Wednesday 28 July 2021

शोख़ और शालीन अदाकारा..कुमकुम!


मेहबूब ख़ान की फ़िल्म 'सन ऑफ़ इंडिया' (१९६२) के..
"..तुझे दिल ढूंढ रहा हैं.." गाने में कुमकुम!

अपने भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर की एक अभिनेत्री कुमकुम जी का आज पहला स्मृतिदिन!

'सी.आय.डी.' (१९५६) फ़िल्म में जॉनी वॉकर के साथ.
"ये हैं बम्बई मेरी जान.." गाने में कुमकुम!
 
उनकी ख़ासियत यह थी की..शोख़ और शालीन दोनों तरह की भूमिकाओं में वो माहिर थी। उनका असल में नाम था ज़ैबुन्निसा, जो हुसैनाबाद के नवाब परिवार से थी! १९५४ में उन्हें मशहूर फ़िल्मकार गुरुदत्त जी ने खोज लिया और अपने 'आर पार' के शीर्षक गीत में सादर किया।

उसके बाद शोख़ कुमकुम 'सी.आय.डी.' (१९५६) में.. जॉनी वॉकर के साथ "ये हैं बम्बई मेरी जान.." गाने में नज़र आयी। फिर अपने महान फ़िल्मकार मेहबूब - ख़ान की 'मदर इंडिया' (१९५७) में राजेंद्र कुमार के साथ "घुंगट नहीं खोलूंगी सैंया तेरे आगे." गाने में वो शालीन थी। और बाद में 'गंगा की लहरें' (१९६४) में नटखट - किशोर कुमार के साथ "छेड़ो ना मेरी ज़ुल्फ़ें सब लोग क्या कहेंगे.." गाने में भी।

'कोहिनूर' (१९६०) फ़िल्म के "मधुबन में राधिका नाचें रे.." 
इस गाने में दिलीप कुमार के सामने नृत्य करती कुमकुम!
 
 
 
कुमकुम अच्छी कत्थक - नृत्यांगना भी थी; जिस की बक़ायदा तालिम उन्होंने पंडित शंभु महाराज से ली थी। उनके ऐसी नृत्य की झलक फ़िल्म 'कोहिनूर' (१९६०) में "मधुबन में राधिका नाचें रे.." इस - नौशाद के संगीत में मोहम्मद रफ़ी जी ने गाये शास्त्रोक्त गीत में दिखायी दी। इस में सितार बजाते अपने अभिनय- सम्राट दिलीप कुमार के सामने उन्होंने अपने शास्त्रीय नृत्य का लाजवाब प्रदर्शन किया।

 
फ़िल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' (१९६४) में धर्मेंद्र की नायिका कुमकुम!
'ही मैन' धर्मेंद्र की डेब्यू फ़िल्म अर्जुन हिंगोरानी की 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' (१९६४) में - कुमकुम उसकी नायिका हुई। फिर संजीव कुमार की शुरू- आती 'राजा और रंक' (१९६८) में भी वो नायिका थी। 
लेकिन बाद में यह रहा नहीं! दरमियान (बिहार की होने की कारन) उन्होंने भोजपुरी - सिनेमा की तरफ भी अपना - रुख़ किया। वहां १९६३ में 'गंगा मैया तो हे पियरी चढ़ाई बो' और 'लागी नाही छूटे राम' में वो नायिका रही।

बाद में कुछ ही हिंदी फिल्मों में नायिका और फिर बहन के क़िरदार कुमकुम ने निभाएं। लगभग ११५ - फ़िल्मों में उन्होंने काम किया। लेकिन इस फ़िल्म इंडस्ट्री ने सम्मानों में उनकी दखल नहीं ली यह दुख की बात थी!

आज उन्हीका 'सन ऑफ़ इंडिया' का गाना याद आता हैं..
"..तुझे दिल ढूंढ रहा हैं.."

 उन्हें सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी

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