Saturday 27 August 2022

एक्सक्लूसिव:

काश मुकेश जी गायक-अभिनेता रहते!


अपनी कुछ अनुनासिक दर्दभरी आवाज़ से दिल को छू लेनेवाले दिग्गज गायक मुकेश जी का आज स्मृतिदिन!

उन्हें सिनेमा की दुनिया में लानेवाले नामचीन कलाकार मोतीलाल जी के लिए उन्होंने पहला गीत गाया था। प्रतिभाशाली अनिल बिस्वास जी के संगीत में 'पहली नज़र' (१९४५) फ़िल्म का वह गाना था "दिल जलता है तो जलने दे.." तब चोटी पर रहे गायक-अभिनेता कुन्दनलाल सैगल जी की तरह ही वह पेशकश थी, जिसे सुन कर उन्हें भी ताज्जुब हुआ था!

'माशूका' (१९५३) फ़िल्म में मशहूर गायिका-अदाकारा सुरैया के नायक मुकेश!
हालांकि, वह पार्श्वगायक की तौर पर उनका पहला प्रयास था और वे खुद सैगल जी के प्रशंसक रहने की वजह से ऐसा हुआ। इसके बाद अपनी गायन शैली उन्होंने विकसित की! लेकिन इस मुकेश चंद माथुर को सिनेमा में पहले लिया गया था गायक-अभिनेता के तौर पर! १९४१ में 'निर्दोष' फ़िल्म में "दिल ही बुझा हुआ हो तो.." गाते वे परदेपर आए थे। इसकी ख़ूबसूरत नायिका थी नलिनी जयवंत! फिर फ़िल्म 'आदाब अर्ज़' (१९४३) में भी वे नायक रहे। उसके एक दशक बाद, (जिनकी आवाज़ बने उस) अभिनेता-फ़िल्मकार राज कपूर की 'आह' (१९५३) में वे अतिथि कलाकार के रूप में दिखाई दिए।

दरमियान मुकेश जी की अभिनेता के तौर पर परदेपर आने की ख़्वाहिश बरक़रार थी। और 'माशूका' (१९५३) फ़िल्म में मशहूर गायिका-अदाकारा सुरैया के नायक बनके वे परदेपर छा गए। दोनों गायक कलाकारों का यह यादगार संगीतमय संगम रहा। रोशन जी के संगीत में "आओ शाम सुंदर.." और "झिलमिल तारे करे इशारे.." ऐसे प्रेमगीत उन्होंने इसमें गाएं! इसके बाद १९५६ में 'अनुराग' में वे उषा किरन के साथ परदेपर आए। इस फ़िल्म के वे सहनिर्माता और संगीतकार भी थे!

उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

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