Sunday 26 August 2018

रक्षाबंधन विशेष लेख:

रेशम की डोरी!


- मनोज कुलकर्णी


'छोटी बहन' (१९५९) में "भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना."
रहमान और बलराज साहनी के साथ साकार करती नंदा!

"भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना.."

भाई और बहन का प्यार रेशमी धागे से जोड़नेवाला रक्षा बंधन का त्योहार आते ही एल. व्ही. प्रसाद की क्लासिक फ़िल्म 'छोटी बहन' (१९५९) का लता मंगेशकरजी ने गाया यह गाना मेरे नज़रों के सामने आता है..जिसमें नंदा अपने बड़े भाई बलराज साहनी और मजले भाई रहमान को प्यार से साथ लाकर, राखी बांधते हुए यह गाती है..जो देखते हुए आँखें नम हो जाती हैं!
'राखी' (१९६२) फ़िल्म में अशोक कुमार और वहिदा रहमान!

कहतें हैं उस फ़िल्म के बाद भी इन कलाकारों ने यह भाई-बहन का रिश्ता कायम रखां..उन दिनों में ऐसे ही होता था! वैसे हमारे लोकप्रिय सिनेमा नें अपने सभी त्योहारों को (दिवाली, ईद, होली, बैसाखी) परदे पर बख़ूबी दर्शाया हैं..और कलाकारों ने भी अपनी व्यक्तिरेखांओं में समरस होतें उन्हें मनाया हैं!

'रक्षा बंधन' का ऐसाही अनोखा रिश्ता परदे पर नज़र आया दादामुनी अशोक कुमार और वहिदा रहमान के बीच १९६२ में बनी फ़िल्म 'राखी' में ही..जिसके "बंधा हुआ एक-एक धागे में भाई-बहन का प्यार..राखी धागों का त्योहार.." इस (रफ़ी ने गाए) गीत में दोनों का वह रिश्ता स्वाभाविकता से सामने आता हैं! वैसे बलराज साहनी ने ज्यादा तर बड़े भाई की आदर्श भूमिका परदे पर निभाई। इसी दौरान आयी फ़िल्म 'अनपढ़' में बहन हुई माला सिन्हा "रंग बिरंगी राखी लेके आयी बहना.." गाते हुए बलराजजी की आरती उतारती है! फिर १९६५ में प्रदर्शित फ़िल्म 'काजल' में अनोखी व्यक्तिरेखा में नजर आयी मीना कुमारी ने भी "मेरे भैय्या मेरे चंदा..मेरे अनमोल रतन.." गाते इस रिश्ते को परदे पर बख़ूबी दर्शाया!
'सच्चा झूठा' (१९७०) में नाज़ के लिए "मेरी प्यारी बहनिया.." गाते बाजा बजाते राजेश खन्ना!

इसके बाद अपने पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना ने मनमोहन देसाई की फ़िल्म 'सच्चा झूठा' (१९७०) में बैंड का बाजा बजाते हुए (अपनी अपाहीच बहन नाज़ को याद करते) "मेरी प्यारी बहनिया.." झूम के गाया था..और इसके "रखिया के रोज रानी बहना को बुलाऊंगा" कहते भावुक हुआ था! 
'हरे रामा हरे कृष्णा' (१९७१) के "एक हजारों में मेरी बहना हैं.." 
गाने में मास्टर सत्यजित और बेबी गुड्डी!
बाद में आयी देव आनंद ने खुद निर्देशित की फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' (१९७१) में "फूलों का तारों का सबका कहना हैं..एक हजारों में मेरी बहना हैं.." यह गाना देव और ज़ीनत अमान के बचपन और जवानी के किरदारों पर बख़ूबी फिल्माया गया था..इसमें ताज्जुब की बात यह थी की छोटा देव बने लड़के ने उसी अंदाज़ में परदे पर एक्शन की थी! इसमें भाई-बहन बनें देव आनंद और ज़ीनत अमान बाद में फ़िल्म 'हीरा पन्ना' में प्रेमी बने यह भी विशेष!

१९७२ में प्रदर्शित सत्येन बोस निर्देशित 'मेरे भैय्या' इस सामाजिक फिल्म में विजय अरोरा और नज़ीमा के किरदार त्याग पर आधारित थे! तो इसी दौरान आयी सोहनलाल कँवर की फिल्म 'बेईमान' में हमेशा आदर्श भूमिकाएं करनेवाला मनोज कुमार अनोखे किरदार मे था और नज़ीमा ने ही "ये राखी बंधन हैं ऐसा.." यह आदर्श भाव उसके लिए व्यक्त किया था! 

बाद में 'रेशम की डोरी' (१९७४) फ़िल्म मे कुमुद छुगानी "बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा हैं..प्यार के दो तार से सँसार बाँधा हैं.." गाकर धर्मेंद्र को राखी बांधती हैं..तब उसके आँखों में पानी नजर आता हैं!..और देखतें हुए हमारे भी!
'रेशम की डोरी' (१९७४) के शिर्षक गीत मे धर्मेंद्र और कुमुद छुगानी!

सिर्फ़ हिंदी सिनेमा में ही नहीं बल्कि प्रादेशिक फिल्मों में भी भाई-बहन का प्यार अच्छा दर्शाया गया हैं। इसमें मराठी 'शेवग्याच्या शेंगा' (१९५५) में बहन की भाइयों के प्रति उत्कट भावुकता दिल को छू लेती हैं; तो 'धर्मकन्या' (१९६८) में "गोड गोजिरी लाज लाजरी ताई.." ऐसा गाकर बड़ी बहन के इर्द-गिर्द नाचने वाले छोटे भाईयों का दृश्य बड़ा कोमल था..इसमें मासूम ख़ूबसूरत अनुपमा बहन बनी थी! फिर गुजराती फिल्म 'खम्मा मारा वीरा' (१९८०) अनोखी कहानी लेकर आयी थी..जिसमे मोहक सारीका ने भूमिका अदा की थी! तथा भोजपुरी में भी 'रक्षा बंधन' नाम की फिल्म चली थी!

लोकप्रिय हिंदी सिनेमा तो 'रक्षा बंधन' (१९८४) नाम से..'तिरंगा' (१९९३) फिल्म में वर्षा उसगांवकर ने सादर किए "इसे समझो न रेशम का तार भइया.." जैसे गानों द्वारा राखी की महनता उजाग़र करता आ रहा हैं ..और आगे भी करता रहेगा!

- मनोज कुलकर्णी
['चित्रसृष्टी', पुणे]

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