Tuesday 11 May 2021

"मैं ढूँढ़ता हूँ जिसे वो जहाँ नहीं मिलता
नई ज़मीन, नया आसमाँ नहीं मिलता..
नई ज़मीन, नया आसमाँ भी मिल जाए...
नए बशर का कहीं कुछ निशाँ नहीं मिलता!"

संजीदा शायर कैफ़ी आज़मी जी की यह अधूरी ख़्वाहिश थी शायद!

स्मृतिदिन पर याद किया!
उन्हें सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी

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