ज़िंदा रहने के ही कारन हो सकतें हैं!
निर्देशक श्याम बेनेगल ने इसे गिरीश कर्नाड के साथ लिखा था और सत्यदेव दुबे ने इसके संवाद लिखें थे!
इसमें परेशान करन (शशीजी) को भीष्म चंद (ए. के. हंगल) कहेते हैं..
"आत्महत्या करने के कारन हो सकतें हैं, तो ज़िंदा रहने के भी कारन हो सकतें हैं!"
उपर से सरल लगनेवाले इस वक्तव्य की अनुभूति गहरी सोच से मिलती हैं!
- मनोज कुलकर्णी
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