कवि-गीतकार गोपालदास सक्सेना तथा 'नीरज' जी! |
'प्रेम पुजारी'..नीरज!
- मनोज कुलकर्णी
"फुलों के रंग से..
दिल की कलम से.."
ऐसा रूमानी लिखनेवाले नीरज जी यह जहाँ छोड़ जाने की खबर आने के बाद ऐसे उनके कई नग़में कान में गुँजे!
'प्रेमपुजारी' (१९७०) के "शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब."
गाने मे वहिदा रहमान और देव आनंद!
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'कन्यादान' (१९६८) के रफ़ीजी ने गाए "लिखें जो ख़त तुझे."
गाने में आशा पारेख और शशी कपूर! |
'शर्मिली' (१९७१) के "खिलतें हैं गुल यहाँ."
गाने मे राखी और शशी कपूर!
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'मेरा नाम जोकर' के "ए भाई जरा देख के चलो." गाने में राज कपूर |
नीरज जी को १९९१ में 'पद्मश्री' और २००७ में 'पद्मभूषण' ख़िताब से नवाज़ा गया!
अब उनका ही 'नई उमर की नई फ़सल' (१९६५) का रफ़ी जी ने गाया यह गाना दर्द भरे दिल में है ..
"स्वप्न झरे फूल से..मीत चुभे शूल से
लूट गए सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे..
कारवाँ गुज़र गया..गुबार देखते रहे!
उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजली!!
- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टि', पुणे]
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