गायिका मुबारक़ बेग़मजी! |
हमारी याद आएगी.."
इस गाने से याद आयी इसकी गायिका मुबारक़ बेग़मजी की..जिनका स्मृतिदिन हाल ही मे हुआ..और इसके संगीतकार स्नेहल भाटकर साहबकी..जिनका जनमदिन उससे पहले था!
संगीतकार स्नेहल भाटकरजी! |
इस गाने से याद आयी इसकी गायिका मुबारक़ बेग़मजी की..जिनका स्मृतिदिन हाल ही मे हुआ..और इसके संगीतकार स्नेहल भाटकर साहबकी..जिनका जनमदिन उससे पहले था!
फ़िल्मकार किदार शर्मा! |
इससे जुड़ी और भी यादें है..इस 'हमारी याद आएगी' (१९६१) के शीर्षकगीत के रचईता इस फ़िल्म के निर्देशक किदार शर्मा साहब थे!
इन तीनों को आदरांजली!!
हालांकि यह गाना पहले लता मंगेशकरजी गानेवाली थी लेकिन उनकी व्यस्तता के कारन मुबारक़ बेग़मजी से गवाया गया..और वह मशहूर हुआ!
इसके संगीतकार स्नेहल भाटकरजी ने अपने फ़िल्म करिअर की शुरुआत भी १९४७ में किदार शर्माजी की फ़िल्म 'नीलकमल' के संगीतसे की थी!
'हमारी याद आएगी' (१९६१) का यह गीत परदे पर तनुजाजी ने बख़ूबी अभिनीत किया था.. जो स्वतंत्र नायिका के रूप में उनकी पहली फ़िल्म थी!
तनुजा को उसकी माँ और उस ज़माने की ख्यातनाम अभिनेत्री शोभना समर्थजी ने 'हमारी बेटी' (१९५०) इस फ़िल्म में बाल कलाकार के रूप में परदे पर लाया था..और बाद में खुद निर्देशित 'छबिली' (१९६०) में बड़ी हुई तनुजा को पेश किया! इन दोनों फिल्मों की नायिका तनुजा की बड़ी बहन प्रतिभाशाली अभिनेत्री नूतनजी थी!
संजोग़ से 'हमारी याद आएगी' (१९६१) की तरह..पहले बनी इन 'हमारी बेटी' (१९५०) और 'छबिली' (१९६०) का संगीत भी स्नेहल भाटकरजी ने ही किया था!
मुझे याद है स्नेहल भाटकरजी की पुणे में हुई मुलाक़ात..जिसमें उन्होंने उनके संगीत की 'फ़रियाद' (१९६४) का गाना "वो देखो देख रहा था पपीहा.." मुझे साभिनय रुबरुं सुनाया था!
मुझे तनुजाजी की पुणे में हुई मुलाकातें भी याद है..जिसमें एक बार वह अपनी माँ शोभना समर्थ और बेटी (काजोल से छोटी) तनीषा के साथ आयी थी!..कुछ साल बाद 'पिफ्फ' में हुई दूसरी मुलाकात में मैंने उनकी अभिनीत 'जीने की राह' (१९६९), 'अनुभव' (१९७१) जैसी फिल्मों में उनके अभिनयकी तारीफ़ की थी!..और 'बहारे फिर भी आएगी' (१९६६) में उनपर फ़िल्माया "आप की हसीन रुख़ पर.." यह गाना मुझे बेहद पसंद है कहाँ था..तब वह शरमायी थी!
ऐसे गाने और उससे जुड़ी कई यादें हैं!!
- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]
इन तीनों को आदरांजली!!
हालांकि यह गाना पहले लता मंगेशकरजी गानेवाली थी लेकिन उनकी व्यस्तता के कारन मुबारक़ बेग़मजी से गवाया गया..और वह मशहूर हुआ!
'हमारी याद आएगी' (१९६१) गीत में तनुजा! |
'हमारी याद आएगी' (१९६१) का यह गीत परदे पर तनुजाजी ने बख़ूबी अभिनीत किया था.. जो स्वतंत्र नायिका के रूप में उनकी पहली फ़िल्म थी!
तनुजा को उसकी माँ और उस ज़माने की ख्यातनाम अभिनेत्री शोभना समर्थजी ने 'हमारी बेटी' (१९५०) इस फ़िल्म में बाल कलाकार के रूप में परदे पर लाया था..और बाद में खुद निर्देशित 'छबिली' (१९६०) में बड़ी हुई तनुजा को पेश किया! इन दोनों फिल्मों की नायिका तनुजा की बड़ी बहन प्रतिभाशाली अभिनेत्री नूतनजी थी!
नूतन और तनुजा..अपनी माँ शोभना समर्थ के साथ! |
संजोग़ से 'हमारी याद आएगी' (१९६१) की तरह..पहले बनी इन 'हमारी बेटी' (१९५०) और 'छबिली' (१९६०) का संगीत भी स्नेहल भाटकरजी ने ही किया था!
'बहारे फिर भी आएगी' (१९६६) के "आप की हसीन रुख़ पर." में तनुजा। |
मुझे याद है स्नेहल भाटकरजी की पुणे में हुई मुलाक़ात..जिसमें उन्होंने उनके संगीत की 'फ़रियाद' (१९६४) का गाना "वो देखो देख रहा था पपीहा.." मुझे साभिनय रुबरुं सुनाया था!
मुझे तनुजाजी की पुणे में हुई मुलाकातें भी याद है..जिसमें एक बार वह अपनी माँ शोभना समर्थ और बेटी (काजोल से छोटी) तनीषा के साथ आयी थी!..कुछ साल बाद 'पिफ्फ' में हुई दूसरी मुलाकात में मैंने उनकी अभिनीत 'जीने की राह' (१९६९), 'अनुभव' (१९७१) जैसी फिल्मों में उनके अभिनयकी तारीफ़ की थी!..और 'बहारे फिर भी आएगी' (१९६६) में उनपर फ़िल्माया "आप की हसीन रुख़ पर.." यह गाना मुझे बेहद पसंद है कहाँ था..तब वह शरमायी थी!
ऐसे गाने और उससे जुड़ी कई यादें हैं!!
- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]
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