साहिर ने लिखी यह नज़्म 'शगुन' (१९६४) फ़िल्म के लिए अपने शौहर ख़य्याम जी की मौसीक़ी में गायी थी जगजीत कौर जी ने.. अब वे भी इस जहाँ से रुख़सत हुई!
मुझे याद है २००६ के दौरान अपने भारतीय बोलपट के ७५ साल पुरे होने पर बंबई में हुए समारोह में ख़य्यामजी और जगजीत कौरजी से मेरी मुलाकात हुई थी। मैंने मेरे 'चित्रसृष्टी' का संगीत विशेषांक उन्हें भेट दिया था। तब दोनों ने बड़े प्यार से मुझसे अपने संगीत के बारे में बात की थी!
दो साल पहले ख़य्याम साहब ने इस जहाँ को अलविदा कहाँ! अब "..निगहबानी मुझे दे दो.." कहकर साये की तरह उनके साथ रहनेवाली उनकी पत्नी-गायिका जगजीत कौर जी भी कल रुख़सत हुई!
उन्हें मेरी सुमनांजलि!!
- मनोज कुलकर्णी
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