Wednesday 16 June 2021

"ये इश्क इश्क है इश्क इश्क.."

'बरसात की रात' (१९६०) फ़िल्म में भारत भूषण और..'मलिका-ए-हुस्न' मधुबाला!

अपने भारतीय सिनेमा के सुनहरे काल के जानेमाने अभिनेता भारत भूषण जी का १०१ वा जनमदिन हाल ही में हुआ!..और उनकी अभिजात फ़िल्म 'बरसात की रात' को ६० वर्षं पूरे हुएं! उसकी यह मशहूर क़व्वाली!

साहिर लुधियानवी जी के रूमानी अल्फ़ाज़, ऐसी मौसिक़ी के जानेमाने रोषन जी का संगीत और उसमें मोहम्मद रफ़ी जैसें गायकों की दिल को छूनेवाली आवाज़..कानों में गूँज रहीं हैं!

जानेमाने अभिनेता भारत भूषण और गीतकार साहिर लुधियानवी..बातें शायराना!
इसकी ऐसी शायरी तो बहोत बड़ा इल्म दे गयी..
"इश्क आज़ाद है, हिंदू ना मुसलमान है इश्क
आप ही धर्म है और आप ही ईमान है इश्क
जिससे आगाह नहीं शेख-ओ-बरहामन दोनों
उस हक़ीक़त का गरजता हुआ ऐलान है इश्क"


इसमें 'मलिका-ए-हुस्न' मधुबाला और श्यामा जी के साथ ही स्मृतिपटल पर आते है..पत्नि रत्ना जी के साथ इसे बख़ूबी सादर करनेवाले भारत भूषण!

उनको शायरी में बहुत दिलचस्पी थी और वे अपने बंगले में 'मुशायरा' का आयोजन करते थे..जिसमें बड़ी फ़िल्मी हस्तियाँ शिरक़त करती थी!

- मनोज कुलकर्णी

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