Tuesday 31 July 2018


सुरों के शहेनशाह और मीठी आवाज़ के मालिक हमारे अज़ीज़..मोहम्मद रफ़ी साहब के ३८ वे स्मृतिदिन पर उनको सुमनांजली अर्पित करते हुए उनके नीचे दिए हुए कुछ ऐसे मेरे पसंदीदा गानें याद आएं..

* देशभक्तिपर:
"अब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आज़ाद हैं.."('मुझे जीने दो'/१९५७)
"कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों.." ('हक़ीक़त'/१९६४)


* रूमानी:
"ए हुस्न ज़रा जाग तुझे इश्क़ जगाए.."('मेरे मेहबूब'/१९६३)
"आप के हसीन रुख़ पे आज नया नूऱ हैं.."('बहारें फिर भी आयेंगी'/१९६६)
"तारीफ़ करूँ क्या उसकी जिसने तुम्हें बनाया.." ('कश्मीर की कली'/१९६४)


* रोमैंटिक डुएट्स:
"सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था .." ('जब प्यार किसीसे होता हैं'/१९६१)
"एक शहेनशाह ने बनवा के हसीन ताज़महल.." ('लीडर'/१९६४)


जरूर सुनिए-देखिएँ!!

- मनोज कुलकर्णी
 ['चित्रसृष्टी', पुणे]

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