Monday 14 June 2021


जब मेहरबाँ हुआ था
हुस्न-ए-जन्नत-ज़ार
तब यह मुमताज़ जहाँ
तशरीफ़ लायी ज़मीं पर

- मनोज 'मानस रूमानी'

'मलिका-ए-हुस्न' मुमताज़ जहाँ याने मधुबाला की यह अभिजात प्रतिमा हैं..
६१ साल पुरे किए 'मुग़ल-ए-आज़म' (१९६०) इस के. आसिफ की क्लासिक फ़िल्म से!

ख़ूबसूरत याद!!

- मनोज कुलकर्णी


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