Sunday 31 January 2021


शबाब आपका यूँ बरक़रार रहें
तबस्सुम रुख़ पर खिलती रहें
दिलकश गुल वहां लुभाता रहें
शोख़ हुस्न की ज़ीनत ही रहें!

- मनोज 'मानस रूमानी'


अपने भारतीय सिनेमा की शोख़ ख़ूबसूरत अदाकारा और मेरी कुछ ख़ास पसंदीदा प्रीति ज़िंटा को सालगिरह की मुबारक़बाद!

- मनोज कुलकर्णी

Wednesday 20 January 2021

'अलबेला' क्रेज़ बरक़रार!


'अलबेला' (१९५१) फ़िल्म के "ओ बेटा जी.." गाने में भगवान दादा!

सत्तर साल हुए भगवान दादा की 'अलबेला' फ़िल्म को, जिसमें उनके मशहूर डांस और चितलकर जी के गानों पर थिएटर झूम उठता था!

अनुराग बासु की फ़िल्म 'लूडो' (२०२०) के "ओ बेटा जी." गाने में पंकज त्रिपाठी!
उसका जलवा अबभी बरक़रार हैं। भगवान दादा पर उस नाम की मराठी फ़िल्म बनी।
अब लगता है, अनुराग बासु की हिंदी फ़िल्म 'लूडो' ने 'अलबेला' का "ओ बेटा जी ओ बाबूजी किस्मत की हवा कभी नरम.." का नया वर्शन बख़ूबी इस्तेमाल किया!

इस कदर वह पॉपुलर हुआ है की, इंस्टाग्राम पर भी कुछ सेलेब्रिटीज के उसपर डांस करते विज़ुअल नज़र आएं!..और पिछले 'बिग्ग - बॉस' की सेंसेशन शहनाज़ गिल का भी उसपर डांस का वीडियो आया है!

"ओ बेटा जी." गाने पर थिरकती ख़ूबसूरत शोख़ शहनाज़ गिल!

भगवान दादा लिखित-निर्मित-निर्देशित 'अलबेला' (१९५१) में दिन में आर्टिस्ट होने के सपने देखनेवाले उस किरदार में बावर्चीख़ाने में काम के समय उन्होंने यह साकार करके धूम मचाई थी। इस के संगीतकार सी. रामचंद्र जी ने इसके लिए वाकई बर्तनोंके आवाज़ इस्तेमाल किएं थे और दादा के अंदाज़ में ही (मूल चितलकर नाम से) गाया था।

'अनारकली' (१९५३) में लता मंगेशकर जी ने गाए.. "ये ज़िन्दगी उसी की है जो किसी का हो गया.." जैसे तरल प्रेमगीत संगीतबद्ध करनेवाले प्रतिभावान सी. रामचंद्र जी दूसरी तरफ ऐसे गाने करके समय के आगे चले!

संगीतकार-गायक चितलकर तथा सी. रामचंद्र!


'अलबेला' के संगीत में उन्होंने बोंगो ड्रम्स, सेक्सोफोन्स जैसी वाद्यों का इस्तेमाल करके काफ़ी वेस्टर्न प्रयोग भी किए। जो उसमें "शोला जो भड़के, दिल मेरा धड़के.." और "ये दीवाना, ये परवाना.." जैसे (भगवानदादा-गीता बाली के) गानों के डांस में नज़र आतें हैं।

इसकी और एक मिसाल तो पहले १९५० में बनी 'समाधी' इस अशोक कुमार और नलिनी जयवंत की फ़िल्म के लिए उन्होंने संगीतबद्ध किए "गोरे गोरे ओ बांके छोरें.." गाने में ही मिलती है।

यह गाना भी आज के बॉलीवुड को लुभानेवाला है!

- मनोज कुलकर्णी

Saturday 16 January 2021

नय्यरसाहब..तुमसा नहीं देखा!

लोकप्रिय संगीतकार ओ. पी. नय्यर जी को सालगिरह पर फूलों का गुलदस्ता देता मैं!



 
"उधर तुम हसीन हो..
इधर दिल जवान है..

मधुबाला के लाजवाब हुस्न को निखारता.. गुरुदत्त की क्लासिक रोमैंटिक 'मिस्टर एंड मिसेस ५५' का यह रूमानी गीत आज मन में आया।

मोहम्मद रफ़ी और गीता दत्त ने गाए इस गाने के लोकप्रिय संगीतकार ओ. पी. नय्यर जी का आज ९४ वा जनमदिन।

मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले से गाने की रिकॉर्डिंग करवाते संगीतकार ओ. पी. नय्यर

अपने टिपिकल रिदम के लिए मशहूर नय्यर जी की ऐसी तरल रूमानी कम्पोज़िशन्स मुझे ज्यादा भायी..जो उन्होंने गुरुदत्त की फिल्मों के लिए खासकर बनायीं। उसीमें एक 'बहारे फिर भी आएगी' (१९६६) का रफ़ीजी ने गाया रूमानी.. "आप के हसीन रुख़ पे.."

हालांकि १९५५ से ही नय्यर जी का वो फेमस (टांगा) रिदम शुरू हुआ था। जिसपर 'बाप रे बाप' में "पिया पिया पिया मेरा जिया पुकारे.." यह आशा भोसले और किशोर कुमार ने अपने अंदाज़ में गाया। बादमे मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले की आवाज़ में ही उन्होंने अपने ज्यादातर हिट गानें रिकॉर्ड किएं। 

'कश्मीर की कली' (१९६४) के "तारीफ़ करू क्या.." गाने में शर्मिला टैगोर और शम्मी कपूर!
इसमें बी. आर. चोपड़ा की.. 'नया दौर' (१९५६) का दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला पर फ़िल्मा या "मांग के साथ तुम्हारा.." और फिर रोमैंटिक म्यूजिकल्स के लिए मशहूर नासिर हुसैन की आशा पारेख अभिनीत फ़िल्मों के उनके शीर्षक गीत जैसे की..शम्मी कपूर स्टार्रर 'तुमसा नहीं देखा' (१९५७) और जॉय मुख़र्जी स्टार्रर 'फिर वही दिल लाया हूँ' (१९६३). इसके अलावा शक्ति सामंथा की शर्मिला टैगोर अभिनीत फ़िल्मों के गानें जैसे की..शम्मी कपूर वाली 'कश्मीर की कली' (१९६४) का "तारीफ़ करू क्या उसकी.." और मनोज कुमार वाली 'सावन की घटा' (१९६६) का "ज़रा होल्ले होल्ले चलो मोरे साजना.."

रोमैंटिक 'मेरे सनम' (१९६५) के गाने में बिस्वजीत और आशा पारेख
उन्होंने अपने उस पॉपुलर रिदम से हटकर कुछ सॉफ्ट कम्पोज़िशन्स भी बनाई। उसमें जॉय मुख़र्जी की फिल्मों के कुछ गानें थें जैसे 'एक मुसाफिर एक हसीना' (१९६२) का "आप यूँ ही अगर हमसे मिलते रहे..", 'हमसाया' (१९६८) का "दिल की आवाज़ भी सुन.." दरमियान, हॉलीवुड की हिट रोमैंटिक - म्यूजिकल 'कम सप्टेम्बर' की बनी हिंदी रीमेक 'मेरे सनम' (१९६५) का उनका म्यूजिक सुपरहिट रहा। बिस्वजीत-आशा पारेख इस रूमानी जोड़ी पर फ़िल्माएं इसके "हुए है तुमपे आशिक़ हम..", "हमदम मेरे.." और "जाइये आप कहाँ जायेंगे.." गानें लाजवाब रहें।

बाद में 'प्राण जाये पर वचन न जाये' (१९७३) और 'हीरा मोती' (१९७९) जैसी देमार, एक्शन फिल्मों के लिए उन्होंने कम्पोज किएं गानें भी उनकी टिपिकल छाप छोडनें लगें। जैसे वो अपनी ही फेवरेट ट्यून से लगे रहें!

नय्यर जी की सालगिरह महफ़िल में मैं शरीक़ हुआ था। मेरे पसंदीदा उनके रूमानी गानों पर अच्छी बातें हुई और उन्हें फूलों का गुलदस्ता भी नज़र किया था।

आज उन्हें यह सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

Friday 15 January 2021

'हिंदुस्तान की कसम' (१९७३) फ़िल्म के उस गाने में राज कुमार!

शायर-गीतकार कैफ़ी आज़मी!
ना झुकेगा सर वतन का
हर जवान की कसम..
'हिंदुस्तान की कसम"

आज के अपने 'भारतीय सेना दिन' पर कैफ़ी आज़मी ने लिखा यह गीत याद आया।

सत्तर के दशक में बनी चेतन आनंद की क्लासिक फ़िल्म का यह शीर्षक गीत।
फ़िल्मकार चेतन आनंद!


 
मदन मोहन के संगीत में मोहम्मद रफ़ी और मन्ना डे ने यह जोशपूर्ण गाया था।

बुलंद डायलॉगबाजी से इसे शुरू करनेवाले राज कुमार का इसमें फ़ौजी अफ़सर का रूतबा कमाल का था। 

कैफ़ी साहब का कल १०२ वा जनमदिन था!

इन सबको सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday 14 January 2021

लोहड़ी, बिहु, पोंगल और संक्रांति
हरीभरी मीठी करे सबकी ज़िंदगी

- मनोज 'मानस रूमानी'

इन त्योहारों की शुभकामनाएं!!

- मनोज कुलकर्णी

Wednesday 13 January 2021

यूँ तो आसमाँ के सितारें..
सब देखां करतें हैं जमीं से
करतें हैं सफर भी सपनों में!

वो राकेश शर्मा ही होते है,
जो उनसें रु-ब-रु होते है..
उनमें एक सितारा बनते है!

- मनोज 'मानस रूमानी'


 
 
'अशोक चक्र' से सम्मानित, अपने भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री (उम्र ७० का पड़ाव पार किए) श्री. राकेश शर्माजी को जनमदिन की मुबारक़बाद!

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday 12 January 2021

इंदिराजी की लाड़ली पोती
उनकी प्रतिरूप ही जैसी!
उनके नक़्श-ए-क़दम चलो..
सालगिरह मुबारक़ प्रियंकाजी!

- मनोज 'मानस रूमानी'


'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की महासचिव मिसेस.. प्रियंका गाँधी-वाड्रा को जनमदिन की शुभकामनाएं!

💐 

 - मनोज कुलकर्णी

Monday 11 January 2021

यथार्थ जीवनवादी साहित्यकार!



ख्यातनाम मराठी साहित्यकार वि. स. खांडेकर जी का आज १२३ वा जनमदिन!



'ज्ञानपीठ पुरस्कार' प्राप्त करनेवाले वे पहले मराठी साहित्यकार थे।

'अमृतवेल' और बहुसम्मानित 'ययाति' जैसे उनके उपन्यास जीवन के प्रति देखने की दृष्टी देतें हैं।

कुछ मराठी, तेलुगु, तमिल और हिंदी फ़िल्में भी उनकी साहित्यकृतियों पर बनी। उनमे 'छाया' (१९३६), ज्वाला' (१९३८), 'देवता' (१९३९), 'अमृत', 'धर्मपत्नी' (१९४१) और 'परदेशी' (१९५३) शामिल हैं।


अखिल भारतीय मराठी साहित्य संमेलनाध्यक्ष और 'साहित्य अकादमी पुरस्कार', 'पद्मभूषण' से वे सम्मानित हुएं!

उन्हें विनम्र सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

 

Sunday 10 January 2021

'विश्व हिंदी दिवस' यूँ मनातें रहें हम
जुड़ी रहे यह अपनी भाषा बहनों संग

- मनोज 'मानस रूमानी'

Friday 8 January 2021

शबनम बैग, दिलीपकुमार, मनोजकुमार और मैं!




अपने भारतीय सिनेमा के दो बेहतरीन अदाकार..दिलीपकुमार और मीनाकुमारी की ऊपर की क्लासिक इमेज है ज़िया सरहदी की फ़िल्म 'फुटपाथ' (१९५३) से। इसमें कंधे पर बैग लिए दिलीपकुमार ने पत्रकार की भूमिका की थी

हालांकि वह बैग 'फ़िल्मिस्तान' की 'शबनम' (१९४९) से दिलीपकुमार ने शुरू की थी; इसलिए उसी नाम से मशहूर हुई। बादमें पत्रकार उसी शबनम बैग को अपने कंधेपर लटकाएं दिखाई देने लगें।


इससे जुडी और खास बात यह की, 'शबनम' में दिलीपकुमार का नाम 'मनोज' था। अपने जानेमाने अभिनेता-फ़िल्मकार मनोज - कुमार का वह नाम उन्ही से आया। उनका मूल नाम था हरिकिशन गोस्वामी लेकिन उनके दिलीपकुमार चहेते कलाकार थे तो सिनेमा के लिए उन्होंने उनका मशहूर नाम 'मनोज' ही लिया


 
मनोजकुमार की शोहरत देखकर मेरा नाम उन्ही से रखा गया। यह मैंने उनको बताया, तब उन्होंने प्यार से मुझे नज़दीक लिया था!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday 7 January 2021

नाम की तरह था इरफ़ान
इल्म पर ही चलता इंसान
मुख़्तलिफ़ क़िरदार निभातें
अपना ज़मीर संभाला इंसान


- मनोज 'मानस रूमानी'

लाजवाब अदाकार इरफ़ान - ख़ान को सालगिरह पर याद करतें लिखा!

- मनोज कुलकर्णी


मिले जब भिन्न सिनेमा के दिग्गज
प्रतिमा और यथार्थ का हुआ टकराव
बड़ी फ़िक्र थी उन्हें मिलानेवाले को
कैसे निकलेगा इसमें सुवर्णमध्य?


- मनोज 'मानस रूमानी'


(गोविंद निहलानी की फ़िल्म 'देव' (२००४) के सेटपर उनके साथ अमिताभ बच्चन और ओम पुरी!) 

Tuesday 5 January 2021

पीड़ितों की दबी आवाज़ थी वो
आँखों में अंगारें लिएं था वो


- मनोज 'मानस रूमानी'


समाज में अन्याय सहते शोषित वर्ग को आवाज़ देनेवाली 'आक्रोश' (१९८०) इस गोविंद निहलानी की फ़िल्म को अब चालीस साल हुएं।..और इसमें सिर्फ़ आख़िर में जिसकी चीत्कार सुनाई देती है, उस जबरदस्त कलाकार ओम पूरी का आज तीसरा स्मृतिदिन!

उस याद में!!

- मनोज कुलकर्णी

Friday 1 January 2021


नया साल
२०२१ सबको मुबारक़!


- मनोज कुलकर्णी