका निभाई थी.. कमसिन ख़ूबसूरत टुनिशा शर्मा!..और जल्द ही टेलीविज़न तथा सिनेमा की दुनिया में चमकने लगी थी! उसका अचानक इस दुनिया से जाना बड़ा ही दुखदायक है!..उसे सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
Sunday 11 December 2022
Saturday 3 December 2022
Saturday 19 November 2022
Wednesday 9 November 2022
Tuesday 8 November 2022
Monday 7 November 2022
न किसी के दिल का क़रार हूँ..!"
यह मशहूर ग़ज़ल हो या,
"लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दयार में..
किस की बनी है आलम-ए-नापायदार में!"
यह लिखनेवले आख़िरी मुग़ल बादशाह और उर्दू शायर बहादुर शाह ज़फ़र जी का आज १६० वा स्मृतिदिन!
अपने भारत के पहले याने १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के वे एक प्रमुख थे!!
उन्हें सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
Saturday 5 November 2022
यह नया दौर हैं और एक 'नया दौर' तब भी था
अब न वो दौर-ए-ज़िंदगी, न तहज़ीब, न रुतबा
- मनोज 'मानस रूमानी'
(अपने भारतीय सिनेमा के दिग्गज फ़िल्मकार बी. आर. चोपड़ा जी का आज १४ वा स्मृतिदिन और अपने अदाकारी के शहंशाह यूसुफ ख़ान याने दिलीपकुमार जी पिछले साल गुजर गए। उनकी पुरानी क्लासिक फ़िल्म 'नया दौर' (१९५७) की पचासवीं वर्षगांठ पर उसकी रंगीन फ़िल्म के प्रदर्शन समय उनकी ली गई यह यादगार तस्वीर!)
🙏🙏
- मनोज कुलकर्णी
Tuesday 1 November 2022
Friday 28 October 2022
Thursday 27 October 2022
थरूर प्रभावी नेतृत्व दे सकते थे!
'कांग्रेस' के नेता, लेखक शशि थरूर जी और 'कांग्रेस' के अध्यक्ष श्री. मल्लिकार्जुन खरगे जी! |
वरिष्ठ अनुभवी नेता श्री... मल्लिकार्जुन खरगे जी कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुन लिए गए यह स्वागतार्ह हैं! इससे अपनी 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' इस सबसे पुरानी (और स्वंतंत्रता आंदोलन में सहभागी) पार्टी में लोकतंत्र हैं यह स्पष्ट किया हैं। हालांकि गांधी परिवार के बाहर के नेता भी कांग्रेस अध्यक्षपद पर विराजमान हुएं हैं। पर यह विरोधी हमेशा नज़रअंदाज़ करतें रहें।
'कांग्रेस' के पूर्व अध्यक्ष राहुल जी गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' में! |
बहरहाल 'भारत जोड़ो यात्रा' से देशभर भ्रमण कर रहें और आम जनता का प्यार प्राप्त कर रहें 'कांग्रेस' के पूर्व अध्यक्ष राहुल जी गांधी का यह उपक्रम बहुत सराहनीय हैं। इससे कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी सोच तथा जनता के सुखदुख में सहभागी होकर उनके लिए कार्य करने की भूमिका उजागर हो रहीं हैं। उन्हें मेरी हार्दिक शुभकामनाएं!!
साथ ही 'कांग्रेस' की महासचिव प्रियंका जी गांधी वाड्रा भी महिलाओं के और सामान्य लोगों के प्रश्नों पर आवाज़ उठाकर अच्छा समाजकार्य कर रहीं हैं। उनमे उनकी दादी और अपनी पूर्व प्रभावशाली प्रधानमंत्री इंदिरा जी गांधी की छवि नज़र आती हैं। उनकी तरह प्रियंका जी भी नेतृत्व के लिए आगे आई तो बहुत ख़ुशी होंगी!
'कांग्रेस' की महासचिव प्रियंका जी गांधी वाड्रा! |
ख़ैर, मैं कोई राजनीतिक विशेषज्ञ नहीं और ना ही मुझे राजनीति में कोई दिलचस्पी! (मैं फ़िल्म पत्रकारिता में रहा हूँ!) लेकिन 'कांग्रेस' और इसकी विचारधारा का समर्थक होने के नाते इस पार्टी की स्थिति मजबूत होकर वह फिर से प्रभावी तरीके से उभर आने की सोच में यह व्यक्त हुआ हूँ!
अपने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू और गांधी परिवार के प्रति मेरी हमेशा से श्रद्धा रहीं हैं और रहेंगी!!
'कांग्रेस' के नए अध्यक्ष जी का अभिनंदन!!..और शुभकामनाएं!!!
- मनोज कुलकर्णी
Tuesday 25 October 2022
Wednesday 19 October 2022
वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए।
इस सई-ए-करम को क्या कहिए,
बहला भी गए..तड़पा भी गए।।"
ऐसी जज़्बाती रूमानियत जिनकी कलम में थी वे थे, उर्दू के मशहूर शायर..असरार-उल-हक़ याने मजाज़ लखनवी!
ग़ज़ल, नज़्म में रूमानी और परिवर्तनवादी रचनाओं के लिए वे जाने जाते थे। 'आहंग', 'नज़र-ए-दिल', 'ख़्वाब-ए-सहर', 'वतन आशोब' और 'शब-ए-तर' ये उनकी किताबें प्रसिद्ध हैं!
जानेमाने फ़िल्म लेखक-गीतकार जावेद अख़्तर जी के वे मामू थे!
आज १११ वे यौम-ए-पैदाइश पर मजाज़ जी को सलाम!!
- मनोज कुलकर्णी
Wednesday 12 October 2022
Tuesday 11 October 2022
इन अभिनय दिग्गजों को 'भारतरत्न' मिलें!
अपने विश्वविख्यात अभिनेतें दिलीपकुमार जी और अमिताभ बच्चन जी इन दोनों को 'भारतरत्न' बहाल होना चाहिए! जैसे २००१ में अपने संगीत क्षेत्र के दो दिग्गज लता मंगेशकर जी और बिस्मिल्लाह ख़ान जी को साथ में यह सम्मान बहाल किया गया था!
तो उसी तरह यह हमारी मनोकामना हैं!!
- मनोज कुलकर्णी
Friday 7 October 2022
Sunday 2 October 2022
"ओ नी सुल्ताना रे s
प्यार का मौसम आया.."
रूपहले परदेपर ऐसा प्यार-संगीत भरा समां तब होता था जब वो वहां होती थी..
हाल ही में 'दादासाहेब फाल्के' पुरस्कार से सम्मानित..अपने रूमानी भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग की उस शोख़ ख़ूबसूरत अदाकारा..
आशा पारेख जी का आज ८० वा जनमदिन!
याद आ रही हैं मेरी उनसे अच्छी मुलाक़ात!
उन्हें मुबारक़बाद!!
- मनोज कुलकर्णी
Wednesday 28 September 2022
"लागी नाहीं छुटे.."
अपने भारतीय सिनेमा के अदाकारी के शहंशाह युसूफ ख़ान याने दिलीप कुमार जी ने खुद अपनी सुरों की मलिका लता मंगेशकर जी के साथ गाया हुआ यह नग़्मा आज मेरे मन में गूँजा..
यह अब वे दोनों ऊपर जन्नत में गातें साथ होंगे ऐसा मुझे लगता हैं!
आज लता मंगेशकर जी का ९३ वा जनमदिन हैं और चंद महिनों बाद दिलीप कुमार जी की जन्मशताब्दी होगी!
दिलीप कुमार जी अभिनीत फिल्मों के लिए लताजी ने गाएं ऐसे कई गीत मन में गूँज रहें हैं..
"जिसे तू क़ुबूल कर ले वो अदा कहाँ से लाऊँ.."
"जब प्यार किया तो डरना क्या.."
इसमें हमारे अज़ीज़ और अज़ीम फ़नकार.. मोहम्मद रफ़ी जी के साथ लताजी ने गाएं ऐसे रूमानी डुएट्स हैं..
"दो सितारों का ज़मीन पर है मिलन.."
"इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल.."
मेरा इन दोनों को मिलना यादगार रहां हैं!
उनको सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
Monday 26 September 2022
प्यार का जहां बसा के चले.."
अपने रूमानी भारतीय सिनेमा के जानेमाने अभिनेता-फ़िल्मकार देव आनंद जी यहाँ.. अपनी सुरों की मलिका लता मंगेशकर जी को उनके इस एक मशहूर गीत में शायद यह कह रहें होंगे ऐसा लगता हैं!
हालांकि, अब "आसमाँ में.." ऐसा कहते रहेंगे क्योंकि..वे दोनों उसी जहाँ में होंगे!
आज देवसाहब का ९९ वा जनमदिन और लताजी का जनमदिन परसों है!
सदाबहार देव आनंद अभिनीत फिल्मों के लिए लताजी ने गाएं ऐसे कई गीत मन में गूँज रहें हैं..
"तेरा मेरा प्यार अमर.."
"आज फिर जीने की तमन्ना हैं.."
इसमें हमारे अज़ीज़ और अज़ीम फ़नकार मोहम्मद रफ़ी जी के साथ लताजी ने गाएं ऐसे डुएट्स हैं..
"तस्वीर तेरी दिल में.."
"दिल पुकारे, आरे आरे.."
मेरा इन दोनों को मिलना यादगार रहां हैं!
उनको सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
Sunday 25 September 2022
Thursday 22 September 2022
'छेलो शो' 'ऑस्कर' के लिए!?
इतालवी फ़िल्म 'सिनेमा पारादीसो' (१९८८) और गुजराती फ़िल्म 'छेलो शो' (२०२१). |
सियासी माहौल और वहां होने जा रहे चुनाव के मद्देनज़र, गुजराती फ़िल्म 'छेलो शो' (२०२१) का चयन 'ऑस्कर' के लिए होना कोई आश्चर्य की बात नहीं! लेकिन परेशानी इस बात की है की, यह फ़िल्म प्रेरित (या कॉपी?) हैं 'सिनेमा पारादीसो' (१९८८) इस 'ऑस्कर' प्राप्त इतालवी फ़िल्म की! विश्व सिनेमा की मेरी एक पसंदीदा फिल्म!
ग्यूसेप टॉर्नेटोर लिखित-निर्देशित 'सिनेमा पारादीसो' यह फ़िल्म चलती-फिरती तस्वीरों के साथ लगाव की उनकी बचपन की यादों से जुडी थी! इसमें थिएटर प्रोजेक्शनिस्ट से फ़िल्म की जिज्ञासावाले लड़के की दोस्ती को बड़ी संवेदनशीलता से दर्शाया गया। सल्वाटोर केसियो और फिलिप नोएर्ट ने स्वाभाविक रूप से ये भूमिकाएँ निभाईं!
यहाँ गुजराती फ़िल्म 'छेलो शो' का कथासूत्र भी उसीसे साधर्म्य दिखाता हैं ऐसा ट्रेलर देखते ही समझ में आता हैं। इसमें एक गरीब बच्चे का सिनेमा के लिए जुनून हैं और वह भी यह देखने के लिए प्रोजेक्शनिस्ट से नजदीकी बढ़ाता हैं। भावेश श्रीमाली के साथ भाविन राबरी ने यह भूमिका उसी जूनून से निभाई हैं! यह फ़िल्म भी इसके निर्देशक पान नलिन की बचपन की यादों से प्रेरित सेमी-ऑटोबायोग्राफिकल कहलाती है!
कुछ आंतराष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में शामिल हो चुकी 'छेलो शो' की संक्षिप्त झलक भी तुरंत याद दिलाती हैं 'सिनेमा पारादीसो' की, जिसने 'ऑस्कर' की 'सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म' का अवार्ड जीता था। तो इसी सम्मान के लिए एक ही कथासूत्र की फ़िल्म कैसे पात्र होती हैं यह सवाल खड़ा होता हैं!
हिंदी फ़िल्म 'न्यूटन' (२०१७) और ईरानी फ़िल्म 'सीक्रेट बैलेट' (२००१). |
बहरहाल, मैंने कुछ साल पहले 'ऑस्कर और भारतीय सिनेमा : एक सिंहावलोकन!' यह मेरा रिसर्च आर्टिकल इस ब्लॉग पर प्रसिद्ध किया था! इसमें उस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए भेजी जानेवाली फ़िल्म के सही चयन के बारे में विस्तृत विवेचन था, जिसमें यूनिवर्सल अपील, ओरिजिनालिटी और फ़िल्म सभी दृष्टी से प्रगल्भ होने के मुद्दे समाविष्ट थे। इस प्रक्रिया में सिनेमा के सही जानकारों के समावेश पर भी जोर दिया था!
ख़ैर, इसमें अब भी कुछ परिवर्तन नज़र नहीं आता और वही किस्सा दोहराने की गुंजाइश दिखाई देती हैं!
फिर भी 'छेलो शो' को शुभकामनाएं!!
- मनोज कुलकर्णी
Saturday 17 September 2022
Wednesday 14 September 2022
Monday 12 September 2022
Thursday 8 September 2022
आशा भोसले जी और स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी! |
स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी के साथ आशा भोसले जी ने गाया हुआ यह गीत आज मेरे मन में गूँजा!
वसंत देव जी ने लिखा और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी ने संगीतबद्ध किया यह गीत 'उत्सव' (१९८४) इस शशी कपूर जी - निर्मित और गिरीश कर्नाड जी निर्देशित फ़िल्म में ख़ूबसूरत रेखा और अनुराधा पटेल पर अशोक मेहता जी ने बड़ी कलात्मकता से फ़िल्माया था।
'उत्सव' (१९८४) फ़िल्म के "मन क्यों बहका.." गाने में अनुराधा पटेल और ख़ूबसूरत रेखा! |
आज आशाजी के ८९ वे जन्मदिन पर, जब की अब लतादीदी इस दुनिया में नहीं हैं, ऐसे वक़्त मुझे यह याद आया!..इन दोनों ने गाएं चंद गीतों में मुझे यह अभिजात तथा लाजवाब लगता हैं!!
- मनोज कुलकर्णी
Wednesday 7 September 2022
Saturday 3 September 2022
Tuesday 30 August 2022
Saturday 27 August 2022
ज़िंदगी प्यार का गीत है..!
गीतकार एवं निर्माता-निर्देशक सावन कुमार टाक जी! |
१९६७ में खुद लिखी फ़िल्म 'नौनिहाल' की निर्मिति करके वे इस क्षेत्र में आए थे। इसका कैफ़ी जी का "मेरी आवाज़ सुनो.." यह मोहम्मद रफ़ी जी ने गाया दर्दभरा गीत अपने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी की याद से भावुकता से जुड़ा हैं। इसे राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ। इसके बाद १९७२ में 'गोमती के किनारे' फ़िल्म से वे निर्देशक बने। ख्यातनाम अभिनेत्री मीना कुमारी जी की आखरी फ़िल्मों में से यह एक!
'चाँद का टुकड़ा' (१९९४) फ़िल्म के निर्माण के दौरान सलमान ख़ान और श्रीदेवी के साथ सावन कुमार! |
अब उन्हींने लिखा गीत याद आता हैं, जो शायद वे ज़िंदगी से कह रहें हैं..
"तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बाद.."
उन्हें सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
एक्सक्लूसिव:
काश मुकेश जी गायक-अभिनेता रहते!
अपनी कुछ अनुनासिक दर्दभरी आवाज़ से दिल को छू लेनेवाले दिग्गज गायक मुकेश जी का आज स्मृतिदिन!
उन्हें सिनेमा की दुनिया में लानेवाले नामचीन कलाकार मोतीलाल जी के लिए उन्होंने पहला गीत गाया था। प्रतिभाशाली अनिल बिस्वास जी के संगीत में 'पहली नज़र' (१९४५) फ़िल्म का वह गाना था "दिल जलता है तो जलने दे.." तब चोटी पर रहे गायक-अभिनेता कुन्दनलाल सैगल जी की तरह ही वह पेशकश थी, जिसे सुन कर उन्हें भी ताज्जुब हुआ था!
'माशूका' (१९५३) फ़िल्म में मशहूर गायिका-अदाकारा सुरैया के नायक मुकेश! |
दरमियान मुकेश जी की अभिनेता के तौर पर परदेपर आने की ख़्वाहिश बरक़रार थी। और 'माशूका' (१९५३) फ़िल्म में मशहूर गायिका-अदाकारा सुरैया के नायक बनके वे परदेपर छा गए। दोनों गायक कलाकारों का यह यादगार संगीतमय संगम रहा। रोशन जी के संगीत में "आओ शाम सुंदर.." और "झिलमिल तारे करे इशारे.." ऐसे प्रेमगीत उन्होंने इसमें गाएं! इसके बाद १९५६ में 'अनुराग' में वे उषा किरन के साथ परदेपर आए। इस फ़िल्म के वे सहनिर्माता और संगीतकार भी थे!
उन्हें सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
Tuesday 23 August 2022
Monday 15 August 2022
Thursday 11 August 2022
Sunday 7 August 2022
Wednesday 3 August 2022
Tuesday 26 July 2022
Sunday 24 July 2022
Wednesday 20 July 2022
ग़ज़ल गायक भूपिंदर सिंह जी! |
"करोगे याद तो, हर बात याद आयेगी..
गुज़रते वक़्त की हर मौज ठहर जायेगी.."
यह ग़ज़ल लिखनेवाले शायर बशर नवाज़ जी का स्मृतिदिन हाल ही में था..
..और 'बाज़ार' (१९८२) फ़िल्म के लिए यह गानेवाले भूपिंदर सिंह जी परसों इस जहाँ से रुख़सत हुए!
संगीत के अपने शुरूआती दौर में 'आकाशवाणी' तथा 'दूरदर्शन' के लिए वे गिटार बजाया करते थे। दिल्ली में एक समारोह में मशहूर संगीतकार मदन मोहन जी ने उन्हें सुना और फिर चेतन आनंद जी की फ़िल्म 'हक़ीकत' (१९६४) में गाने का मौका दिया। इस में "होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा.." यह कैफ़ी - आज़मी जी का नग़्मा उन्होंने मोहम्मद रफ़ी, तलत मेहमूद और मन्ना डे जैसे मंजे हुए गायकों के साथ गाया।
इसके बाद संगीतकार ख़य्याम जी ने उनसे चेतन साहब की ही 'आख़री ख़त' (१९६६) का कैफ़ी जी का ही गीत "रुत जवान, जवान रात, मेहरबान छेड़ो कोई दास्तान.." गवाया। यह आगे सुपरस्टार हुए राजेश - खन्ना जी की डेब्यू फ़िल्म थी! (इत्तिफ़ाक़ ऐसा की कल उनका स्मृतिदिन था।)
फिर पंचम याने संगीतकार आर. डी. बर्मन ने भूपिंदर जी से अपनी कई फ़िल्मों में गिटार बजवाया। जैसे की नासिर हुसैन की 'यादों की बारात' (१९७३) का ज़ीनत अमान पर फ़िल्माया "चुरा लिया है तुमने जो - दिल को.." और लीजेंडरी फ़िल्म 'शोले' (१९७५) का हिट "मेहबूबा ओ मेहबूबा.."
भूपिंदर सिंह जी गाते हुए! |
दरमियान गुलज़ार जी की कुछ फ़िल्मों में उन्होंने बेहतरीन गीत गाएं। जैसे की 'परिचय' (१९७२) का पंचम जी ने संगीतबद्ध किया "बीती ना बिताई रैना.." और 'मौसम' (१९७५) का मदन मोहन जी ने संगीतबद्ध किया "दिल ढूंढ़ता है..!" संवेदशील अभिनेता - संजीव कुमार जी को भूपिंदर जी की आवाज़ अच्छी जची!
बाकी भी कुछ समकालिन और कलात्मक फ़िल्मों के लिए उन्होंने गाएं गीत यादगार रहें। जैसे की 'घरौंदा' (१९७७) का जयदेव जी ने संगीतबद्ध किया "एक अकेला इस शहर में.." और 'ऐतबार' (१९८५) का बप्पी - लाहिड़ी ने सगीतबद्ध किया "किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी है.."
बाद में भूपिंदर जी ने ग़ज़ल गायकी की तरफ ही ध्यान दिया। इसमें उन्होंने पत्नी मिताली सिंह के साथ गाएं गीतों के 'आरज़ू', 'चांदनी रात', 'गुलमोहर' और 'ग़ज़ल के फूल' जैसे एलबम्स प्रसिद्ध हुएं।
आखिर फ़िल्म 'किनारा' (१९७७) का उन्होंने गाया गीत उनके लिए भी याद आता हैं। जैसे वे कह रहें हैं..
"नाम गुम जाएगा..चेहरा ये बदल जायेगा..
मेरी आवाज़ ही पहचान है..गर याद रहे..!"
उन्हें सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
Wednesday 13 July 2022
"बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ..s
सब गुनी जन पे तुमरा राज..
मन तड़पत हरि दर्शन को आज!"
आज गुरुपूर्णिमा के दिन यह गीत फिर से याद आया..
इसे लिखा था शकिल बदायुनी जी ने और नौशाद जी के संगीत में इसे तन्मयता से गाया था मोहम्मद रफी जी ने..
'बैजू बावरा' (१९५२) इस विजय भट्ट जी की संगीत आराधना पर अलौकिक फिल्म में इसे सादर किया था भारत भूषण जी ने, जिन्होंने इससे कामयाबी हासिल की!
सत्तर वर्षं हुएं इसे, लेकिन अब भी गुरु के प्रति आत्मीय भावना व्यक्त करने को यही मन में आता हैं!
- मनोज कुलकर्णी