गीतकार अंजान जी की याद!
|
गीतकार (लालजी पांडे) अंजान जी! |
|
'बहारें फिर भी आयेंगी' (१९६६) फ़िल्म के उस गाने में धर्मेंद्र, तनुजा और माला सिन्हा!
|
"आप के हसीन रुख़ पे
आज नया नूऱ है..
मेरा दिल मचल गया
तो मेरा क्या कसूर है"
रफ़ी साहब ने गाया मेरा यह पसंदीदा रूमानी गीत फिर से मन में गूंजा..
इसके गीतकार (लालजी पांडे) अंजान जी के हुए ९१ वे जनम दिन पर!
'बहारें फिर भी आयेंगी' (१९६६) इस फ़िल्म के इस गाने की विशेषताएं ये थी की, अपने टिपिकल (टांगा ट्यून) रिदम से हट कर संगीतकार ओ. पी. नैयर जी ने इसे पियानो पर कम्पोज किया था।..और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की ('डॉन', 'लावारिस', 'याराना' जैसी) हिट फिल्मों से मशहूर गीतकार अंजान जी ने (उससे पहले) इसे तरल रूमानियत से लिखा था।
|
'मुकद्दर का सिकंदर' (१९७८) फ़िल्म में अमिताभ बच्चन! |
वैसे जानेमाने फ़िल्मकार प्रकाश मेहरा जी की फ़िल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' (१९७८) के उनके गानें भी बड़े संजीदा थे, जिसके शीर्षक गीत में कहा गया था..
"ज़िन्दगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएगी
मौत मेहबूबा है अपने साथ ले कर जाएगी"
ऐसे अंजान जी को सुमनांजलि!
- मनोज कुलकर्णी
No comments:
Post a Comment