Sunday 28 June 2020

पंचम और काका साथ में छा गएँ!


शायद 'कटी पतंग' फ़िल्म के प्रीमियर पर हसीमज़ाक़ करतें हुए..
फ़िल्मकार शक्ति सामंता, संगीतकार राहुल देव बर्मन और सुपरस्टार राजेश खन्ना!

अपने बॉलीवुड के काका याने जतिन याने राजेश खन्ना को सुपरस्टार बनानेवाली रोमैंटिक फ़िल्म थी..शक्ति सामंता की 'आराधना' (१९६९)..जिसे संगीत दिया था एस. डी. बर्मन ने और तब उनको सहाय्यक थे बेटे पंचम याने राहुल देव बर्मन!

'आराधना' (१९६९) फ़िल्म के इरोटिक "रूप तेरा मस्ताना.." 
गाने में राजेश खन्ना और ख़ूबसूरत शर्मिला टैगोर!
उसमें किशोर-लताजी का.. "कोरा कागज़ था ये मन.." जैसे गानें सचिनदा ने किएं; जो उनके फोल्क जॉनर के मुताबिक़ थे। लेकिन उसका इरोटिक गाना "रूप तेरा - मस्ताना.." यह खासकर.. पंचम की कम्पोज़िशन थी यह मालुम पड़ता हैं! इसके लिए केर्सी लॉर्ड ने बजाया अकॉर्डियन तो होमी मुल्लाँ ने डुग्गी और सैक्सोफोन मनोहारी सिंह ने! इसपर राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर के रूमानी दृश्यों को सिनेमैटोग्राफर अलोक - दासगुप्ताने ख़ूब फिल्माया।

'कटी पतंग' (१९६९) फ़िल्म के "ये शाम मस्तानी." गाने में आशा पारेख और राजेश खन्ना!
उस सुपरहिट फ़िल्म से.. सुपरस्टार हुए राजेश खन्ना को लेकर बाद में १९७१ में शक्तिदा ने 'कटी पतंग' फ़िल्म बनायी। गुलशन नंदा के उपन्यास पर.. आधारित इसमें आशा पारेख को अहम क़िरदार दिया गया!..और इसके संगीत की जिम्मेदारी.. स्वतंत्र रूप से राहुल देव बर्मन को दी! फ़िर यह म्यूजिकल हिट हुई। 
"मेरा नाम हैं शबनम." 
जैसा बिचमें पंचम का थिरकता आवाज़वाला आशाजी का कैबरे गाना इसमें था ही; लेकिन "ये शाम मस्तानी.." जैसे किशोर कुमार ने गाए गीतों में उन्होंने अनोखा रूमानी रंग भर दिया! 

पंचमजी के ८१ वे जनमदिन पर ये बातें याद आयी!!

- मनोज कुलकर्णी

Saturday 27 June 2020

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"तेरे लिए हम हैं जिए..होठों को सिये.."

मदन मोहन जी इस दुनिया से रुख़सत होने के क़रीब ३० साल बाद उनकी धुन पर गुँजा यह गाना..
इस बात की गवाही देता हैं की उनका संगीत कितना समय से आगे था!

यश चोपड़ा जी की 'राष्ट्रीय पुरस्कार' से सम्मानित फ़िल्म 'वीर ज़ारा' (२००४) के लिए..जावेद अख़्तर जी ने यह लिखा था।..और रूप कुमार राठोड़ ने लता मंगेशकर जी के साथ इसे गाया था।

परदेपर शाहरुख़ खान और प्रीति ज़िंटा ने यह बेहतरिन साकार किया।..जो दिलको छू गया!

- मनोज कुलकर्णी
"आप की नज़रों ने समझा 
प्यार के क़ाबिल मुझे.."

इस नग़्मे के आगे के अशआऱ अब कैसे कह सकते हैं?

'स्वरसम्राज्ञी' लता मंगेशकरजी और ग़ज़ल के राजा मौसिक़ार मदन मोहन जी की ये बहोत कुछ बयां करनेवाली दुर्लभ तस्वीरें!

"माई री मैं कासे कहूँ.." यह इन दोनों ने साथ गाया नग़मा इससे याद आता हैं!

हमें तो लगता हैं लताजी के मन में मदनजी के जनमदिन पर यही नग़मा होगा..

"तू जहाँ जहाँ चलेगा मेरा साया साथ होगा.."

- मनोज कुलकर्णी
"कुछ ना कहो कुछभी ना कहो
क्या कहेना हैं क्या सुनना हैं
मुझको पता हैं तुमको पता हैं"


पंचम याने संगीतकार आर. - डी. बर्मन ने कंपोज़ की हुई.. आखरी रोमैंटिक ट्यून पर.. जावेद अख़्तरजी ने यह लिखा जिस में प्रेमियों की दिल की बातें सरलता से कहीं गयी।

पच्चीस साल हुए '१९४२ ए - लव स्टोरी' (१९९४) इस विधु विनोद चोपड़ा की फ़िल्म का यह गाना रूमानी ढंग में कुमार सानु ने गाया।

हसीन मनीषा कोइराला के - साथ अनिल कपूर ने इसे बड़ी उत्कटता से साकार किया। इसका खूबसूरत फिल्मांकन सिनेमैटोग्राफर बिनोद प्रधान ने किया!

मेरा यह पसंदीदा गाना आज पंचमजी के ८१ वे जनमदिन पर याद आया!

उन्हें सुमनांजली!!
- मनोज कुलकर्णी

Thursday 25 June 2020

दिग्गज संगीतकार  मदन मोहन जी!

"नग़्मा-ओ-शेर की सौग़ात किसे पेश करू.."

शायर..साहिर लुधियानवी जी!
ऐसा सवाल साहिर जी हो या कोई और शायर..किसी के मन में तब कभी आया नहीं होगा..
क्योंकि 'ग़ज़ल' के दर्दी मौसिक़ार उनके सामने थे..मदन मोहन जी!

'ग़ज़ल' (१९६४) फ़िल्म में शायरी पेश करती मीना कुमारी!



आज मदन जी के जनमदिन पर उसी 'ग़ज़ल' के अशआऱ हम जैसों के मन में आतें हैं..

"ये छलकते हुए जज़बात किसे पेश करू.."

- मनोज कुलकर्णी

Sunday 14 June 2020

सुशांत सिंह राजपूत...

"जान निसार.." 
वाक़ई कर गए?

नहीं भूलेंगे तुम्हारा.. 'केदारनाथ'का इंसानी मन्सूर!

- मनोज कुलकर्णी

Friday 12 June 2020

दिग्गज ग़ज़ल गायक उस्ताद मेहदी हसन साहब!
"अब के हम बिछड़े तो ..
शायद कभी ख़्वाबों में मिले.."

अहमद फ़राज़ की यह रूमानी ग़ज़ल आज फ़िर मन में आयी..

इससे जुड़ा अपना रूमानी जज़्बा था ही.. लेकिन इसे गानेवाले उस्ताद मेहदी हसन जी का आज स्मृतिदिन!


यहाँ राजस्थान में जन्में मेहदी हसन के परिवार में मौसिक़ी जैसे राज कर रही थी! वालिद उस्ताद अज़ीम खां साहब से उन्होंने ध्रुपद गायकी सीखी। बटवारे के बाद पाकिस्तान गए वे वहां रेडिओ पर गाने लगे।

मशहूर शायर फैज़ अहमद फैज़!
१९५६ में वहां 'शिकार' फ़िल्म के "नज़र मिलाते हैं दिल.." गाने से वह पार्श्वगायन भी करने लगे।..मशहूर शायर फैज़ अहमद फैज़ की उन्होंने गायी "गुलों में रंग भरते बड़-ए-नौबहाऱ चले.." नज़्म से वह फ़िल्मोदयोग में चोटी पर पहुँचे! इसके अलावा उनकी गज़लें मेहदी जी ने गाकर लोकप्रिय की! बाद में तो.. 'मुशायरा' में खुद के बजाए फैज़ साहब उन्ही को अपनी शायरी तरन्नुम में सुनाने कहने लगे!

ग़ज़ल गातें उस्ताद मेहदी हसन जी !

बाद में मेहदी हसन जी यहाँ अपने भारत में भी ग़ज़ल सुनाने आतें रहें!..ग़ौरतलब की, २०१० के दौरान उनकी आखरी ग़ज़ल जो वहाँ-यहाँ 'सरहद' अल्बम से सुनने आयी वह थी फ़रहत शहज़ाद की लिखी..

"तेरा मिलना बहुत अच्छा लगे है.."


उन्हें सलाम!

- मनोज कुलकर्णी

Wednesday 10 June 2020

'अनुराग़' (१९७२) के "तेरे नैनों के" गाने में विनोद मेहरा-मौशमी चैटर्जी! 
"तेरे नैनों के मैं दीप जलाऊँगा..
अपनी आँखों से दुनिया दिखलाऊँगा.."


आज 'जागतिक दृष्टिदान दिन' पर..
मुझे शक्ति सामंता की क्लासिक फ़िल्म 'अनुराग़' (१९७२) का ये गाना याद आया!

आनंद बक्षी ने लिखे इस गीत को एस.डी. बर्मन के संगीत में मोहम्मद रफ़ी और.. लता मंगेशकर ने गाया था।

दिल को छूनेवाली कहानी थी इस फ़िल्म की..जिसमें एक मासूम बच्चे की आँखे..
वो गुज़र जाने के बाद उसे प्यार करने - वाली निराधार अंध युवती को मिलती है। 

'अनुराग़' (१९७२) फ़िल्म में मास्टर सत्यजित, विनोद मेहरा और मौशमी चैटर्जी! 
ख़ूबसूरत मौशमी चैटर्जी ने.. संवेदनशीलता से वह क़िरदार निभाया। उसके साथ हैंडसम विनोद मेहरा ने यह गाना इस में साकार किया हैं। 

'फ़िल्मफ़ेअर' का 'सर्वोत्कृष्ट सिनेमा' का पुरस्कार इसको मिला था!

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday 9 June 2020

मुबारक़बाद!!


दस साल हो गएँ..
मेरी पसंदीदा ख़ूबसूरत सोनम कपूर की फ़िल्म 'दिल्ली - ६' की "मसकली.." को; 
लेकिन दिलोदिमाग़ पर.. अबतक छायी हुई है यह.. रोमैंटिक फ़्रेम!



आज उसकी सालगिरह पर ये देखकर मैंने रूमानी होकर लिखा..

नूऱ-ए-हुस्न आपका ऐसा बरक़रार रहें..
तबस्सुम उस पर ऐसी खिलखिलातीं रहें

- मनोज कुलकर्णी

Monday 1 June 2020

मौजूदा हालातमें एक तरक्कीपसंद मक़बूल शायर जनाब राहत इंदौरी अब ७०साल के हैं!

याद आ रही हैं उनसे मुशायरे में हुई मुलाक़ात!


अच्छी सेहत के लिए उन्हें शुभकामनाएं!

- मनोज कुलकर्णी
"ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय.."

ऐसा लिखनेवाले उसे न सुलझाके चले गए!

गीतकार योगेशजी नहीं रहें!

उन्हें सुमनांजली!!


- मनोज कुलकर्णी