Friday 30 August 2019

"वो सुबह कभी तो आयेगी.." साहिर और ख़य्याम!!


 - मनोज कुलकर्णी 


संगीतकार ख़य्याम साहब!
मरहूम संगीतकार ख़य्याम साहब ने अपने फ़िल्म कैरियर में जानेमाने शायरों के गीत ही ज़्यादातर संगीतबद्ध किएँ इसमें अली सरदार जाफरी, कैफ़ी आज़मी, जां निसार अख़्तर से शहरयार, मख़दूम मुहिउद्दीन जैसे शामिल थे

शायर-गीतकार साहिर लुधियानवी जी!
इसमें साहिर लुधियानवी के कुछ बेहतरीन यथार्थवादी गीत उन्होंने संगीतबद्ध किएँ ..उसमें से यह आज भी समकालिन लगनेवाला 'फिर सुबह होगी' (१९५८) फ़िल्म के लिए..मुकेश जी और आशा भोसले जी नें गाया था।..

इन काली सदियों के सर से, जब रात का आंचल ढलकेगा
जब दुख के बादल पिघलेंगे, जब सुख का सागर छलकेगा
जब अम्बर झूम के नाचेगा, जब धरती नग़्मे गायेगी..
वो सुबह कभी तो आयेगी

जिस सुबह की खातिर जुग-जुग से, हम सब मर-मर कर जीते हैं
जिस सुबह के अमृत की धुन में, हम जहर के प्याले पीते हैं
इन भूखी प्यासी रूहों पर, इक दिन तो करम फर्मायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

माना कि अभी तेरे मेरे, अरमानो की कीमत कुछ भी नहीं
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर, इन्सानों की कीमत कुछ भी नहीं
इन्सानों की इज्जत जब झूठे, सिक्कों में तोली जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

दौलत के लिये जब औरत की इस्मत को बेचा जायेगा
चाहत को कुचला जायेगा, ग़ैरत को बेचा जायेगा
अपने काली करतूतों पर जब ये दुनिया शर्मायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

बीतेंगे कभी तो दिन आख़िर, ये भूख के और बेकारी के
टूटेंगे कभी तो बुत आख़िर, दौलत की इजारादारी के
जब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

मजबूर बुढ़ापा जब सूनी, राहों की धूल फांकेगा
मासूम लड़कपन जब गंदी, गलियों भीख मांगेगा
ह़क मांगने वालों को जिस दिन, सूली दिखाई जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

फ़ाको की चिताओं पर जिस दिन, इन्सां जलाये जायेंगे
सीनों के दहकते दोज़ख में, अर्मां जलाये जायेंगे
ये नरक से भी गन्दी दुनिया, जब स्वर्ग बनाई जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

मनहूस समाजों ढांचों में जब जुर्म पाले जायेंगे
जब हाथ काटे जायेंगे जब सर उछाले जायेंगे
जेलों के बिना जब दुनिया की सरकार चलाई जायेगी
वो सुबह हमीं से आयेगी

संसार के सारे मेहनतकश, खेतो से, मिलों से निकलेंगे
बेघर, बेदर, बेबस इन्सां, तारीक बिलों से निकलेंगे
दुनिया अम्न और खुशहाली के, फूलों से सजाई जायेगी
वो सुबह हमीं से आयेगी

जब धरती करवट बदलेगी जब क़ैद से क़ैदी छूटेंगे
जब पाप घरौंदे फूटेंगे जब ज़ुल्म के बन्धन टूटेंगे
उस सुबह को हम ही लायेंगे वो सुबह हमीं से आयेगी
वो सुबह हमीं से आयेगी

**************************************************************************

No comments:

Post a Comment