यह कैसी 'दिल्लगी'!
फ़िल्मकार बासु चैटर्जी! |
पिछले साल गीतकार योगेश जी (२९ मई को) और फ़िल्मकार बासु चैटर्जी (४ जून को) दुनिया से चल बसें!
गीतकार योगेश जी! |
भागदौड़ के ग़र्म महानगर में बरसात का लुत्फ़ उठाने का आम लम्हा इन दोनों ने अपनी फ़िल्म 'मंज़िल (१९७९) में ख़ूब दर्शाया!
"रिमझिम गिरे सावन..
सुलग-सुलग जाए मन.. "
यह मेरा वो पसंदीदा गाना आँखें भीगा रहा हैं!
- मनोज कुलकर्णी
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