के आता नहीं कोई मुल्क-ए-अदम से
आज ज़रा शान-ए-वफ़ा देखे ज़माना
तुमको आना पड़ेगा.."
साहिर के 'ताजमहल' (१९६३) फ़िल्म के "जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा" गीत का यह अंतिम चरण..जिन्होंने गाया वे अज़ीम और मेरे अज़ीज़ मोहम्मद रफ़ी जी और लता मंगेशकर जी के लिए मुझे अब याद आया।
हालांकि पुनर्जन्म पर विश्वास नहीं..लेकिन मेरे मन में रफ़ीजी और लताजी के लिए "आप को फिर आना होगा" ऐसे जज़्बात उभर आएं हैं!
- मनोज कुलकर्णी
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