Tuesday 30 August 2022

खेल में जितने पर अपनों को मुबारकबाद,

और इसी वक़्त इंसानियत के तौर पर...

उस पार के बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदना!

- मनोज कुलकर्णी

Saturday 27 August 2022

ज़िंदगी प्यार का गीत है..!

गीतकार एवं निर्माता-निर्देशक सावन कुमार टाक जी!

अपने लोकप्रिय भारतीय सिनेमा के जानेमाने गीतकार एवं निर्माता-निर्देशक सावन कुमार टाक जी अब इस दुनिया से रुख़सत हुएं!

१९६७ में खुद लिखी फ़िल्म 'नौनिहाल' की निर्मिति करके वे इस क्षेत्र में आए थे। इसका कैफ़ी जी का "मेरी आवाज़ सुनो.." यह मोहम्मद रफ़ी जी ने गाया दर्दभरा गीत अपने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी की याद से भावुकता से जुड़ा हैं। इसे राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ। इसके बाद १९७२ में 'गोमती के किनारे' फ़िल्म से वे निर्देशक बने। ख्यातनाम अभिनेत्री मीना कुमारी जी की आखरी फ़िल्मों में से यह एक!


'चाँद का टुकड़ा' (१९९४) फ़िल्म के निर्माण के दौरान सलमान ख़ान और श्रीदेवी के साथ सावन कुमार!
सावन कुमार जी प्रतिभाशाली गीतकार भी थे और अपने फ़िल्मों के लिए उन्होंने बख़ूबी गीतलेखन किया। १९७३ में आयी फ़िल्म 'सबक' में शत्रुघ्न सिन्हा जी ने पत्नी पूनम जी के साथ साकार किया "बरखा रानी ज़रा जमके बरसो.." यह उनका रूमानी गीत इस मौसम में याद आता हैं! इसके अलावा उन्होने बड़े अर्थपूर्ण गीत भी लिखें। जैसे की 'सौतन' (१९८३) का "ज़िंदगी प्यार का गीत है.." उनके गीतों को ज़्यादातर उषा खन्ना जी ने संगीतबद्ध किया।

 
 
बतौर फ़िल्मकार उन्होंने अलग-अलग जॉनर्स की लगभग बीस फ़िल्में बनाई। इनमें शुरुआती फ़िल्म के (हरिभाई ज़रीवाला से हुए) संजीव कुमार, फिर राजेश खन्ना से अनिल कपूर और नूतन, रेखा से लेकर श्रीदेवी, पूनम ढिल्लों तक नामचीन कलाकारों ने काम किया। २००६ में आयी उन्हीके नाम की 'सावन' यह सलमान ख़ान स्टारर फ़िल्म उनकी आखरी रहीं!

अब उन्हींने लिखा गीत याद आता हैं, जो शायद वे ज़िंदगी से कह रहें हैं..

"तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बाद.."

उन्हें सुमनांजलि!!


- मनोज कुलकर्णी

एक्सक्लूसिव:

काश मुकेश जी गायक-अभिनेता रहते!


अपनी कुछ अनुनासिक दर्दभरी आवाज़ से दिल को छू लेनेवाले दिग्गज गायक मुकेश जी का आज स्मृतिदिन!

उन्हें सिनेमा की दुनिया में लानेवाले नामचीन कलाकार मोतीलाल जी के लिए उन्होंने पहला गीत गाया था। प्रतिभाशाली अनिल बिस्वास जी के संगीत में 'पहली नज़र' (१९४५) फ़िल्म का वह गाना था "दिल जलता है तो जलने दे.." तब चोटी पर रहे गायक-अभिनेता कुन्दनलाल सैगल जी की तरह ही वह पेशकश थी, जिसे सुन कर उन्हें भी ताज्जुब हुआ था!

'माशूका' (१९५३) फ़िल्म में मशहूर गायिका-अदाकारा सुरैया के नायक मुकेश!
हालांकि, वह पार्श्वगायक की तौर पर उनका पहला प्रयास था और वे खुद सैगल जी के प्रशंसक रहने की वजह से ऐसा हुआ। इसके बाद अपनी गायन शैली उन्होंने विकसित की! लेकिन इस मुकेश चंद माथुर को सिनेमा में पहले लिया गया था गायक-अभिनेता के तौर पर! १९४१ में 'निर्दोष' फ़िल्म में "दिल ही बुझा हुआ हो तो.." गाते वे परदेपर आए थे। इसकी ख़ूबसूरत नायिका थी नलिनी जयवंत! फिर फ़िल्म 'आदाब अर्ज़' (१९४३) में भी वे नायक रहे। उसके एक दशक बाद, (जिनकी आवाज़ बने उस) अभिनेता-फ़िल्मकार राज कपूर की 'आह' (१९५३) में वे अतिथि कलाकार के रूप में दिखाई दिए।

दरमियान मुकेश जी की अभिनेता के तौर पर परदेपर आने की ख़्वाहिश बरक़रार थी। और 'माशूका' (१९५३) फ़िल्म में मशहूर गायिका-अदाकारा सुरैया के नायक बनके वे परदेपर छा गए। दोनों गायक कलाकारों का यह यादगार संगीतमय संगम रहा। रोशन जी के संगीत में "आओ शाम सुंदर.." और "झिलमिल तारे करे इशारे.." ऐसे प्रेमगीत उन्होंने इसमें गाएं! इसके बाद १९५६ में 'अनुराग' में वे उषा किरन के साथ परदेपर आए। इस फ़िल्म के वे सहनिर्माता और संगीतकार भी थे!

उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday 23 August 2022

केसरिया राज बात महिला सशक्तिकरण की हैं करता
और अबलाओं पर अत्याचार करनेवालें हो जातें रिहा!

बहुतही निंदनीय!!

- मनोज कुलकर्णी

Friday 19 August 2022

दुनियाँ में मोहब्बत की अनोखी मिसाल हैं यह..
दिल-ओ-जान से प्यारा हमारा ताजमहल हैं यह!

- मनोज 'मानस रूमानी'

मैंने कई साल पहले खुद ली हुई अपने ताजमहल की यह तस्वीर आज के..
'विश्व छायाचित्र दिन' पर!

- मनोज कुलकर्णी

Monday 15 August 2022

जय हिन्द! 🙏

आज़ादी के अमृत महोत्सव पर यही हैं मनोकामना
धर्मनिरपेक्ष जनतंत्र से खूब प्रगति करे भारत अपना

- मनोज 'मानस रूमानी'

आज़ादी के अमृत महोत्सव पर अपने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र भारत को वंदन एवं शुभकामनाएं!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday 11 August 2022

राखी ऐसी अनमोल होती हमारे हिन्दोस्ताँ में
अंदाज़-ए-यूसुफ़ बंधे रहें इस में स्वरलता से!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(रक्षा बंधन के अवसर पर अपने अभिनय सम्राट दिलीपकुमार जी और स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी के इस रिश्ते की याद!)

- मनोज कुलकर्णी

तीर दोनों तरफ थें; यहाँ बेअसर, वहाँ का लगा
केसरिया सत्ताखेल आखिर लालटेन से रुका;
हरतरफ ये हुआ तो २०२४ में कमल न खिलेगा!

- मनोज 'मानस रूमानी'

(महाराष्ट्र और बिहार की बदलती राजनीति पर!)

Sunday 7 August 2022


स्नेह, प्यार उतरता❣️रहें कलम से..✍️
गुलों की तरह खिलें🌷महके दिलों में💗


- मनोज 'मानस रूमानी'

('फ्रेंडशिप डे' की शुभकामनाएं!)

Wednesday 3 August 2022

हुस्न-ए-बहार मुमताज जहां..मुख़ातिब हुई हो ऐसी..
तो ताजमहल पर शकील लाजवाब शायरी लिखेंगे ही


- मनोज 'मानस रूमानी'

(मशहूर शायर-गीतकार शकील बदायुनी जी के यौम-ए-पैदाइश पर, उनकी 'मलिका-ए-हुस्न' मधुबाला के साथ इस हसीं याद की तस्वीर देखकर लिखा!)

- मनोज कुलकर्णी