Friday 28 May 2021

'अंदाज़'-ए-मेहबूब!


मेहबूब ख़ान की त्रिकोणीय प्रेमवाली फ़िल्म 'अंदाज़' (१९४९) 
के दृश्यों में राज कपूर, नर्गिस और दिलीप कुमार!

"..और हम यहाँ आपके इंतज़ार में मुश्ताक़ हो बैठे हैं!"
राजन-नीना याने राज कपूर और नर्गिस की पार्टी में एंट्री होती है..तब नीना की तरफ़ प्यार भरी नज़र से देखकर दिलीप याने अपने यूसुफ़ साहब यह कहते है।

जानेमाने फ़िल्मकार मेहबूब ख़ान!
 
अपने सिनेमा की एक शुरुआती संवेदनशील त्रिकोणीय प्रेमवाली.. मेहबूब ख़ान की फ़िल्म 'अंदाज़' (१९४९) का यह..अति संवेदनशील दृश्य मेरे रूमानी मन में जैसे घर किया हुआ हैं!

'अंदाज़' की कहानी लिखी थी शम्स लखनवी जी ने और उस पर पटकथा लिखी थी एस. अली रज़ा जी ने!
 
ज़्यादातर 'मेहबूब स्टुडिओ' में बनी इस फ़िल्म का त्रिकोणीय प्रेम नाट्य मेहबूब जी ने बड़ी कुशलता से चित्रित किया था।

इस फ़िल्म के कुछ अहम दृश्यं तो अब भी नज़रो के सामने आते हैं..


'अंदाज़' (१९४९) फ़िल्म के रूमानी दृश्य में नर्गिस और दिलीप कुमार!
दिलीप-नीना की मुलाक़ात.. जिसमे वो फूलों का गुलदस्ता लेकर आता है..
तब नीना कहती है "ये क्यूँ तक़लीफ़ की आपने?"
उस पर दिलीप "आपको पसंद नहीं?" कहकर गुलदस्ता नीचे गिराने लगता है, जो नीना उठा कर उसका दिल रखने के लिए अपने दिल को लगाती है!
इसके बाद दिलीप की बातों से हसकर चुलबुली नीना कहती है "बड़े दिलचस्प है आप!"
तो उसपर दिलीप कहता है "ये कहकर ग़लतफ़हमी में डाल दिया आपने!"

इसके बाद एक पार्टी के सीन में नीना पर फ़िदा दिलीप उसे कहता है "आज अगर आप ज़हर खाने का हुकुम दे तो..वो भी मै करूँगा!"

'अंदाज़' (१९४९) फ़िल्म के भावुक दृश्य में नर्गिस और दिलीप कुमार!
उसके बाद का सीन है..दिलीप को नीना पार्टी के लिए बुलाती कहती है "पियानो उदास पड़ा है और..सब बेक़रार हैं।"
उसपर दिलीप कहता है "मै भी अपने बेक़रार दिल को चैन देने के लिए दूर जा रहा हूँ।"
यह सुनकर चौंक कर नीना कहती है "पाग़ल मत बनिए.. होश में आइए!"
दिलीप कहता है "होश में तो आया हूँ..इस लिए जा रहा हूँ!"
उसपर नीना पूछती है "मुझसे कुछ ग़लती हुई?"
तब दिलीप कहता है "वो तो मुझसे हुई की मै आपसे मोहब्बत करता हूँ!"
यह सुनकर रोकने के लिए उसका लिया कोट..वही छोड़कर नीना भागती है!

इसके तुरंत बाद के सीन में दिलीप को समझाने नीना आती है..और कहती है "मैंने आपको हमेशा मेरा अच्छा दोस्त माना। मैं राजन के सिवा किसीसे मोहब्बत नहीं करती।"
उसके ये अल्फ़ाज़ सुनकर दिलीप की ख़ामोश आँखें बहोत कुछ कहती हैं!

'अंदाज़' (१९४९) फ़िल्म के गीत दृश्य में नर्गिस, राज कपूर और दिलीप कुमार!
'अंदाज़' के गाने भी कमाल के थे जिसमें "टूटे ना दिल टूटे ना" जैसे कुल ९ गीत मजरूह - सुलतानपुरी जी ने लिखें थें और "झूम झूम के नाचो आज" यह एक प्रेम धवन जी ने! 
इन्हें संगीतबद्ध करनेवाले नौशाद अली जी ने यहाँ अनोखा प्रयोग किया था। दिलीप कुमार को मुकेश की आवाज़ और राज कपूर को मोहम्मद रफ़ी की दी थी! शायद दिलीप कुमार का ट्रैजडी कैरेक्टर और राज कपूर की रूमानियत को मद्देनज़र रखके उन्होंने ऐसा किया होगा! 
इस फ़िल्म में कुक्कू ने अपने अच्छे डांस परफॉर्मन्स दिएँ हैं!

वैसे लता मंगेशकर जी के गानें भी इसमें दिल को छूं देतें हैं जैसे की "दादिरदरा s ओ दारा दादिरदारा s मेरी लाडली रे s.." यह ख़ुशी का और "उठाएं जा उनके सितम.." यह दर्द भरा!

सिनेमैटोग्राफर फरदून ईरानी जी ने इस फ़िल्म का छायांकन इनडोअर से आऊटडोअर बड़ी वेधकता से किया है। ख़ास कर लाइट्स का उपयोग और क्लोज अप्स! इसके लिए केशव मिस्त्री का कला निर्देशन और शम्सुद्दीन क़ादरी का संकलन भी मायने रखता हैं।

'अंदाज़' (१९४९) फ़िल्म के गंभीर दृश्य में दिलीप कुमार और राज कपूर!
मिसाल की तौर पर..दिलीप पियानो पर जब गाते है..
"आज किसी की हार हुई है..
आज किसी की जीत.." 
तब उनकी नज़रों से प्यार का दर्द छलकता है और..उसी वक़्त समारोह में..शादीशुदा राजन-नीना पधारतें हैं!

इसके बाद के सीन में राजन को समझाते दिलीप कहते है "अफ़सोस क़ि, तुम अपनी बीवी को नहीं समझ सकते!"
उसपर शक्की राजन कहता है "मै जानता हूँ..मुझसे ज़्यादा आप मेरी बीवी को समझते है!"

इस दौरान राजन के कोट पर फूल लगाता दिलीप कहता है "ये फूल तो आप पर ही खिलता है!"
उसपर राजन वो फूल निकालकर दिलीप के कोट पर लगाता कहता है "अब ये फूल मुझसे ज़्यादा आप पर ही खिलता है!"
तब फूल निकाल कर राजन को दिखाते दिलीप की नज़रों में करारापन होता है।

              'अंदाज़' (१९४९) के त्रिकोणीय दिलचस्प दृश्य में राज कपूर, दिलीप कुमार और नर्गिस!
सत्तर साल से भी ज़्यादा हो गएँ इस फ़िल्म को..लेकिन इस का कलात्मक और अदाकारी का असर अभी भी बरक़रार हैं।

इस फ़िल्म से ही दिलीप कुमार ट्रैजडी किंग की तरफ़ गए और बड़े स्टार हुए!

इसके जानेमाने फ़िल्मकार.. मेहबूब साहब के स्मृतिदिन पर आज फिर से इसकी याद!

- मनोज कुलकर्णी

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