Friday 6 August 2021


अब यह शीर्षक जहाँ स्वीकारा हुआ है..
ताज्जुब वहां चुंबन गवारा नहीं कहतें!


- मनोज 'मानस रूमानी'


समकालिन घटना के सन्दर्भ में लिखा!

- मनोज कुलकर्णी

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