Saturday 19 February 2022

"एक प्यार का नगमा है
मौजों की रवानी है..
ज़िंदगी और कुछ भी नहीं
तेरी मेरी कहानी है.."


अपनी स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी ने दर्दभरे आवाज़ के मालिक मुकेश जी के साथ गाया यह गीत मेरे दिल के बहुत करीब हैं। दोनों अब इस दुनिया में नहीं।

संजीदा कवि संतोष आनंद जी ने लिखा यह गीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जी ने संगीतबद्ध किया था..जानेमाने अभिनेता-फ़िल्मकार.. मनोज कुमार जी की हटके फॅमिली-सोशल फ़िल्म 'शोर' (१९७२) के लिए! संवेदनशील अभिनेत्री नंदा जी ने
इसमें उसी जज़्बेमें इसे मनोज कुमार जी के साथ साकार किया था।

इस गाने की खास बात यह थी की इसमें.. खुद प्यारेलाल जी ने वायलिन बजाया था। मेरी उनसे हुई मुलाकात में मैंने इसकी तारीफ़ की थी तब वे प्यार से मुस्कुराए थे! अपने गुज़रे साथी..लक्ष्मीकांत जी को याद करके वे यह बजाते हैं!

'शोर' को ५० साल हुएं लेकिन जब यह गीत सुनता हूँ मेरी आँखें नम हो जाती है..किसी की याद में!


- मनोज कुलकर्णी

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