Tuesday 30 November 2021


हालातों के मद्देनज़र मरहूम, मशहूर शायर फैज़ अहमद फैज़ साहब की शायरी हुई याद...

निसार मैं तेरी गलियों के ऐ वतन, कि जहाँ
चली है रस्म कि कोई न सर उठा के चले..
जो कोई चाहनेवाला तवाफ़ को निकले..
नज़र चुराके चले, जिस्म-ओ-जाँ बचाके चले

- फैज़ अहमद फैज़

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