Friday 25 February 2022


"है दुनिया उसी की, ज़माना उसी का
मोहब्बत मे जो हो गया हो किसीका.."

ऐसे रूमानी नग़्मे (ज़्यादा तर ओ. पी. - नय्यर के संगीत में आएं) अपने रोमैंटिक सिनेमा को देनेवाले..शमसुल हुदा बिहारी तथा एस. एच. बिहारी जी को ३५ वे - स्मृतिदिन पर सुमनांजलि!

- मनोज कुलकर्णी
संगीतकार अनिल बिस्वास, गायिका लता मंगेशकर और गायक तलत महमूद!
"सीने में सुलगते हैं अरमां..
आँखों में उदासी छाई हैं.."

फ़िल्मों में ग़ज़ल मशहूर करनेवाले मख़मली आवाज़ के मालिक तलत महमूद जी ने गाया यह नग़्मा, जो मेरे दिल के करीब हैं..
कल उनके जनमदिन पर याद आया!

इसे प्रेम धवन जी ने लिखा और प्रतिभाशाली अनिल बिस्वास जी के संगीत में स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी के साथ उन्होंने गाया था।

'तराना' (१९५१) फ़िल्म में जानेमाने दिलीप कुमार और ख़ूबसूरत मधुबाला पर यह तरलता से फ़िल्माया गया था।

 
'तराना' (१९५१) के रूमानी दृश्य में मधुबाला और दिलीप कुमार!
अपने शहंशान-ए-अदाकारी युसूफ ख़ान (दिलीप कुमार) और मलिका-ए-हुस्न.. मुमताज़ जहां (मधुबाला) के बीच प्यार के गुल इसी फ़िल्म से खिले थे, जिसका उन दोनों का और एक रूमानी गीत मशहूर हैं..
"नैन मिले नैन हुए बावरे.."
(फिर दस साल में 'मुग़ल-ए-आज़म' तक इनका प्यार परवान चढ़ा!)

ख़ैर, अनिलदा, तलतजी और लतादीदी ये तीनों अब इस दुनिया में नहीं!
इनको यह सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी
 
'ख़ामोशी' और 'सावरियां' जैसी विदेशी चित्रकृतियों पर आधारित फ़िल्मे, बाद में 'बाजीराव मस्तानी' और 'पद्मावत' जैसी नामांकित ऐतिहासिक फ़िल्मे और अब 'गंगूबाई' जैसी फ़िल्म लेकर आए बॉलीवुड के संजय लीला भंसाली को अभी हुई सालगिरह मुबारक़!

 
(बम्बई में १९९५ में हुए 'इफ्फी' के दौरान ली हुई हमारी यह अनोखी तस्वीर!)

- मनोज कुलकर्णी

Saturday 19 February 2022

"एक प्यार का नगमा है
मौजों की रवानी है..
ज़िंदगी और कुछ भी नहीं
तेरी मेरी कहानी है.."


अपनी स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी ने दर्दभरे आवाज़ के मालिक मुकेश जी के साथ गाया यह गीत मेरे दिल के बहुत करीब हैं। दोनों अब इस दुनिया में नहीं।

संजीदा कवि संतोष आनंद जी ने लिखा यह गीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी ने संगीतबद्ध किया था..जानेमाने अभिनेता-फ़िल्मकार.. मनोज कुमार जी की हटके फॅमिली-सोशल फ़िल्म 'शोर' (१९७२) के लिए! संवेदनशील अभिनेत्री नंदा जी ने
इसमें उसी जज़्बेमें इसे मनोज कुमार जी के साथ साकार किया था।

इस गाने की खास बात यह थी की इसमें.. खुद प्यारेलाल जी ने वायलिन बजाया था। मेरी उनसे हुई मुलाकात में मैंने इसकी तारीफ़ की थी तब वे प्यार से मुस्कुराए थे! अपने गुज़रे साथी..लक्ष्मीकांत जी को याद करके वे यह बजाते हैं!

'शोर' को ५० साल हुएं लेकिन जब यह गीत सुनता हूँ मेरी आँखें नम हो जाती है..किसी की याद में!


- मनोज कुलकर्णी

जब मिली संगीत की दो मलिकाएं! 

 
'गानसम्राज्ञी' लता मंगेशकर जी और 'लिका-ए-तरन्नुम' नूरजहां जी का प्यार से मिलना!

अपनी गानसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी गुज़र जाने के बाद पुरे विश्वभर से दुख जताया गया। इसमें भी विशेष रहीं सरहद के उस पार (पकिस्तान और बांग्लादेश) से आयी भावुक प्रतिक्रियाएं!

इस संदर्भ में याद आयी मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहां जी की, जो बटवारे से पहले यहाँ अपने सिनेमा-संगीत की चोटी की गायिका-अभिनेत्री थी। (इसके बारे में मैंने पिछले साल उनपर लेख लिखा था।) लता दीदी उनसे प्रभावित थी और नूरजहां जी का दुलार भी उन्हें मिला! बाद में वो अपने शौहर फ़िल्मकार शौकत हुसैन रिज़वी के साथ पाकिस्तान चली गई।

गानसम्राज्ञी लता मंगेशकरजी और लिका-ए-तरन्नुम नूरजहांजी का प्यार से गले मिलना!
ख़ैर, ये दो संगीत की अज़ीम सहेलियाँ एक-दूसरे को अक्सर याद करती रहीं। जानकारी के मुताबिक, १९५२-५३ के दरमियान 'झांजर' नाम की फ़िल्म के संगीत के सिलसिले में लता दीदी और संगीतकार सी. रामचंद्र जी अमृतसर गएँ थे। वहां से लाहौर नज़दीक, तो लता दीदी को नूरजहां जी की याद आयी, जो तब वहां थी। फिर बड़ी मुश्किल से सी. रामचंद्र जी ने उन दोनों की टेलीफ़ोन कॉल लगा दी! 
जैसे इन दोनों ने एक-दूसरे की आवाज़ें सुनी, वो भावुक हो गई। उस वक्त दोनों ने मिलने की इच्छा जाहिर की, जो तकनिकी तौर पर असंभव था। लेकिन उनकी ज़िद पूरी करने के लिए दोनों मुल्कों से वाघा सरहद पर इस मुलाक़ात का आयोजन किया गया। और वे दोनों वहां जब मिली, तब उनकी आँखों से प्यार के आंसू छलक रहें थें!

इसके लगभग तीन दशक बाद नूरजहां जी भारत आयी थी..उनका 'अनमोल घड़ी' (१९४६) का नौशाद जी ने संगीतबद्ध किया नग़्मा गातें..
 "आवाज़ दे कहाँ हैं.."
और लता दीदी उनसे ख़ूब गले लगी!!

अब संगीत की ये दो मलिकाएं इस दुनिया में नहीं।
उनको मेरी सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी
'भारतरत्न'..लतादीदी और भूपेनदा!!

"दिल हूम हूम करे s घबराए.."

गुलज़ार जी ने लिखा और हमारी गानसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी ने गाया यह दर्दभरा गीत अब उन्ही के लिए मन में गूँज रहां हैं!

संवेदनशील निर्देशिका कल्पना लाज़मी की 'रुदाली' (१९९३) फ़िल्म के लिए असम के कला सिनेमा क्षेत्र के दिग्गज भूपेन हजारिका जी के संगीत में उन्होंने यह गाया था। इसे फ़िल्माया गया था लोकप्रिय अभिनेत्री डिंपल कपाडिया पर..जिन्हे इसके लिए नेशनल अवार्ड मिला।

प्रादेशिक संगीतकला को उन्होंने हमेशा अपनी सुरीली आवाज़ से ऊर्जा दी हैं लतादीदी जैसी कल्पनाजी और भूपेनदा से हुई मेरी मुलाकातें अब याद आ रहीं हैं..ऐसे सब दिग्गजों का मुझे स्नेह ही मिला!

आज ये इस दुनिया में नहीं!
उन्हें मेरी सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

मजरूह जी और लता जी!



"रहें ना रहें हम..महका करेंगे.."

अपनी सुरों की मलिका लता मंगेशकर जी ने गाया हुआ एक भावतरल गीत जिसे मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी जी ने लिखा था।
'ममता' (१९६६) फ़िल्म के लिए रोशन जी के संगीत में उन्होंने यह गाया था और जानीमानी अभिनेत्री सुचित्रा सेन पर फ़िल्माया गया था।

कुछ दिन पहले मैंने इसके बारे में लिखा था..अब लताजी गुज़र जाने के बाद यह उनके प्रमुख गीतों में सब जगह दिखा-सुना रहे हैं।

ख़ैर, मजरूहजी और लताजी ये दोनों अज़ीम और मेरे अज़ीज..जिनसे मैं मिला और उनका मुझे प्यार भी मिला!

आज मुझे उस नग़्मे के साथ इन दोनों की बहुत याद आ रही हैं!!

दोनों को सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday 17 February 2022

अलग फ़िल्मों का 'नज़राना' देकर चले गए रवि टंडनजी!


कन्या मशहूर अभिनेत्री रवीना टंडन के साथ जानेमाने फ़िल्मकार रवि टंडन जी!

'वैलेंटाइन वीक' में ही.."खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों.." इस गाने को लेकर ऋषि कपूर-नीतू सिंह जोड़ी की पहली हिट 'खेल खेल में' (१९७५) बनानेवाले जानेमाने फ़िल्मकार रवि टंडन जी ने इस जहाँ से रुख़सत ली!

१९६० में आर. के. नय्यर की 'लव इन शिमला' से उन्होंने बतौर सहाय्यक निर्देशक काम शुरू किया था। नैयरजी की पत्नी मशहूर अभिनेत्री साधना की वह पहली फ़िल्म, जिसमें रविजी ने छोटी भूमिका भी निभाई। बाद में १९७३ में उन्होंने 'अनहोनी' इस सस्पेंस फ़िल्म का स्वतंत्र रूप से निर्देशन किया। इसके नायक संजीवकुमार उनके करीबी दोस्तों में रहें। १९७५ को उसी को लेकर उन्होंने 'अपने रंग हजार' फ़िल्म का निर्माण भी किया।

'खुद्दार' (१९८२) फ़िल्म के शूटिंग के दौरान संजीवकुमार, रवि टंडन और अमिताभ बच्चन!
दरमियान १९७४ में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को लेकर 'मजबूर' यह हटके फ़िल्म टंडन जी ने बनाई। दिमागी मरीज के अजब स्टंट के इर्दगिर्द घूमनेवाली इस क्राइम - थ्रिलर को सलीम-जावेद जी ने लिखा था। कुछ साल बाद अमिताभ को ही लेकर - (मशहूर कॉमेडियन मेहमूद के भाई) अनवर अली सहनिर्मित 'खुद्दार' (१९८२) इस कादर ख़ान लिखित फ़िल्म को उन्होंने बनाया। 
ये दोनों फिल्मे सुपरहिट रहीं।

अपनी जानीमानी अभिनेत्री स्मिता पाटील अभिनीत 'नज़राना' (१९८७) वो गुज़रने के बाद उसकी स्मृति को समर्पित की गई..यह टंडन जी की भी आख़री फ़िल्म रही!

 
बॉलीवुड स्टार रवीना टंडन उनकी बेटी, लेकिन ग़ौरतलब की ('खुद्दार' बनानेवाले) टंडनजी ने उसे परदे पर लाने के लिए कोई फ़िल्म नहीं बनाई। रवीना ने अपने बलबूते पर १९९१ में 'पत्थर के फूल' से अपना फ़िल्म डेब्यू किया। जी. पी. सिप्पी निर्मित इस हिट फ़िल्म में सलमान ख़ान उसका नायक था।

ख़ैर, सभी जॉनर्स की फ़िल्मे बनाने में माहिर टंडन जी को यह सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday 15 February 2022


कही जाती हैं दिल की हर बात जिनका लेकर नाम
फ़िक्र–ए–दुनिया के वे अज़ीम शायर रहे हैं ग़ालिब

- मनोज 'मानस रूमानी'

उर्दू तथा पर्शियन शायरी के अज़ीम-ओ-शान शख्सियत मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ान...
तख़ल्लुस 'ग़ालिब' साहब को उनके स्मृतिदिन पर सलाम.!!

- मनोज कुलकर्णी

Monday 14 February 2022


'वैलेंटाइन डे' पर दिल चाहे..
नफ़रत मिटे, भाईचारा जागे, प्यार फैले
अमन हो..सारे जहाँ में.!

- मनोज 'मानस रूमानी'

Sunday 13 February 2022

फैज़ साहब और हमारी रूमानियत!

 
"गुलों में रंग भरे..बाद-ए-नौबहार चले.. चले भी आओ.."
इस वैलेंटाइन वीक में, हमारी रूमानियत से जुड़ी फैज़ जी की ऐसी रूमानी शायरी याद आयी!

वैसे "हम देखेंगे" जैसी यथार्थवादी नज़्म लिखनेवाले फैज़ जी की कलम ने..
शब-ए-फ़ुर्क़त के जज़्बात ऐसे बख़ूबी बयां किए हैं..
"आपकी याद आती रही रात-भर..
चाँदनी दिल दुखाती रही रात-भर.!"
यह हमारे दिल के क़रीब है..जो हम अपनी हमनफ़स की याद में गुनगुनाते हैं!

फैज़ जी की वह नज़्म मुज़्ज़फ़्फ़र अली की फ़िल्म 'गमन' (१९७८) में अलग अंदाज़ के गीत में आयी, जिसे लिखा था जानेमाने मख़दूम मोहिउद्दीन जी ने!
स्मिता पाटील पर फ़िल्माया हुआ यह गीत जयदेव जी के संगीत में छाया गांगुली जी ने गाया था जो मशहूर हुआ ..
"आप की याद आती रही रात भर..
चश्म-ए-नम मुस्कुराती रही रात भर.."

फैज़ जी की शायरी से मुतासिर और भी नग़्मे हमारे फ़िल्मों में आएं, जैसे की उनका एक मशहुर शेर हैं..
"हम से कहते हैं चमन वाले ग़रीबान-ए-चमन...
तुम कोई अच्छा सा रख लो अपने वीराने का नाम.!"

इससे प्रेरित होकर शायद जावेद अन्वर जी ने 'शबनम' (१९६४) फ़िल्म के लिए यह गीत लिखा होगा..
"मैंने रखा है मोहब्बत अपने अफसाने का नाम...
तुम भी कुछ अच्छा सा रख दो अपने दीवाने का नाम.!"
अज़ीज़ मोहम्मद रफ़ी जी ने गाया यह नग़्मा भी हमारे दिल के क़रीब हैं।

दोनों मुल्कों में मक़बूल, पाकिस्तान के अज़ीम और हमारे भी अज़ीज़ शायर..फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ साहब को उनके..१११ वे - यौम-ए-पैदाइश पर सलाम!

- मनोज कुलकर्णी
"अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान.."

गानसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी ने गायी तरक्कीपसंद शायर साहिर लुधियानवी जी की यह बेहतरीन नज़्म हालातों के मद्देनज़र मुझे अब याद आयी।

जयदेव जी ने संगीतबद्ध की हुई यह नज़्म देव आनंद जी की फ़िल्म 'हम - दोनों' (१९६१) में संवेदनशील अभिनेत्री नंदा जी ने भावुकता से सादर की थी।

इसे ६० साल पुरे हुएं हैं; लेकिन इसका समकालीन मूल्य अभी भी बरक़रार हैं।

इनको सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी

🙏 बाबासाहब के विचारों को ध्यान में रखें!

सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ आवाज़ उठानेवाली हमारे सेक्युलर इंडिया की बहादुर लड़की पर हमे नाज हैं!

- मनोज कुलकर्णी

Wednesday 9 February 2022

"सभी ऐहले दुनिया ये कहते हैं हमसे
के आता नहीं कोई मुल्क-ए-अदम से
आज ज़रा शान-ए-वफ़ा देखे ज़माना
तुमको आना पड़ेगा.."

साहिर के 'ताजमहल' (१९६३) फ़िल्म के "जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा" गीत का यह अंतिम चरण..जिन्होंने गाया वे अज़ीम और मेरे अज़ीज़ मोहम्मद रफ़ी जी और लता मंगेशकर जी के लिए मुझे अब याद आया।

हालांकि पुनर्जन्म पर विश्वास नहीं..लेकिन मेरे मन में रफ़ीजी और लताजी के लिए "आप को फिर आना होगा" ऐसे जज़्बात उभर आएं हैं!

- मनोज कुलकर्णी

"चलो दिलदार चलो 
चाँद के पार चलो.."
कहकर सुरों के शहंशाह मोहम्मद रफ़ी जी ने ४० साल पहले इस जहाँ से रुख़सत ली थी और अब..
"हम है तैयार चलो.." ऐसी उन्हें साथ देकर सुरों की मलिका लता मंगेशकर जी ने इस जहाँ को छोड़ा है!

मेरे मन में अपने इन दो अज़ीम फ़नकारों का यह अमर नग़्मा गूँज रहा हैं..
शायद चाँद के उस पार मौसीक़ी का ख़ूबसूरत जहाँ होगा उनका!

लेकिन मेरे ये दो अज़ीज अब इस दुनियां में नहीं हैं इससे मन दुखी है!
 
उन्हें मेरी सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

यह है हमारी शान-ए-हिन्दोस्ताँ
जानो सबका इबादत का ज़रिया
अक़ीदत और मोहब्बत के साथ
जन्नत बक्श ने की ही है दुआ!

- मनोज 'मानस रूमानी'
 
 
हमारी गानसम्राज्ञी लता मंगेशकरजी का अंतिम दर्शन लेते शाहरुख़ खान और महिला सहकारी के छायाचित्र पर लिखा!

- मनोज कुलकर्णी

Sunday 6 February 2022

भाग्यशाली मैं!


🥀
गान सरस्वती के दरबार में
जीवन का एक सुनहरा पल
अपनापन से हुई सुरीली बातें
जीवन संगीत से भरी महफ़िल
 
- मनोज 'मानस रूमानी' 
 
हमारी पूज्य भारतरत्न लता मंगेशकरजी आपके चरणों मे सादर प्रणाम!!!
🙏
 
- मनोज कुलकर्णी