नग़्मानिगार और मौसिक़ार
गिले-शिक़वे नहीं, होती है..
शायरी-जाम की महफ़िल!
- मनोज 'मानस रूमानी'
गीतकार आनंद बख्शी जी कैसे बड़े दिल के शख्स थे इस की मिसाल देनेवाली ये तस्वीरें.!
ज्यादातर उर्दू शायरों के नग़्मे संगीतबद्ध करनेवाले प्रतिभाशाली संगीतकार ख़य्याम साहब और उनके पसंदीदा साहिर जी के साथ बख्शी जी का यूँ घुलमिल जाना!
ग़ौरतलब की बॉलीवुड के पॉपुलर गीतकार होने के बावजुद बख्शी जी की कलम ख़य्याम जी की महफ़िल-ए-मौसीक़ी में यूँ शामिल न हो सकी!
इस में सिर्फ़ अलग किस्म के फ़िल्म, गीत-संगीत की जुड़ने की ही बात थी। वैसे ख़य्याम जी और साहिर जी अपने उसूलों के पक्के और लाजवाब शख्सियत थे!
यह सब सोचकर मैंने ऊपर के मेरे अशआऱ लिखें!
- मनोज कुलकर्णी
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