Monday, 31 May 2021

'प्यासा सावन' (१९८१) फ़िल्म के "मेघा रे मेघा रे.." गाने में जितेंद्र और मौसमी चटर्जी!

कवी-गीतकार संतोष आनंद जी!
"मेघा रे मेघा रे मत परदेस जा रे
आज तू प्रेम का संदेस बरसा रे..."

'प्यासा सावन' (१९८१) इस पारिवारिक फ़िल्म का संतोष आनंद जी ने लिखा यह गीत दिल को छू गया था।

फ़िल्मकार दासरी नारायण राव!

 
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत में सुरेश वाडकर और लता मंगेशकर ने गाया यह गीत जितेंद्र के साथ ख़ूबसूरत मौसमी चटर्जी ने भावुकता से साकार किया था

इसके फ़िल्मकार दासरी नारायण राव जी के कल हुए स्मृतिदिन पर यह याद आया!

उन्हें यह आदरांजली!!

 - मनोज कुलकर्णी



गुरु-देव-राज ख़ोसला!


अभिनेता-निर्देशक गुरु दत्त, अभिनेता-निर्माता देव आनंद, निर्देशक राज ख़ोसला 
और अभिनेत्री वहिदा रहमान की यह दुर्लभ तस्वीर!

अपने भारतीय सिनेमा के एक प्रतिभावान फ़िल्मकार राज ख़ोसला
जी..आज ९ साल के होतें!

इस अवसर पर मुझे याद आया गुरु दत्त और देव आनंद के साथ उनका असोसिएशन!

अपने कैमेरा के साथ प्रतिभावान फ़िल्मकार राज ख़ोसला!
हालांकि, लुधिआना से गायक के तौर पर तक़दीर आज़माने राज ख़ोसला बंबई आए लेकिन देव आनंद से मुलाक़ात के बाद उन्होंने अपने दोस्त गुरु दत्त के पास भेजा और वहां वे - निर्देशन में असिस्टेंट हुए।

वैसे गुरु दत्त और देव आनंद की दोस्ती पुणे के 'प्रभात - फ़िल्म कंपनी' से थी..जहां दोनों का कैरियर साथ में शुरू हुआ था। तब दोनों ने यह तय किया था की..अगर देव आनंद फ़िल्म निर्माता बनते है तो निर्देशन गुरु दत्त करेंगे और अगर गुरु दत्त निर्देशक बनते है तो हीरो देव आनंद ही होंगे! इसके मुताबिक़ १९५१ में जब देव आनंद ने फ़िल्म 'बाज़ी' का निर्माण किया तब निर्देशन गुरुदत्त को सौपा। इतना ही नहीं 'नोयर जॉनर' की इस फ़िल्म की कथा भी गुरुदत्त ने बलराज साहनी के साथ लिखी थी। जाहिर है इसके नायक तो देव ही थे और गीता बाली नायिका थी।

राज खोसला की हिट फ़िल्म 'मेरा गांव मेरा देश' (१९७१) में धर्मेंद्र, आशा पारेख और विनोद खन्ना!
अब बारी गुरुदत्त की थी..तो उन्होंने १९५६ में जब फ़िल्म 'सी.आय.डी.' का निर्माण किया तब नायक के तौर पर देव - आनंद को ही लिया। लेकिन इसका निर्देशन उन्होंने बड़े विश्वास से राज ख़ोसला को सौपा! तब तक राज..कुल 
चार फ़िल्मों के लिए उनके सहाय्यक रह चुके थे। शकीला नायिका वाली इस फ़िल्म से गुरु दत्त ने अपनी पसंदीदा वहिदा रहमान को एक अहम क़िरदार में पहली बार हिंदी सिनेमा के परदे पर पेश किया!
'दो रास्तें' (१९६९) की शूटिंग के दौरान कलाकार राजेश खन्ना, मुमताज़ और निर्देशक राज ख़ोसला!

हालांकि इससे पहले देव आनंद के कहने पर वे और गीता बाली की भूमिकावाली दूसरे निर्माता फतेचंद की फ़िल्म 'मिलाप' - (१९५५) स्वतंत्र रूप से राज - ख़ोसला निर्देशित कर चुके थे। लेकिन 'सी.आय.डी.' उससे पहले प्रदर्शित हुई और बहोत सफ़ल रही। इसके बाद देव - आनंद की 'नवकेतन फ़िल्म्स' की 'काला पानी' (१९५८) जैसी फ़िल्में निर्देशित करते 'निओ-नोयर' जॉनर में वे माहिर हुए

फिर मनोजकुमार और साधना अभिनीत 'वो कौन थी'(१९६४), सुपरस्टार राजेश खन्ना की.. 'दो रास्तें' (१९६९), धर्मेंद्र-विनोद खन्ना की 'मेरा गांव मेरा देश' (१९७१) और..अगले सुपरस्टार अमिताभ बच्चन तथा शत्रुघ्न सिन्हा की 'दोस्ताना (१९८०) ऐसी हिट फ़िल्मे निर्देशित करके राज ख़ोसला जी बड़े फ़िल्मकार हुए।

आज उनके जनमदिन पर उन्हें यह आदरांजली!!

- मनोज कुलकर्णी
 

Sunday, 30 May 2021

'हिंदी पत्रकारिता दिन' की इसमें कार्यरत हमारे भाई-बहनों को शुभकामनाएं!!

- मनोज कुलकर्णी


मिज़ाज गोवा का क्या कहें
ज़मीन, समंदर से आसमाँ
ज़िंदगी का जश्न जहाँ हैं!


- मनोज 'मानस रूमानी' 

गोवा की ६० वी एनिवर्सरी पर, 'इफ्फी' के दौरान वहां के मीरामर बीच पर बिताई रंगीन शाम याद आयी!

- मनोज कुलकर्णी

परदे पर गोवा!


'एक दूजे के लिए' (१९८१) के बेहतरिन लव स्पॉट दृश्य में रति अग्निहोत्री और कमल हसन!
 
आज 'गोवा स्थापना दिन' के अवसर पर मुझे इस ख़ूबसूरत प्रदेश से जुड़ी कुछ (ऐतिहासिक घटना को लेकर भी) फ़िल्में याद आयी!

मराठी 'महानंदा' (१९८५) के "माझे राणी माझे मोगा" गाने में विक्रम गोखले और फ़ैयाज़!
१९८७ में हिंदी फ़िल्म 'महानंदा' (फ़ारूक़ शेख़, मौशमी चटर्जी और आशालता अभिनीत).. प्रदर्शित हुई थी जो जानेमाने मराठी लेख़क जयवंत दळवी के उपन्यास पर आधारित थी! हालांकि उस पर पहले १९८५ में उसी नामसे मराठी फ़िल्म बनी जिसे 'राष्ट्रीय सम्मान' प्राप्त हुआ था। गोवा की मराठी - संस्कृति की पृष्ठभुमी पर वह अनोखी कथा थी, जिसे महेश सातोस्कर ने निर्देशित किया था। उस का गोवन कोंकणी भाषा का प्रेमगीत "माझे राणी माझे मोगा, तुझ्या डोळ्यांत सोधता ठाव.." मशहूर हुआ जिसे शांता शेळके ने लिखा था और हृदयनाथ मंगेशकर के संगीत में सुरेश वाडकर और लता मंगेशकर ने उसी लहजे में गाया था। तथा परदेपर विक्रम गोखले और फ़ैयाज़ ने साकार किया था!
 
डेब्यू फ़िल्म 'सात हिंदुस्तानी' (१९६९) में महानायक अमिताभ बच्चन
अब दो मायनें से महत्वपूर्ण फ़िल्म..
गोवा मुक्ति संग्राम पर विख्यात लेख़क-निर्देशक ख़्वाजा अहमद अब्बास ने 'सात हिंदुस्तानी' यह फ़िल्म १९६९ में बनायी। और इसी फ़िल्म से अपने भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन ने परदे पर अपना डेब्यू किया। इसमें उनका अनवर अली का क़िरदार ज़बरदस्त रहा!

तो पुर्तगाली गुलामी से गोवा स्वतंत्र (१९६१) होकर अब ६० साल होने आएं हैं! और अमिताभ बच्चन के फ़िल्मी कैरियर के पचास साल पुरे हुएं हैं।

गोवा की एंग्लो-इंडियन कल्चर के चलते वैसी ख़ास फ़िल्मे भी बनी। इस में हिट थी 'आरके' की 'बॉबी' (१९७३) जिसमें डिंपल कपाड़िया को उस अंदाज़ में पेश किया गया। इसका गोवन फोल्क पर "घे घे घे घे रे सायबा प्यार में सौदा नहीं.." गाना ऋषि कपूर, प्रेमनाथ और उसपर लाजवाब फ़िल्माया गया था!

रोमैंटिक 'बॉबी' (१९७३) के "घे घे घे रे सायबा." गाने में ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया!
इस के बाद रवि टंडन ने.. अमिताभ बच्चन को लेकर बनायी 'मजबूर' (१९७४) में भी प्राण का क़िरदार वैसा ही था। इसमें उस का "फिर ना कहना माइकल दारू पिके दंगा करता" यह मीना टी के साथ डान्स उसी फोल्क (माका नाका गो) को लेकर आया था!

इसके बाद गोवा की पृष्ठभूमी पर 'एक दूजे के लिए' (१९८१) यह पैशनेट लव फ़िल्म बनी। इसके क्लाइमैक्स में जिस पर खड़े होकर कमल हसन और रति अग्निहोत्री एकजान होतें है..वह समंदर के पास खड़ा बड़ा पहाड़ उसके नाम से 'लव स्पॉट' हुआ!
 
'मजबूर' (१९७४) फ़िल्म के "फिर ना कहना माइकल.." गाने में प्राण और मीना टी!
बाद में गोवा की सरज़मी पर बॉलीवुड की फ़िल्में बनती रहीं। इसमें 'जलवा' (१९८७) जैसी वहां की सोशल इश्यू को लेकर थी और शाहरुख़ ख़ान, ऐश्वर्या राय को लेकर (हॉलीवुड की - क्लासिक फ़िल्म 'वेस्ट साइड स्टोरी' की री मेक) 'जोश' - (२०००) जैसी मेन स्ट्रीम भी!

 
ख़ैर, गोवा का माहौल वैसे है नशीला!..अब 'दिल चाहता है' वहां किसी बीच पर हाथ में ड्रिंक लिए रंगीन शाम का लुत्फ़ उठाया जाए!!

- मनोज कुलकर्णी

Friday, 28 May 2021

'अंदाज़'-ए-मेहबूब!


मेहबूब ख़ान की त्रिकोणीय प्रेमवाली फ़िल्म 'अंदाज़' (१९४९) 
के दृश्यों में राज कपूर, नर्गिस और दिलीप कुमार!

"..और हम यहाँ आपके इंतज़ार में मुश्ताक़ हो बैठे हैं!"
राजन-नीना याने राज कपूर और नर्गिस की पार्टी में एंट्री होती है..तब नीना की तरफ़ प्यार भरी नज़र से देखकर दिलीप याने अपने यूसुफ़ साहब यह कहते है।

जानेमाने फ़िल्मकार मेहबूब ख़ान!
 
अपने सिनेमा की एक शुरुआती संवेदनशील त्रिकोणीय प्रेमवाली.. मेहबूब ख़ान की फ़िल्म 'अंदाज़' (१९४९) का यह..अति संवेदनशील दृश्य मेरे रूमानी मन में जैसे घर किया हुआ हैं!

'अंदाज़' की कहानी लिखी थी शम्स लखनवी जी ने और उस पर पटकथा लिखी थी एस. अली रज़ा जी ने!
 
ज़्यादातर 'मेहबूब स्टुडिओ' में बनी इस फ़िल्म का त्रिकोणीय प्रेम नाट्य मेहबूब जी ने बड़ी कुशलता से चित्रित किया था।

इस फ़िल्म के कुछ अहम दृश्यं तो अब भी नज़रो के सामने आते हैं..


'अंदाज़' (१९४९) फ़िल्म के रूमानी दृश्य में नर्गिस और दिलीप कुमार!
दिलीप-नीना की मुलाक़ात.. जिसमे वो फूलों का गुलदस्ता लेकर आता है..
तब नीना कहती है "ये क्यूँ तक़लीफ़ की आपने?"
उस पर दिलीप "आपको पसंद नहीं?" कहकर गुलदस्ता नीचे गिराने लगता है, जो नीना उठा कर उसका दिल रखने के लिए अपने दिल को लगाती है!
इसके बाद दिलीप की बातों से हसकर चुलबुली नीना कहती है "बड़े दिलचस्प है आप!"
तो उसपर दिलीप कहता है "ये कहकर ग़लतफ़हमी में डाल दिया आपने!"

इसके बाद एक पार्टी के सीन में नीना पर फ़िदा दिलीप उसे कहता है "आज अगर आप ज़हर खाने का हुकुम दे तो..वो भी मै करूँगा!"

'अंदाज़' (१९४९) फ़िल्म के भावुक दृश्य में नर्गिस और दिलीप कुमार!
उसके बाद का सीन है..दिलीप को नीना पार्टी के लिए बुलाती कहती है "पियानो उदास पड़ा है और..सब बेक़रार हैं।"
उसपर दिलीप कहता है "मै भी अपने बेक़रार दिल को चैन देने के लिए दूर जा रहा हूँ।"
यह सुनकर चौंक कर नीना कहती है "पाग़ल मत बनिए.. होश में आइए!"
दिलीप कहता है "होश में तो आया हूँ..इस लिए जा रहा हूँ!"
उसपर नीना पूछती है "मुझसे कुछ ग़लती हुई?"
तब दिलीप कहता है "वो तो मुझसे हुई की मै आपसे मोहब्बत करता हूँ!"
यह सुनकर रोकने के लिए उसका लिया कोट..वही छोड़कर नीना भागती है!

इसके तुरंत बाद के सीन में दिलीप को समझाने नीना आती है..और कहती है "मैंने आपको हमेशा मेरा अच्छा दोस्त माना। मैं राजन के सिवा किसीसे मोहब्बत नहीं करती।"
उसके ये अल्फ़ाज़ सुनकर दिलीप की ख़ामोश आँखें बहोत कुछ कहती हैं!

'अंदाज़' (१९४९) फ़िल्म के गीत दृश्य में नर्गिस, राज कपूर और दिलीप कुमार!
'अंदाज़' के गाने भी कमाल के थे जिसमें "टूटे ना दिल टूटे ना" जैसे कुल ९ गीत मजरूह - सुलतानपुरी जी ने लिखें थें और "झूम झूम के नाचो आज" यह एक प्रेम धवन जी ने! 
इन्हें संगीतबद्ध करनेवाले नौशाद अली जी ने यहाँ अनोखा प्रयोग किया था। दिलीप कुमार को मुकेश की आवाज़ और राज कपूर को मोहम्मद रफ़ी की दी थी! शायद दिलीप कुमार का ट्रैजडी कैरेक्टर और राज कपूर की रूमानियत को मद्देनज़र रखके उन्होंने ऐसा किया होगा! 
इस फ़िल्म में कुक्कू ने अपने अच्छे डांस परफॉर्मन्स दिएँ हैं!

वैसे लता मंगेशकर जी के गानें भी इसमें दिल को छूं देतें हैं जैसे की "दादिरदरा s ओ दारा दादिरदारा s मेरी लाडली रे s.." यह ख़ुशी का और "उठाएं जा उनके सितम.." यह दर्द भरा!

सिनेमैटोग्राफर फरदून ईरानी जी ने इस फ़िल्म का छायांकन इनडोअर से आऊटडोअर बड़ी वेधकता से किया है। ख़ास कर लाइट्स का उपयोग और क्लोज अप्स! इसके लिए केशव मिस्त्री का कला निर्देशन और शम्सुद्दीन क़ादरी का संकलन भी मायने रखता हैं।

'अंदाज़' (१९४९) फ़िल्म के गंभीर दृश्य में दिलीप कुमार और राज कपूर!
मिसाल की तौर पर..दिलीप पियानो पर जब गाते है..
"आज किसी की हार हुई है..
आज किसी की जीत.." 
तब उनकी नज़रों से प्यार का दर्द छलकता है और..उसी वक़्त समारोह में..शादीशुदा राजन-नीना पधारतें हैं!

इसके बाद के सीन में राजन को समझाते दिलीप कहते है "अफ़सोस क़ि, तुम अपनी बीवी को नहीं समझ सकते!"
उसपर शक्की राजन कहता है "मै जानता हूँ..मुझसे ज़्यादा आप मेरी बीवी को समझते है!"

इस दौरान राजन के कोट पर फूल लगाता दिलीप कहता है "ये फूल तो आप पर ही खिलता है!"
उसपर राजन वो फूल निकालकर दिलीप के कोट पर लगाता कहता है "अब ये फूल मुझसे ज़्यादा आप पर ही खिलता है!"
तब फूल निकाल कर राजन को दिखाते दिलीप की नज़रों में करारापन होता है।

              'अंदाज़' (१९४९) के त्रिकोणीय दिलचस्प दृश्य में राज कपूर, दिलीप कुमार और नर्गिस!
सत्तर साल से भी ज़्यादा हो गएँ इस फ़िल्म को..लेकिन इस का कलात्मक और अदाकारी का असर अभी भी बरक़रार हैं।

इस फ़िल्म से ही दिलीप कुमार ट्रैजडी किंग की तरफ़ गए और बड़े स्टार हुए!

इसके जानेमाने फ़िल्मकार.. मेहबूब साहब के स्मृतिदिन पर आज फिर से इसकी याद!

- मनोज कुलकर्णी

Thursday, 27 May 2021


दीदावर आप ही थे इस गुलिस्ताँ के
ख़ूबसूरत भारत का ख़्वाब संजोये!
हरतरफ़ अब वीरानी सी छायी है..
ज़िंदगियाँ परेशां हैं बेनूर ख़िज़ाँ में!

- मनोज 'मानस रूमानी'

हमारे पहले प्रधानमंत्री 'भारतरत्न' पंडित जवाहरलाल नेहरूजी को उनके स्मृतिदिन पर मेरी यह सुमनांजलि!!

 - मनोज कुलकर्णी

दुर्लभ तस्वीर!



"ऐ मेरे वतन् के लोगों..ज़रा आँख् में भर् लो पानी
जो शहीद् हुए हैं उनकी..ज़रा याद् करो क़ुरबानी.."

यह देशप्रेम से ओतप्रोत गीत जिन्होंने लिखा..वह कवी प्रदीप हमारे देश के पहेले प्रधानमंत्री 'भारतरत्न' पंडित जवाहरलाल नेहरूजी के सामने एक समारोह में खुद गा रहे है..और उसे सुनकर नेहरू साहब गंभीर हो गए है!

इन दोनों को प्रणाम!!

- मनोज कुलकर्णी

Tuesday, 25 May 2021

पॉपुलर ट्यून्स के म्यूजिक डायरेक्टर..राम लक्ष्मण!


जानेमाने संगीतकार राम लक्ष्मण (विजय पाटील).

'मैंने प्यार किया' (१९८९) के "मेरे रंग में रंगनेवाली.." 
गाने में ख़ूबसूरत भाग्यश्री और सलमान ख़ान!
"मेरे रंग में रंगनेवाली.."
१९८९ में बम्बई के 'नटराज स्टूडियो' में.. 'राजश्री प्रोडक्शन' की फ़िल्म 'मैंने प्यार - किया' के इस गाने की मैंने देखी शूटिंग आज फिरसे याद आ गई।

तब एस. पी. बालसुब्रहमण्यम ने गाया गाना जय बोराडे की कोरियोग्राफी में सलमान खान और कमसिन ख़ूबसूरत भाग्यश्री पर होनहार निर्देशक सूरज बरजात्या चित्रित कर था।

सलमान खान को सुपरस्टार बनानेवाली इस फ़िल्म के उस गाने की याद बोराडे, एस.पी.बी. जाने के बाद अब संगीतकार राम लक्ष्मण गुज़रने पर आ गई।

दादा कोंडके अपनी हिट मराठी फ़िल्म..
'पांडु हवालदार' (१९७५) में उषा चव्हाण के साथ!
 
उनका असल में नाम था विजय पाटील और अपने ऑर्केस्ट्रा से वे उभर आए थे। १९७५ में ज्युबिली मराठी सिनेमा के दादा - कोंडके ने उन्हें पहली बार अपनी 'पांडु हवालदार' फ़िल्म का संगीत करने दिया। अपने मित्र राम (सुरेंद्र) जी के साथ उन्होंने वह लोकप्रिय ढंग से किया और तबसे संगीतकार राम लक्ष्मण यह उनका नाम हो गया! बाद में दादा की हिट मराठी फिल्मों का संगीत उन्होंने किया।

 
दरअसल वो एक अच्छे पियानिस्ट और अकॉर्डियनिस्ट थे। 
दो साल बाद उन्हें 'राजश्री प्रोडक्शन' की दीपक बाहरी निर्देशित 'एजेंट विनोद' (१९७७) इस एक्शन फ़िल्म से हिंदी सिनेमा में - संगीत देने का मौका मिला। इसी वक़्त उनके संगीत साथी राम जी का निधन हो गया; लेकिन उन्होंने संगीतकार राम लक्ष्मण नाम जारी रखा।

 
 
'हम से बढ़कर कौन' (१९८१) के "देखो लोगों यह कैसा ज़माना.." गाने में रंजीता-मिथुन चक्रवर्ती!
ग़ौरतलब की सलमान की तरह मिथुन चक्रवर्ती को स्टार बनानेवाली 'राजश्री' की ही फ़िल्म 'तराना' (१९७९) को संगीत उन्होंने दिया। जिसका शीर्षक गीत उनके पसंदीदा शैलेन्द्र सिंह ने गाया। फिर मल्टी स्टार्रर हिट फ़िल्म 'हम से बढ़कर कौन' (१९८१) का संगीत उन्होंने बनाया। इसमे बोराडे की ही कोरियोग्राफी पर "देखो लोगों यह कैसा ज़माना." पर हिट जोड़ी मिथुन-रंजीता का डांस रंग लाया था। हालांकि मोहम्मद रफ़ी और लता - मंगेशकर ने गाए उस गाने की कम्पोजीशन उन्होंने पुराने हिट हिंदी गाने की ट्यून पर की थी और वह था संगीतकार सोनिक ओमी का फ़िल्म 'सावन भादों' (१९७०) का आशा भोसले ने गाया "आँखें मेरी मैख़ाना.."

'हम आप के है कौन' (१९९४) के "दीदी तेरा देवर दीवाना.." में माधुरी दीक्षित-सलमान ख़ान!
बहरहाल, उसके बाद 'राजश्री' की ही उनके जवां निर्देशक.. सूरज बरजात्या और फ्रेश जोड़ी सलमान
ख़ान-भाग्यश्री की फ़िल्म 'मैंने प्यार किया' - (१९८९) उनके पास संगीत के लिए आयी। फ़िल्म के साथ एस. पी. बालसुब्रहमण्यम और लता मंगेशकर ने गाएं इसके सभी गाने हिट हो गएँ और राम लक्ष्मण जी को 'बेस्ट - म्यूजिक डायरेक्टर' का 'फ़िल्म फेयर' अवार्ड मिला! इसका देव कोहली का लिखा गाना "आते जाते हँसते गाते.." भी उन्होंने स्टीवी वंडर के "आई जस्ट - कॉल्ड टू से आई लव यू.." इस वेस्टर्न हिट् पर बख़ूबी कंपोज़ किया था।

संगीतकार राम लक्ष्मण (विजय पाटील) 'फ़िल्म फेयर' अवार्ड के साथ!
इस के बाद राम लक्ष्मण के म्यूजिक ने बॉलीवुड पर जोर पकड़ा। फिर जी. पी. सिप्पी की फ़िल्म 'पत्थर के फूल' (१९९१) के एस. पी. बालसुब्रहमण्यम और लता मंगेशकर ने गाएं उनके सभी गाने हिट रहें। इसमें सलमान-रवीना टंडन पर फ़िल्माया "तुमसे जो देखतेही प्यार हुआ." बम्बैय्या टपोरियों पर ख़ूब छा गया। इसी साल उन्होंने पार्थो घोष की माधुरी - दीक्षित स्टार्रर थ्रिलर '१०० - डेज' को म्यूजिक दिया। इसका "सुन बेलिया." हिट हुआ।

'राजश्री' की मल्टी स्टार्रर फॅमिली फ़िल्म 'हम आप के है कौन' (१९९४) की जोड़ियाँ.. 
सलमान ख़ान-सोनाली बेंद्रे, मोहनीश बहल-तब्बू और सैफ अली ख़ान-करिश्मा कपूर!
फिर अक्षय कुमार-आयेशा - झुलका की 'दिल की बाज़ी' और गोविंदा-करिश्मा कपूर स्टार्रर' प्रेम शक्ति' ऐसी फिल्मों को संगीत देने के बाद राम लक्ष्मण जी के पास आयी 'राजश्री' की ही 'हम आप के है कौन' (१९९४) सूरज बरजात्या निर्देशित सलमान और माधुरी स्टार्रर यह फ़िल्म तो सुपरहिट रही। फिर एस.पी.बी. और लता जी ने गाएं उनके इसके सभी गानें हिट रहें। "माये नी माये.." जैसा दुलार का हो या "दीदी तेरा देवर दीवाना.." जैसा नटखट और "ये मौसम का जादू..", "पहला पहला प्यार हैं.." जैसे रूमानी! इनपर सलमान-माधुरी की अदाएं लाजवाब रहीं।

आखिर में 'हम साथ साथ हैं (१९९९) यह सलमान, मोहनीश बहल, सैफ अली ख़ान, सोनाली बेंद्रे, तब्बू और करिश्मा कपूर की मल्टी स्टार्रर फ़िल्म का संगीत देकर वे हमेशा राजश्री' के साथ ही रहें!

कुछ साल पहले उन्हें दिए गए अवार्ड के समारोह में राम लक्ष्मण जी थके हुए स्टेज पर दिखाई दिए थे!

उन्हें मेरी यह सुमनांजलि!!

- मनोज कुलकर्णी