Friday 9 July 2021

सूरमा भोपाली से लगे रहे जगदीप!


जगदीप जी के सूरमा भोपाली के लहजे के क़िरदार!

माइलस्टोन 'शोले' (१९७५) फ़िल्म का सूरमा भोपाली क़िरदार मशहूर क्या हुआ जगदीप जैसे कलाकार को बॉलीवुड ने उसी लहजे में पहचान रखने को मजबूर किया!..वे इस दुनिया से चले जाने को एक साल होने के बाद फिर यह याद आया!

बिमल रॉय की फ़िल्म 'दो बीघा ज़मीन' (१९५३) में
बालकलाकार रतन कुमार और जगदीप!
हालांकि जगदीप एक अच्छे कलाकार थे इसकी मिसाल फ़िल्म 'मुन्ना' (१९५४) से 'नौनिहाल' (१९६७) तक अपनी चुनिंदा भूमिकाओं से दे चुके थे! सय्यद इश्तियाक़ अहमद जाफ़री था उनका असल में नाम! १९५१ में बी. आर. चोपड़ा की 'अफ़साना' से बतौर बालकलाकार वो परदे पर आया। बाद में फिल्म 'आर पार' (१९५४) में उसे गुरुदत्त के साथ काम करने का मौका मिला।

 
उसके बाद जवां जगदीप फ़िल्म 'भाभी' (१९५७) में नंदा के साथ "चली चली रे पंतग मेरी.." इस (रफ़ीजी के मशहूर) गाने में नज़र आया। इसकी विख्यात 'ए.व्ही.एम्.' फ़िल्म कंपनी ने ही जगदीप को नायक बनाया 'बरख़ा' (१९६०) में और साथ में थी नंदा जी!

फिल्म 'आर पार' (१९५४) में गुरुदत्त के साथ जगदीप!
१९६८ के दौरान शम्मी कपूर के 'ब्रह्मचारी' से जगदीप कॉमेडी रोल करने लगे।..और रमेश - सिप्पी की फ़िल्म 'शोले' के बाद उनपर विनोदी कलाकार का छप्पा लगा! फिर फ़िरोज़ ख़ान की 'क़ुर्बानी' (१९८०), अमिताभ बच्चन की 'शहेंशाह' (१९८८) ऐसी बड़ी, हिट फिल्मों में वो ऐसे ही छोटे क़िरदारों में नज़र आएं!

लेकिन जगदीप से सूरमा.. भोपाली नहीं छूटा; चाहे फ़िल्म हॉरर ही क्यूँ न हो, वे वैसे ही बरताव करते रहें! यहाँ तक की आमिर और सलमान ख़ान स्टार्रर राजकुमार संतोषी की फ़िल्म 'अंदाज़ अपना अपना' (१९९४) में उनके क़िरदार का नाम बांकेलाल भोपाली ही था!

१९८८ में जगदीप ने 'सूरमा भोपाली' नाम की फ़िल्म ही बना डाली और धर्मेंद्र-अमिताभ के सामने ख़ुद प्रमुख भूमिका में खड़े रहे। ख़ैर, वह फ़िल्म सिर्फ़ भोपाल में ही चली!

सलाम जगदीप जी!!

- मनोज कुलकर्णी

 

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