आसिफ़-ए-हिन्दोस्ताँ!
'मुग़ल-ए-आज़म' जैसे मोहब्बत के अफ़साने पूरी शान-ओ-शौकत से अपने भारतीय सिनेमा के रूपहले परदेपर यादगार साकार करनेवाले थे अज़ीम फ़िल्मकार के. आसिफ जी!
आज उन्हें १०० वे यौम-ए-पैदाइश पर सलाम!
- मनोज कुलकर्णी
सलीम-अनारकली की दास्तान-ए-मोहब्बत
उसी शान-ओ-शौकत में थी परदेपर आई..
बाअदब से पुकारा गया 'मुग़ल-ए-आज़म'
शिद्दत से बनानेवाले वे आसिफ़ थे वाक़ई!
- मनोज 'मानस रूमानी'
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