Saturday 16 January 2021

नय्यरसाहब..तुमसा नहीं देखा!

लोकप्रिय संगीतकार ओ. पी. नय्यर जी को सालगिरह पर फूलों का गुलदस्ता देता मैं!



 
"उधर तुम हसीन हो..
इधर दिल जवान है..

मधुबाला के लाजवाब हुस्न को निखारता.. गुरुदत्त की क्लासिक रोमैंटिक 'मिस्टर एंड मिसेस ५५' का यह रूमानी गीत आज मन में आया।

मोहम्मद रफ़ी और गीता दत्त ने गाए इस गाने के लोकप्रिय संगीतकार ओ. पी. नय्यर जी का आज ९४ वा जनमदिन।

मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले से गाने की रिकॉर्डिंग करवाते संगीतकार ओ. पी. नय्यर

अपने टिपिकल रिदम के लिए मशहूर नय्यर जी की ऐसी तरल रूमानी कम्पोज़िशन्स मुझे ज्यादा भायी..जो उन्होंने गुरुदत्त की फिल्मों के लिए खासकर बनायीं। उसीमें एक 'बहारे फिर भी आएगी' (१९६६) का रफ़ीजी ने गाया रूमानी.. "आप के हसीन रुख़ पे.."

हालांकि १९५५ से ही नय्यर जी का वो फेमस (टांगा) रिदम शुरू हुआ था। जिसपर 'बाप रे बाप' में "पिया पिया पिया मेरा जिया पुकारे.." यह आशा भोसले और किशोर कुमार ने अपने अंदाज़ में गाया। बादमे मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले की आवाज़ में ही उन्होंने अपने ज्यादातर हिट गानें रिकॉर्ड किएं। 

'कश्मीर की कली' (१९६४) के "तारीफ़ करू क्या.." गाने में शर्मिला टैगोर और शम्मी कपूर!
इसमें बी. आर. चोपड़ा की.. 'नया दौर' (१९५६) का दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला पर फ़िल्मा या "मांग के साथ तुम्हारा.." और फिर रोमैंटिक म्यूजिकल्स के लिए मशहूर नासिर हुसैन की आशा पारेख अभिनीत फ़िल्मों के उनके शीर्षक गीत जैसे की..शम्मी कपूर स्टार्रर 'तुमसा नहीं देखा' (१९५७) और जॉय मुख़र्जी स्टार्रर 'फिर वही दिल लाया हूँ' (१९६३). इसके अलावा शक्ति सामंथा की शर्मिला टैगोर अभिनीत फ़िल्मों के गानें जैसे की..शम्मी कपूर वाली 'कश्मीर की कली' (१९६४) का "तारीफ़ करू क्या उसकी.." और मनोज कुमार वाली 'सावन की घटा' (१९६६) का "ज़रा होल्ले होल्ले चलो मोरे साजना.."

रोमैंटिक 'मेरे सनम' (१९६५) के गाने में बिस्वजीत और आशा पारेख
उन्होंने अपने उस पॉपुलर रिदम से हटकर कुछ सॉफ्ट कम्पोज़िशन्स भी बनाई। उसमें जॉय मुख़र्जी की फिल्मों के कुछ गानें थें जैसे 'एक मुसाफिर एक हसीना' (१९६२) का "आप यूँ ही अगर हमसे मिलते रहे..", 'हमसाया' (१९६८) का "दिल की आवाज़ भी सुन.." दरमियान, हॉलीवुड की हिट रोमैंटिक - म्यूजिकल 'कम सप्टेम्बर' की बनी हिंदी रीमेक 'मेरे सनम' (१९६५) का उनका म्यूजिक सुपरहिट रहा। बिस्वजीत-आशा पारेख इस रूमानी जोड़ी पर फ़िल्माएं इसके "हुए है तुमपे आशिक़ हम..", "हमदम मेरे.." और "जाइये आप कहाँ जायेंगे.." गानें लाजवाब रहें।

बाद में 'प्राण जाये पर वचन न जाये' (१९७३) और 'हीरा मोती' (१९७९) जैसी देमार, एक्शन फिल्मों के लिए उन्होंने कम्पोज किएं गानें भी उनकी टिपिकल छाप छोडनें लगें। जैसे वो अपनी ही फेवरेट ट्यून से लगे रहें!

नय्यर जी की सालगिरह महफ़िल में मैं शरीक़ हुआ था। मेरे पसंदीदा उनके रूमानी गानों पर अच्छी बातें हुई और उन्हें फूलों का गुलदस्ता भी नज़र किया था।

आज उन्हें यह सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

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