Wednesday 31 July 2019

सही माने में फिल्म 'निक़ाह' क़ामयाब!


फिल्म  'निक़ाह' (१९८२) के पोस्टर पर राज बब्बर, दीपक पराशर और सलमा आग़ा!  

फ़िल्मकार बी. आर. चोपड़ा.
लेखिका डॉ. अचला नागर.
तीन तप हुए..डॉ. अचला नागर जी ने लिखी और जानेमाने बी. आर. चोपड़ा जी ने निर्देशित की.. फिल्म  'निक़ाह' (१९८२) आकर!..उसने उठाई आवाज को अब सफलता मिली!

उसमें सलमा आग़ा ने व्यक्त किए..
"दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गए.."
यह जज़्बात असरदार रहें!

उनके योगदान को सलाम!! 

- मनोज कुलकर्णी

Friday 26 July 2019

'अंदाज़'-ए-यूसुफ़!


'अंदाज़' (१९४९) में नर्गिस, राज कपूर और दिलीपकुमार..त्रिकोणीय प्रेम!
'अंदाज़' (१९४९) के फ़िल्मकार मेहबूब खान.
मेहबूब खान साहब की क्लासिक फ़िल्म 'अंदाज़' (१९४९) एक मशहूर तथा अभिजात त्रिकोणीय प्रेमकथा थी! इसे अब ७० साल पुरे हो गएँ!

ट्रैजेडी किंग दिलीपकुमार, आशिक़मिजाज राज कपूर और इन दोनों के दिलों में समायी थी..हसीन नर्गिस!

यहाँ इश्क़ का इज़हार कर नहीं पा रहे दिलीपकुमार अपनी गंभीर मुद्रा में प्यार की उदात्त भावना संभाले हुए थे..तो दूसरी तरफ दिलफेंक राज कपूर प्यारका जाल सहजता से बिछाने में माहीर थे! 
'अंदाज़' (१९४९) में नर्गिस और दिलीपकुमार एक भावुक क्षण में!


मेरे इसमें से सबसे दो पसंदीदा सीन्स है..

एक में नर्गिस दिलीपकुमार को कहेती है.. "याद है मैंने कहाँ था की बिजली तो जिस पर गिरने वाली थी वो गिर चुकी है!"

उसपर दिलीपकुमार साँस को अंदर लिए आँखों में मायूसी लेकर बोलता है..
"हाँ बिलकुल याद है..और तुमने ये भी कहाँ था की कोई ग़लतफ़हमी न कर बैठना!"

'अंदाज़' (१९४९) में नर्गिस, राज कपूर और लाजवाब दिलीपकुमार!
दूसरे सीन में राज कपूर और नर्गिस हंसी-मजाक करते हुए पार्टी में आते है और..
वहां मौज़ूद अंदर से टूट चूका दिलीपकुमार अपनी प्यार का दर्द समायी निगाह नर्गिस की तरफ करके बोलता है ".और हम यहाँ आपके इंतज़ार में मुश्ताक़ हो बैठे हैं!"

इन दोनों सीन्स में यूसुफ़साहब ने दिल हिला दिया था!!

बाद में १९६४ में राज कपूर ने इस रोमैंटिक प्लॉट को लेकर 'संगम' बनायी थी, जिसमें राजेंद्र कुमार और वैजयंतीमाला के साथ खुद उसी भूमिका में आये थे! इस फ़िल्म ने व्यावसायिक सफलता तो हासिल की; लेकिन भावनाओं का वह दिल छू लेने वाला 'अंदाज' ला न सकी!

मेहबूबसाहब का वह 'अंदाज़' चोटी का था..जो कभी भूलेंगे नहीं!!

- मनोज कुलकर्णी

Sunday 21 July 2019

हमारी राजधानी दिल्ली की लगातार (१९९८ से २०१३) तीन बार मुख्यमंत्री रहीं कॉंग्रेस की श्रीमती शीला दीक्षित जी के निधन से दुख हुआ!

उनके कार्यकाल में हमारा 'आंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह' ('इफ्फी') दिल्ली के 'सीरी फोर्ट' में शान से हुआ करता था! उसी के एक जश्न में उनसे हुई मेरी अच्छी मुलाक़ात आज याद आ रही हैं! 

उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday 11 July 2019

"तुम्हारे अंजुमन से उठ कर दीवाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुमसे वो अफ़साने कहाँ जाते.."

हो या..
"वो दिल ही क्या जो तेरे मिलने की दुआ ना करे.."

ऐसा रूमानी लिखनेवाले दोनों मुल्कों में मक़बूल.. (सरहद पार के) मरहूम शायर क़तील शिफ़ाई जी का आज स्मृतिदिन!

उन्हें यहाँ भी 'अमीर खुसरो सम्मान' से नवाज़ा गया था!

उन्हें सुमनांजली!!

- मनोज कुलकर्णी

Wednesday 10 July 2019

लॉलीवूड की धून बॉलीवुड में!


"हवा हवा.." गाने से मशहूर हुआ पाकिस्तानी पॉप सिंगर हस्सन जहांगीर और..
अब बॉलीवुड के 'मुबाऱकन' में अर्जुन कपूर और इलीना डी'क्रूज़ पर फ़िल्माया "हवा हवा.."

आजकल नए गानें और धुनें की कल्पनाए बॉलीवुड में कुछ कम नज़र आती हैं..पुराने पॉपुलर गानें और धुनें नए सिरे से सामने आने लगे हैं! जैसे की 'सुहाग' (१९७९) के दांडिया गीत पर पिछले साल आयी 'लव यात्री' का "छोगाड़ा तारा.." नए कलाकारों को नचाता गया। तो १९९६ की फ़िल्म 'तेरे मेरे सपने' के "आँख मारे ओ लड़का आँख मारे.." इस गाने का दूसरा संस्करण पिछले साल प्रदर्शित 'सिम्बा' में आया "आँख मारे ओ लड़की आँख मारे.."

'क़ुर्बानी' (१९८०) में  "आप जैसा कोई" 
गाना पेश करती ज़ीनत अमान!
"आप जैसा कोई" गानेवाली पाकिस्तानी 
ख़ूबसूरत पॉप सिंगर नाज़िया हस्सन!
यह तो हुई यही की बात..मगर सरहद के उस पार की धूने भी बॉलीवुड में फिर से आने लगी हैं! जैसे एक साल पहले की फिल्म 'मुबाऱकन' का अर्जुन कपूर और इलीना डी'क्रूज़ पर फ़िल्माया "हवा हवा ए हवा मुझको उड़ा ले.." १९८० के दशक में पाकिस्तानी पॉप सिंगर हस्सन - जहांगीर के बहोत मशहूर हुए "हवा हवा ए हवा ख़ुशबू लुटा दे.." पर ही था! 

हालांकि १९८० में प्रदर्शित फ़िरोज़ ख़ान की फ़िल्म 'क़ुर्बानी' में ज़ीनत अमान पर फ़िल्माया हिट गाना "आप जैसा कोई मेरे ज़िंदगी में आए.." पाकिस्तानी ख़ूबसूरत पॉप सिंगर नाज़िया हस्सन ने गाया था 
और वही के बिद्दु ने संगीतबद्ध किया था! 
जानेमाने बी. आर.चोपड़ा की फ़िल्म 'निक़ाह' (१९८२) और उसमे..
"चुपके चुपके.." गानेवाले पाकिस्तानी मशहूर ग़ज़ल गायक ग़ुलाम अली!


ग़ौरतलब हैं की अपने.. जानेमाने फ़िल्मकार बी.- आर.चोपड़ा ने 'निक़ाह' (१९८२) में पाकिस्तानी.. मशहूर ग़ज़ल गायक ग़ुलाम अली की "चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद हैं.." ली थी और इस फ़िल्म की नायिका भी वही की सलमा आगा थी!

संगीत-कला के क्षेत्र में आदान-प्रदान होना ठीक बात हैं; लेकिन नक़ल ना हो इस पर ध्यान देना चाहीए!!

- मनोज कुलकर्णी

Monday 1 July 2019

रूपहले पर्दे की कभी ज़ीनत थी..
मुमताज़ जहाँ, नर्गिस, महजबीं!

तो फिर आज क्यों मुरझा गई..
अदाकारी की कश्मीर की कली?


- मनोज 'मानस रूमानी'