Tuesday 21 August 2018

वाह खानसाहब!!



शहनाई के शहेनशाह..उस्ताद बिस्मिल्लाह खान!

'भारतरत्न'...उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पर १९८९ में गौतम घोष ने बनायी हुई बेहतरीन डाक्यूमेण्टरी फिर से देखी थी..शहनाई के साथ उनके (धर्मनिरपेक्ष और देशप्रेमी) उच्च विचार सुनने के लिये..जो कुछ इस तरह थे...

 

इसमे उनके प्यारे बनारस का सांगीतिक अर्थ वह कहते है "बना..रस!" और बताते हैं, "तमाम दुनिया घुमे..लेकिन यहीं जगह, घाट हमें खिच लाता है! सच पुछे तो आनंद यहीं मिलता हैं! सामने गंगाजी है..उसमें नहाईए, मस्जिद में नमाज पढीये और फिर मंदिर में रियाज किजीये!..ऐसा नजारा कहीं नहीं!"
 
आखीरमें अपनी आंतरराष्ट्रीय शोहरत बयां करते वह कहते है, "अमरिका गये थे तो काफी प्रोग्राम हुए..लोगों ने बहोत पसंद किया..तब वहा के एक रईस ने कहा "खांसाहब, यही रहिये..पढाईये!" तो हमने कहां "हमारे साथ घर-पार्टी के बहोत लोग हैं!" तो उन्होने कहा "सबको लेके आईए! आपको मकान, गाडी सब देते हैं!" उसपर हमने कहां "हमारा बनारस, गंगामैय्या और घाटपर शहनाई के सूर गुंज रहे है..ऐसा यहा होगा क्या?" तो वह "नो" बोले!..फिर हमने "नमस्कार" कहां!!"

आज बिस्मिल्लाह खांसाहब का १२ वा स्मृतिदिन हैं!

उन्हें सलाम!!

- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]

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