Sunday 30 May 2021

परदे पर गोवा!


'एक दूजे के लिए' (१९८१) के बेहतरिन लव स्पॉट दृश्य में रति अग्निहोत्री और कमल हसन!
 
आज 'गोवा स्थापना दिन' के अवसर पर मुझे इस ख़ूबसूरत प्रदेश से जुड़ी कुछ (ऐतिहासिक घटना को लेकर भी) फ़िल्में याद आयी!

मराठी 'महानंदा' (१९८५) के "माझे राणी माझे मोगा" गाने में विक्रम गोखले और फ़ैयाज़!
१९८७ में हिंदी फ़िल्म 'महानंदा' (फ़ारूक़ शेख़, मौशमी चटर्जी और आशालता अभिनीत).. प्रदर्शित हुई थी जो जानेमाने मराठी लेख़क जयवंत दळवी के उपन्यास पर आधारित थी! हालांकि उस पर पहले १९८५ में उसी नामसे मराठी फ़िल्म बनी जिसे 'राष्ट्रीय सम्मान' प्राप्त हुआ था। गोवा की मराठी - संस्कृति की पृष्ठभुमी पर वह अनोखी कथा थी, जिसे महेश सातोस्कर ने निर्देशित किया था। उस का गोवन कोंकणी भाषा का प्रेमगीत "माझे राणी माझे मोगा, तुझ्या डोळ्यांत सोधता ठाव.." मशहूर हुआ जिसे शांता शेळके ने लिखा था और हृदयनाथ मंगेशकर के संगीत में सुरेश वाडकर और लता मंगेशकर ने उसी लहजे में गाया था। तथा परदेपर विक्रम गोखले और फ़ैयाज़ ने साकार किया था!
 
डेब्यू फ़िल्म 'सात हिंदुस्तानी' (१९६९) में महानायक अमिताभ बच्चन
अब दो मायनें से महत्वपूर्ण फ़िल्म..
गोवा मुक्ति संग्राम पर विख्यात लेख़क-निर्देशक ख़्वाजा अहमद अब्बास ने 'सात हिंदुस्तानी' यह फ़िल्म १९६९ में बनायी। और इसी फ़िल्म से अपने भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन ने परदे पर अपना डेब्यू किया। इसमें उनका अनवर अली का क़िरदार ज़बरदस्त रहा!

तो पुर्तगाली गुलामी से गोवा स्वतंत्र (१९६१) होकर अब ६० साल होने आएं हैं! और अमिताभ बच्चन के फ़िल्मी कैरियर के पचास साल पुरे हुएं हैं।

गोवा की एंग्लो-इंडियन कल्चर के चलते वैसी ख़ास फ़िल्मे भी बनी। इस में हिट थी 'आरके' की 'बॉबी' (१९७३) जिसमें डिंपल कपाड़िया को उस अंदाज़ में पेश किया गया। इसका गोवन फोल्क पर "घे घे घे घे रे सायबा प्यार में सौदा नहीं.." गाना ऋषि कपूर, प्रेमनाथ और उसपर लाजवाब फ़िल्माया गया था!

रोमैंटिक 'बॉबी' (१९७३) के "घे घे घे रे सायबा." गाने में ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया!
इस के बाद रवि टंडन ने.. अमिताभ बच्चन को लेकर बनायी 'मजबूर' (१९७४) में भी प्राण का क़िरदार वैसा ही था। इसमें उस का "फिर ना कहना माइकल दारू पिके दंगा करता" यह मीना टी के साथ डान्स उसी फोल्क (माका नाका गो) को लेकर आया था!

इसके बाद गोवा की पृष्ठभूमी पर 'एक दूजे के लिए' (१९८१) यह पैशनेट लव फ़िल्म बनी। इसके क्लाइमैक्स में जिस पर खड़े होकर कमल हसन और रति अग्निहोत्री एकजान होतें है..वह समंदर के पास खड़ा बड़ा पहाड़ उसके नाम से 'लव स्पॉट' हुआ!
 
'मजबूर' (१९७४) फ़िल्म के "फिर ना कहना माइकल.." गाने में प्राण और मीना टी!
बाद में गोवा की सरज़मी पर बॉलीवुड की फ़िल्में बनती रहीं। इसमें 'जलवा' (१९८७) जैसी वहां की सोशल इश्यू को लेकर थी और शाहरुख़ ख़ान, ऐश्वर्या राय को लेकर (हॉलीवुड की - क्लासिक फ़िल्म 'वेस्ट साइड स्टोरी' की री मेक) 'जोश' - (२०००) जैसी मेन स्ट्रीम भी!

 
ख़ैर, गोवा का माहौल वैसे है नशीला!..अब 'दिल चाहता है' वहां किसी बीच पर हाथ में ड्रिंक लिए रंगीन शाम का लुत्फ़ उठाया जाए!!

- मनोज कुलकर्णी

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