Tuesday 14 December 2021

'आरके' की फ़िल्म 'मेरा नाम जोकर' (१९७०) और गीतकार शैलेन्द्र जी!

"कल खेल में हम हों न हों
गर्दिश में तारे रहेंगे सदा.."

संवेदनशील गीतकार शैलेन्द्र जी ने लिखा यह आखरी नग़्मा था..

अपने आखरी दिनों में उन्होंने 'आरके' की फ़िल्म 'मेरा नाम- जोकर' के लिए बड़ी मुश्किल से यह लिखा।

गीतकार शैलेन्द्र जी बेटे शैली के साथ!

हालांकि तब उनके १७ साल के बेटे शैली से राज कपूर ने उसे पूरा करवाया जिसने इसका मुखड़ा लिखा और अंतरें शैलेन्द्रजी ने लिखें।
तो "जीना यहाँ मरना यहाँ.." इस गाने से शैली शैलेन्द्र कम उम्र में गीतकार बने!

१४ दिसम्बर,१९६६ को शैलेन्द्र जी ने इस जहाँ को अलविदा किया और उसके चार साल बाद 'मेरा नाम जोकर' (१९७०) प्रदर्शित हुई, जिसे अब ५० साल हुए हैं।

संजोग ऐसा की, राज कपूर के जनमदिन पर शैलेन्द्रजी इस जहाँ से रुख़सत हुए थे!

ख़ैर, आज उनके स्मृतिदिन पर उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

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