Saturday 23 October 2021

नृत्यकुशल ख़ूबसूरत शोख़ अदाकारा..मीनू मुमताज़!


ख़ूबसूरत अदाकारा मीनू मुमताज़ जी - जवाँ और बुज़ुर्ग!

भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर की ख़ूबसूरत शोख अदाकारा मीनू मुमताज़ जी इस जहाँ से रुख़सत होने की ख़बर से दुख हुआ।

लीजेंडरी कॉमेडी एक्टर मेहमूद जी की बहन इतना उनका तार्रुफ़ नहीं था। ख़ूबसूरत चेहरा और अभिनय में शोखियत से उन्होंने १९५०-६० के दशकों में परदे पर अपना एक खास मुकाम हासिल किया था।

फ़िल्म 'ब्लैक कैट' (१९५९) के "मैं तुम्ही से पूछती हूँ मुझे तुम से प्यार क्यूँ हैं.."
गाने में मीनू मुमताज़ और जानेमाने अभिनेता बलराज साहनी!
'बॉम्बे टॉकीज' में कलाकार -
(नृत्य) रहे मुमताज़ अली की वह बेटी थी। उनकी नृत्यकला उसमें भी आयी थी, जिसका प्रदर्शन शुरू में उसने स्टेज पर और बाद में सिनेमा में किया!

मलिकुन्निसा अली उसका असल में नाम था। "मीनू"
नाम से उन्हें जानीमानी अभिनेत्री (और मेहमूद की रिश्तेदार) मीना कुमारी पुकारती थी और वो मीनू - मुमताज़ हुई! शुरुआती दौर में, १९५६ में फ़िल्म 'हलाकू' में मीना जी के साथ ही यह कमसिन मीनू नज़र आयी।

बहरहाल, मीनू मुमताज़ मशहूर हुई परदेपर अपने नृत्य के जलवें दिखाकर! १९५७ में बी. आर. चोपड़ा की फ़िल्म 'नया दौर' में "रेशमी सलवार कुरता जाली का.." यह उनका नृत्यगीत हिट रहा। फिर दिलीप कुमार अभिनीत बिमल रॉय की फ़िल्म 'यहूदी' में भी वह थी।
 
अभिनेता-निर्देशक गुरुदत्त की फ़िल्म 'चौदहवीं का चाँद' (१९६०) में 
उनके साथ मुज़रा नृत्य में मीनू मुमताज़!
जानेमाने अभिनेता-निर्देशक गुरुदत्त
जी की फ़िल्मों में मुख़्तलिफ़ अंदाज़ में मीनू मुमताज़ दिखी। 'कागज़ के फूल' (१९५९) में "हम तुम जिसे कहता है शादी.." गाने में कॉमेडियन जॉनी वॉकर के साथ वो मॉडर्न लुक में थी; तो 'साहिब बीवी और ग़ुलाम' (१९६२) में "साक़िया आज मुझे नींद नहीं आयेगी.." यह मुज़रा नृत्य उसने लाजवाब किया। आगे 'ग़ज़ल' और मीना कुमारी के साथ वाली 'चित्रलेखा' (१९६४) ऐसी फ़िल्मों में भी उसके ऐसे नर्तिका किरदार रहें!

फिर 'प्रीत ना जाने रीत' (१९६६) जैसी फ़िल्मों से सहनायिका की तौर पर और आगे 'पत्तों की बाज़ी' (१९८६) तक चरित्र किरदारों के ज़रिये मीनू मुमताज़ परदे पर बरक़रार रही!

एक इंटरव्यू में बुज़ुर्ग मीनू मुमताज़!
कई साल बाद 'चलो चले परदेस' (१९८२) से टीवी धारावाहिक में आयी मीनू मुमताज़ वाकई में परदेस चली गयी। उनका कनाडा में लिया गया एक इंटरव्यू बीच में देखने में आया, तब अच्छा लगा था! अब तो वो दूसरे जहाँ के लिए रुख़सत हुई हैं!

मुझे हमेशा यह लगता रहा, इतनी ख़ूबसूरत चेहरे की यह अदाकारा मीनू मुमताज़ महज नृत्य जैसी भूमिकाएं निभाती क्यों रह गयी? १९५९ में आयी फ़िल्म 'ब्लैक कैट' में तो जानेमाने अभिनेता बलराज साहनी की वो नायिका थी। इसमें उनके साथ शायराना अंदाज़ में.. "मैं तुम्ही से पूछती हूँ मुझे तुम से प्यार क्यूँ हैं.." गाने में उसका रूप कितना लुभावना लगा था!

ख़ैर, उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

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