समानांतर सिनेमा के बहुआयामी संगीतकार!
दिग्गज संगीतकार वनराज भाटिया! |
समानांतर सिनेमा तथा टीवी धारावाहिक को अपने यथार्थ धुनों से और गहरा बनानेवाले दिग्गज संगीतकार वनराज भाटिया जी यह जहाँ छोड़ गएँ।
श्याम बेनेगल की फ़िल्म 'मंथन' (१९७६) के समूह दृश्य में स्मिता पाटील! |
ख़ूबसूरत गायिका प्रीती सागर. |
१९६३ में पहली बार 'मर्चेंट-आइवरी प्रोडक्शन' की अंग्रेजी फ़िल्म 'दी हाउसहोल्डर' का बैकग्राउंड म्यूजिक भाटियाजी ने किया। इसके दस साल बाद १९७४ में श्याम बेनेगल की डेब्यू फ़िल्म 'अंकुर' का संगीत देने का मौका उन्हें मिला। दरमियान वे वृत्तचित्रों को म्यूजिक देते रहें। जिसमें 'ए सिटी इन हिस्ट्री' (१९६६) और '१००२ ए डी खजुराहो' (१९७३) जैसी डाक्यूमेंट्रीज थी। 'अंकुर' और बेनेगल की अगली 'निशांत' (१९७५) इन सामाजिक फिल्मों में दबें किरदारों के जज़्बातों को भाटिया जी की संगीत ने और गहरा बना दिया। फिर 'भूमिका' (१९७६) इस मराठी सिनेमा की गुज़रे ज़माने की अभिनेत्री हंसा वाडकर के जीवन पर बनी फ़िल्म में स्मिता पाटील का नृत्याभिनय उनके संगीत के साथ बयां होता गया! इसमें प्रीती ने ही गाया "तुम्हारे बीन जी न लगे.." लाजवाब रहा!
संगीतकार वनराज भाटिया और फ़िल्मकार श्याम बेनेगल म्यूजिक रिहर्सल करतें! |
गोविंद निहलानी की 'तमस' (१९८७) के यथार्थवादी दृश्य में दीपा साही और ओम पूरी |
वनराज भाटिया जी ने संगीत दी हुई पैरेलल फ़िल्म्स नेशनल अवार्ड्स विनर्स ही रहीं। उनको निहलानी की फ़िल्म 'तमस' (१९८९) के लिए यह पुरस्कार मिला।..और २०१२ में अपने भारत सरकार से वे 'पद्मश्री' से सम्मानित हुए।
उन्हें मेरी सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
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