ट्रैजडी इमेज से 'आज़ाद'!
"आय वॉज टायर्ड बाय डूइंग ट्रैजडी!..सो आय स्टार्टेड डूइंग लाइटर रोल्स अल्सो!"
अपने भारतीय सिनेमा के अदाकारी के शहंशाह युसूफ ख़ान याने दिलीप कुमार जी ने मेरी 'चित्रसृष्टी' के लिए मुझे एक्सक्लुजिव्ह इंटरव्यू देते हुए बताया था।
'आज़ाद' (१९५५) फ़िल्म के पोस्टर पर दिलीप कुमार, प्राण और मीना कुमारी! |
इसीलिए 'देवदास' के तुरंत बाद १९५५ में दिलीप कुमार जी ने एक्शन-कॉमेडी की तरफ रुख़ किया। नतीजन साऊथ के - 'पक्षिराजा स्टूडियोज' की 'आज़ाद' इस फ़िल्म में वो एकदम अलग अंदाज़ में नज़र आए। इससे और एक ऐसा ही बदलाव सामने आया, वह था मीना कुमारी जी इसमें उनकी नायिका हुई। जैसे उन्होंने भी अपनी 'ट्रैजडी क्वीन' इमेज से छुटकारा चाहा! दोनों पहले फ़िल्म 'फुटपाथ' (१९५३) में बड़े संजीदा थे। बाद में इन दोनों ने 'कोहिनूर' (१९६०) में भी ऐसे किरदार साथ निभाएं।
'आज़ाद' (१९५५) फ़िल्म के रूमानी प्रसंग में दिलीप कुमार और मीना कुमारी! |
संगीतकार-गायक सी. रामचंद्र जी! |
ख़ैर, इस 'आज़ाद' की बदौलत यूसुफ़ साहब को ट्रैजडी से कुछ तो राहत मिली!!
- मनोज कुलकर्णी