Tuesday 28 August 2018

रघुपति सहाय याने..शायर फ़िराक़ गोरखपुरीजी!

याद-ए-फ़िराक़!


- मनोज कुलकर्णी


उर्दू के जानेमाने शायर फ़िराक़ गोरखपुरी जी का आज १२२ वा जनमदिन!

उनका असली नाम रघुपति सहाय..जिनका जनम उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जीले में २८ अगस्त, १८९६ को हुआ। स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय होने के लिए उन्होने तब सरकारी नौकरी को ठुकराया! बाद में 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' में वह अंग्रेजी के अध्यापक रहे। उर्दू कविताए लिखने के लिये उन्होंने ''फ़िराक़ गोरखपुरी'' यह नाम लिया! एक दर्जन से भी ज्यादा उनकी कविताओं के खंड प्रसिद्ध हुए..जिसमें नज्म, गज़ल, रुबाई प्रकार समाविष्ट हैं!
शायरी की सोच में.. फ़िराक़ गोरखपुरीजी!
१९६० में उन्हे 'साहित्य अकादमी' का सम्मान प्राप्त हुआ और १९६८ में 'पद्मभूषण' दिया गया! तथा मशहूर रचना 'ग़ुल-ए-नग़मा' के लिए उन्हें १९६९ में सर्वश्रेष्ठ 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' मिला। बाद में १९८१ में 'गालिब अकादमी' से सम्मानित भी किए गये!

राज्यसभा के सदस्य रहे फ़िराक़ साहब धर्मनिरपेक्षता के लिए आवाज भी उठाते रहे! 


उनको अभिवादन करते हुए उन्हीकी रचना याद आती है..

 
"हज़ार बार जमाना इधर से गुजरा हैं...
नई नई सी हैं कुछ तेरी रहगुजर फिर भी!"


- मनोज कुलकर्णी 
['चित्रसृष्टी', पुणे]

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