Saturday, 20 November 2021

"उतरे थे कभी 'फ़ैज़' वो आईना-ए-दिल में
आलम है वही आज भी हैरानी-ए-दिल का"

लिखनेवाले दोनों मुल्कों में मक़बूल अज़ीम शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जी का आज ३७ वा स्मृतिदिन!

वह शेर फ़ैज़ साहब और उनकी शायरी बख़ूबी पढ़नेवाले (हाल ही में इस जहाँ से रुख़सत) अपने लाजवाब अदाकार यूसुफ़ ख़ान..दिलीपकुमार जी के लिए याद आया!

उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

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