पीड़ितों की दबी आवाज़ थी वो
आँखों में अंगारें लिएं था वो
- मनोज 'मानस रूमानी'
समाज में अन्याय सहते शोषित वर्ग को आवाज़ देनेवाली 'आक्रोश' (१९८०) इस गोविंद निहलानी की फ़िल्म को अब चालीस साल हुएं।..और इसमें सिर्फ़ आख़िर में जिसकी चीत्कार सुनाई देती है, उस जबरदस्त कलाकार ओम पूरी का आज तीसरा स्मृतिदिन!
उस याद में!!
- मनोज कुलकर्णी
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