Thursday 17 November 2022


 
 
 
 
 
मेरी शायरी वैसे ज़माने से वाबस्ता होती हैं..
सिर्फ़ रूमानी बातें 'उनसे' मुख़ातिब होती हैं!

- मनोज 'मानस रूमानी'
 [मनोज कुलकर्णी]

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