"मेरी आवाज़ ही पहचान है.."
अपने संगीत जीवन के अमृत महोत्सव पर..स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकरजी! |
पूरे संगीत विश्व की एक सर्वश्रेष्ठ और आदरणीय..अपने भारत की स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकरजी का ९० वा जनमदिन संपन्न हुआ। इस के साथ ही उनके पार्श्वगायन के ७५ साल पुरे हुएं हैं!
शुरुआत के दिनों में मराठी सिनेमा के परदेपर..
छोटी भूमिका में नज़र आयी लता मंगेशकर!
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इसके बाद अनिल बिस्वास, नौशाद अली, सज्जाद हुसैन, शंकर-जयकिशन, रोषन, एस. डी. बर्मन, सी. रामचंद्र, मदन मोहन, सलील चौधरी, ख़य्याम, वसंत देसाई से लेकर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, आर. डी, बर्मन और आगे बहोत नयें संगीतकारों के लिएँ भी लताजी ने गाएं गाने यादगार रहें। मराठी, हिंदी से लेकर अन्य विविध प्रादेशिक भाषाओँ में भी उन्होंने कई गानें गाएं।
संगीतकार ग़ुलाम हैदर और गायिका लता मंगेशकर! |
लताजी की ताज़गी सालों साल बरक़रार रहीं..बदलतीं नायिका उसके लिए उनका आवाज़ चाहती थी और वह भी उस अभिनेत्री के अंदाज़ में उसे आवाज़ देती थी। 'आरके' की 'बरसात' (१९४९) में नर्गिस के लिए उन्होंने गाया "मुझे किसी से प्यार हो गया..", 'गाईड' (१९६५) में वहिदा रहमान के लिए उन्होंने गाया "आज फिर जिने की तमन्ना है..", 'सरस्वती चंद्र' (१९६८) में नूतन के लिए उन्होंने गाया "छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए..", 'रज़िया सुलतान' (१९८३) में हेमा मालिनी के लिए उन्होंने गाया "ऐ दिल-ए-नादान.." तो 'हम आप के है कौन' (१९९४) में माधुरी दीक्षित के लिए उन्होंने गाया "दीदी तेरा देवर दीवाना.." और 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (१९९५) में काजोल के लिए गाया "मेरे ख्वाबों में जो आएं.."
संगीतकार शंकर और गायक मोहम्मद रफ़ी के साथ गाती लता मंगेशकरजी! |
अपने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जी के साथ स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकरजी! |
लताजी को बहोत सम्मान मिले। इसमें 'फ़िल्मफ़ेअर' और नेशनल अवार्ड्स हैं। इसके साथ ही उन्हें सर्वोच्च 'दादासाहेब फालके अवार्ड' से भी नवाज़ा गया..और 'भारत रत्न' से भी!
सुरों के माहौल में मेरी उनसे हुई मुलाक़ात याद आ रही है!!
स्वरसम्राज्ञी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं!
- मनोज कुलकर्णी
मेरा 'चित्रसृष्टी' संगीत विशेषांक स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकरजी को दिखाकर
उनसे बात करने का मेरा सुनहरा पल!
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