Saturday 27 August 2022

ज़िंदगी प्यार का गीत है..!

गीतकार एवं निर्माता-निर्देशक सावन कुमार टाक जी!

अपने लोकप्रिय भारतीय सिनेमा के जानेमाने गीतकार एवं निर्माता-निर्देशक सावन कुमार टाक जी अब इस दुनिया से रुख़सत हुएं!

१९६७ में खुद लिखी फ़िल्म 'नौनिहाल' की निर्मिति करके वे इस क्षेत्र में आए थे। इसका कैफ़ी जी का "मेरी आवाज़ सुनो.." यह मोहम्मद रफ़ी जी ने गाया दर्दभरा गीत अपने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी की याद से भावुकता से जुड़ा हैं। इसे राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ। इसके बाद १९७२ में 'गोमती के किनारे' फ़िल्म से वे निर्देशक बने। ख्यातनाम अभिनेत्री मीना कुमारी जी की आखरी फ़िल्मों में से यह एक!


'चाँद का टुकड़ा' (१९९४) फ़िल्म के निर्माण के दौरान सलमान ख़ान और श्रीदेवी के साथ सावन कुमार!
सावन कुमार जी प्रतिभाशाली गीतकार भी थे और अपने फ़िल्मों के लिए उन्होंने बख़ूबी गीतलेखन किया। १९७३ में आयी फ़िल्म 'सबक' में शत्रुघ्न सिन्हा जी ने पत्नी पूनम जी के साथ साकार किया "बरखा रानी ज़रा जमके बरसो.." यह उनका रूमानी गीत इस मौसम में याद आता हैं! इसके अलावा उन्होने बड़े अर्थपूर्ण गीत भी लिखें। जैसे की 'सौतन' (१९८३) का "ज़िंदगी प्यार का गीत है.." उनके गीतों को ज़्यादातर उषा खन्ना जी ने संगीतबद्ध किया।

 
 
बतौर फ़िल्मकार उन्होंने अलग-अलग जॉनर्स की लगभग बीस फ़िल्में बनाई। इनमें शुरुआती फ़िल्म के (हरिभाई ज़रीवाला से हुए) संजीव कुमार, फिर राजेश खन्ना से अनिल कपूर और नूतन, रेखा से लेकर श्रीदेवी, पूनम ढिल्लों तक नामचीन कलाकारों ने काम किया। २००६ में आयी उन्हीके नाम की 'सावन' यह सलमान ख़ान स्टारर फ़िल्म उनकी आखरी रहीं!

अब उन्हींने लिखा गीत याद आता हैं, जो शायद वे ज़िंदगी से कह रहें हैं..

"तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बाद.."

उन्हें सुमनांजलि!!


- मनोज कुलकर्णी

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