Monday 13 June 2022

गानेवालें सभी अपनी खूबी से गातें हैं ग़ज़ल
पर वे मेहदी हसन ही थे शहंशाह-ए-ग़ज़ल!


- मनोज 'मानस रूमानी'


क़तील शिफ़ाई जी की "ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं.." या अहमद फ़राज़ जी की "रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ.." अपनी दिल को छू लेनेवाली आवाज़ में ये ग़ज़लें पेश करनेवालें मेहदी हसन साहब को १० वे स्मृतिदिन पर आदरांजलि!

- मनोज कुलकर्णी

(इस तस्वीर में मेहदी हसन जी अपने शहंशाह-ए-अदाकारी यूसुफ साहब..दिलीप कुमार जी के साथ दिखाई दे रहें हैं। अब ये दोनों इस जहाँ में नहीं!)

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